उत्तरायणी मेला और बागेश्वर जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Uttarayani Mela and Major Places of Sightseeing in Bageshwar District)

उत्तरायणी मेला और बागेश्वर जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल

उत्तरायणी मेला

उत्तरायणी मेला मकर संक्रांति या उत्तरायणी के अवसर पर मनाया जाता है, जो उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह मेला विभिन्न नदियों के किनारे, खासकर सरयू और गोमती जैसी पवित्र नदियों के तट पर आयोजित होता है। श्रद्धालु यहां स्नान कर भगवान को अर्पण करते हैं, और इसके साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्थानीय हस्तकला, पारंपरिक संगीत, और नृत्य इस मेले की खासियत हैं, जिससे इसे देखने आने वाले पर्यटक भी आकर्षित होते हैं।

कोट की माई का मेला

कोट की माई का मेला कोट भ्रामरी मंदिर में आयोजित होता है, जिसे 'रणचूला' के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है, और यह मान्यता है कि यहां कत्यूरी राजाओं ने एक किला बनवाया था। गरुड़ गंगा और गोमती के संगम पर स्थित यह मंदिर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां की मान्यता के अनुसार, जगतगुरु शंकराचार्य ने भी यहां कत्यूरी राजाओं के साथ समय बिताया और बैजनाथ मंदिर की शिला की प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत की। बाद में यह मंदिर 'कोट की माई' के नाम से प्रसिद्ध हुआ और इसे देवी दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है।


जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल

जिलम झरना

जिलम झरना, बागेश्वर जिले के गोगिना गांव के पास स्थित एक सुंदर झरना है। यह झरना अपने प्राकृतिक सौंदर्य और सुनहरे रंग के पानी के लिए प्रसिद्ध है। दोपहर की रोशनी में यह झरना और भी मनमोहक हो जाता है, जिससे पर्यटकों का ध्यान आकर्षित होता है। नीचे जाकर यह रामगंगा में मिल जाता है और यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है।

अनाशक्ति आश्रम

महात्मा गांधी जी ने 1929 में इस स्थान का दौरा किया और यहां उन्होंने "अनाशक्ति योग" नामक पुस्तक की रचना की थी। इस आश्रम में उन्होंने 12 दिन बिताए थे और यहीं से कौसानी को "भारत का स्विट्जरलैंड" कहकर संबोधित किया। शांत वातावरण और पहाड़ों की खूबसूरती से भरा यह आश्रम अध्यात्म और शांति की खोज करने वालों के लिए अद्भुत स्थान है।

लक्ष्मी आश्रम

1948 में सरला बहन ने लक्ष्मी आश्रम की स्थापना की थी। सरला बहन का असली नाम कैथरीन हाइलामाइन था, और वे गांधी जी की शिष्या थीं। इस आश्रम में लड़कियों को शिक्षा, हस्तकला, और आत्मनिर्भरता के गुण सिखाए जाते हैं। यह स्थान महिलाओं के सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण है और उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में इस आश्रम का विशेष महत्व है।

पंत संग्रहालय

सुमित्रानंदन पंत, हिंदी साहित्य के महान कवि, को समर्पित पंत संग्रहालय में उनकी दैनिक वस्तुएं, कविताएं, पत्र, और पुरस्कार संजोए गए हैं। इस संग्रहालय में उनकी साहित्यिक धरोहर को संरक्षित किया गया है, जिससे साहित्य प्रेमियों को उनके जीवन और रचनाओं को नजदीक से समझने का मौका मिलता है।

ट्रेलपास दर्रा

ट्रेलपास दर्रा 1830 में दानपुर निवासी मलक सिंह बुड़ा की सहायता से कमिश्नर ट्रेल द्वारा खोजा गया था। यह दर्रा बागेश्वर जिले में स्थित है और साहसी यात्रियों और ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। कठिनाई भरे रास्ते और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक रोमांचक स्थल बनाते हैं।


जिले की प्रमुख पत्रिकाएँ और समाचार पत्र

बागेश्वर जिले में प्रकाशित होने वाले प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाएँ जिले के सामाजिक, सांस्कृतिक, और साहित्यिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • बागनाथ: यह 1972 में प्रकाशित होने वाला जिले का पहला समाचार पत्र है, जिसके संपादक यशपाल महरा जी थे। इस पत्र ने स्थानीय समस्याओं और घटनाओं को मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाई।

  • बागेश्वर संवाद

  • हिमालय के स्वर

  • सागोत्री

  • हिमालय बन्धु

  • हमारा पहाड़

ये समाचार पत्र और पत्रिकाएं स्थानीय संस्कृति, पर्यावरण, और सामाजिक मुद्दों को बढ़ावा देने में सहायक रही हैं।

FQCs (Frequently Asked Questions and Concise Answers) 


उत्तरायणी मेला

  1. उत्तरायणी मेला कब और कहाँ आयोजित होता है?
    उत्तरायणी मेला मकर संक्रांति या उत्तरायणी के अवसर पर नदियों के किनारे, विशेष रूप से सरयू और गोमती नदियों के तट पर आयोजित होता है।

  2. उत्तरायणी मेले का क्या महत्व है?
    यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जिसमें लोग स्नान, पूजन और स्थानीय हस्तकला, संगीत व नृत्य का आनंद लेते हैं।

  3. उत्तरायणी मेले में क्या गतिविधियाँ होती हैं?
    यहां धार्मिक अनुष्ठान, स्थानीय हस्तकला प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारंपरिक नृत्य का आयोजन किया जाता है।


कोट की माई का मेला

  1. कोट की माई का मेला कहाँ आयोजित होता है?
    कोट की माई का मेला कोट भ्रामरी मंदिर में आयोजित होता है।

  2. कोट की माई मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
    यह मंदिर एक प्राचीन किले के स्थान पर स्थित है जिसे कत्यूरी राजाओं ने बनवाया था और इसका संबंध शंकराचार्य के आगमन से भी है।

  3. कोट की माई का क्या धार्मिक महत्व है?
    यहां देवी दुर्गा के रूप में कोट की माई की पूजा होती है, जो लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।


जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल

  1. जिलम झरना कहां स्थित है?
    जिलम झरना बागेश्वर जिले के गोगिना गांव के पास स्थित है।

  2. अनाशक्ति आश्रम क्यों प्रसिद्ध है?
    महात्मा गांधी ने यहां "अनाशक्ति योग" पुस्तक की रचना की थी और इसे "भारत का स्विट्जरलैंड" कहा था।

  3. लक्ष्मी आश्रम की स्थापना कब और किसने की?
    लक्ष्मी आश्रम की स्थापना 1948 में सरला बहन ने की थी।

  4. पंत संग्रहालय का क्या महत्व है?
    यह संग्रहालय सुमित्रानंदन पंत की कविताओं, पत्रों और दैनिक वस्त्रों का संग्रह है।


जिले की प्रमुख नदियाँ

  1. सरयू नदी कहाँ से निकलती है और कहाँ मिलती है?
    सरयू नदी सरमूल से निकलती है और पंचेश्वर में काली नदी में मिलती है।

  2. गोमती नदी कहाँ से निकलती है और कहाँ संगम बनाती है?
    गोमती नदी भदकोट के पास वेणू पर्वत से निकलती है और बागेश्वर में सरयू नदी में मिलती है।

  3. पिंडारी नदी का स्रोत और संगम स्थल कौन से हैं?
    पिंडारी नदी पिण्डारी ग्लेशियर से निकलती है और कर्णप्रयाग में अलकनंदा में मिलती है।


जिले की प्रमुख पत्रिकाएं और समाचार पत्र

  1. बागेश्वर जिले का पहला समाचार पत्र कौन सा है?
    बागनाथ, जो 1972 में प्रकाशित हुआ था और इसका संपादन यशपाल महरा जी ने किया।

  2. जिले में प्रकाशित होने वाली अन्य प्रमुख पत्रिकाएं कौन-कौन सी हैं?
    बागेश्वर संवाद, हिमालय के स्वर, सागोत्री, हिमालय बन्धु, हमारा पहाड़ आदि प्रमुख हैं।



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