वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना (Veer Chandra Singh Garhwali Tourism Self-Employment Scheme)
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना: उत्तराखंड में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के निवासियों, विशेषकर युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में स्वरोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से "वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना" का शुभारंभ किया है। यह योजना राज्य के पर्यटन क्षेत्र में विकास के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत पर्यटन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार के साधन विकसित करने के लिए राजकीय सहायता प्रदान की जाती है।
योजना के मुख्य उद्देश्य
- स्वरोजगार को बढ़ावा देना: इस योजना का उद्देश्य राज्य के युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है, जिससे वे अपनी आजीविका को सशक्त बना सकें।
- पर्यटन क्षेत्र का विकास: राज्य के पर्यटन स्थलों को अधिक आकर्षक और सुविधायुक्त बनाना, ताकि अधिकाधिक पर्यटक आकर्षित हो सकें।
- स्थानीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार: इस योजना के माध्यम से स्थानीय संस्कृति, शिल्प और खान-पान को प्रोत्साहित करना, ताकि पर्यटक यहां की विशिष्टताओं का आनंद ले सकें।
योजना के प्रमुख अवयव
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों और परियोजनाओं को सम्मिलित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:
- परिवहन सुविधा: बस/टैक्सी परिवहन सुविधाओं का विकास, जिससे पर्यटकों को आसानी से यात्रा करने का साधन मिले।
- मोटर गैराज/वर्कशॉप: पर्यटकों के लिए वाहन रख-रखाव की सुविधा हेतु मोटर गैराज और वर्कशॉप का निर्माण।
- फास्टफूड सेंटर: स्थानीय व्यंजनों के प्रचार के लिए फास्टफूड सेंटर की स्थापना।
- योग ध्यान केंद्र: साधना कुटीर और योग ध्यान केंद्रों की स्थापना, जिससे पर्यटन में स्वास्थ्य और ध्यान को भी जोड़ा जा सके।
- मोटल और होटल: 8-10 कक्षीय मोटल या होटल जैसी आवासीय सुविधाओं का विकास।
- स्थानीय वस्तुओं के विक्रय केंद्र: स्थानीय हस्तशिल्प और प्रतीकात्मक वस्तुओं के विक्रय केंद्रों की स्थापना।
- साहसिक गतिविधियाँ: साहसिक खेलों के लिए उपकरण खरीदने की सुविधा।
- पर्यटन सूचना केंद्र: पीसीओ सुविधा युक्त आधुनिक पर्यटन सूचना केंद्रों की स्थापना।
- टेंट आवास: क्षेत्र के आकर्षणों को ध्यान में रखते हुए टेंटेज आवासीय सुविधाओं का विकास।
राजकीय सहायता की धनराशि
योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है, ताकि लाभार्थियों को व्यवसाय स्थापित करने में मदद मिल सके। इसके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- गैर-वाहन मद: पर्वतीय क्षेत्रों के लाभार्थियों के लिए पूंजी लागत का 33% या अधिकतम ₹15 लाख की सहायता प्रदान की जाती है, जो भी कम हो।
- वाहन मद: वाहन खरीद में सहायता हेतु पूंजी लागत का 25% या अधिकतम ₹10 लाख की सहायता प्रदान की जाती है, जो भी कम हो।
- बैंक ऋण और मार्जिन मनी: योजना की कुल लागत का 87.5% बैंक द्वारा ऋण के रूप में प्रदान किया जाएगा और शेष 12.5% उद्यमी द्वारा मार्जिन मनी के रूप में जमा की जाएगी।
राजकीय सहायता की धनराशि केवल योजना पूर्ण होने के उपरांत ही निर्गत की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना सफलतापूर्वक संचालित हो।
योजना के लाभ
- आर्थिक सशक्तिकरण: युवाओं को पर्यटन से जुड़े विभिन्न व्यवसायों में स्वरोजगार के अवसर मिलते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- पर्यटन को बढ़ावा: योजना के माध्यम से राज्य के पर्यटन स्थलों को और अधिक आकर्षक और सुविधाजनक बनाया जा सकता है।
- स्थानीय संस्कृति का प्रचार: फास्टफूड सेंटर और विक्रय केंद्रों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति और व्यंजन को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष: "वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना" उत्तराखंड में पर्यटन क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ती है और युवाओं को रोजगार के साथ-साथ अपने प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं को प्रोत्साहन देने का अवसर प्रदान करती है।
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वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना - FAQ (Frequently Asked Questions)
4. योजना में राजकीय सहायता की धनराशि क्या है?
- गैर-वाहन मद में: पर्वतीय क्षेत्रों में पूंजी लागत का 33% या अधिकतम ₹15 लाख (जो भी कम हो) सहायता दी जाती है।
- वाहन मद में: पूंजी लागत का 25% या अधिकतम ₹10 लाख (जो भी कम हो) सहायता दी जाती है।
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