गढ़वाल के द्वार कोटद्वार के निकटतम 5 प्रसिद्ध मंदिर
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित कोटद्वार, जो "गढ़वाल का द्वार" कहलाता है, एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यहां विभिन्न प्रसिद्ध मंदिर हैं जो न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए एक आकर्षण भी हैं। इन मंदिरों की पौराणिक महत्वता और भव्यता भक्तों को अपनी ओर खींचती है। आइए जानते हैं कोटद्वार के निकटस्थ पांच प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में:
1. सिद्धबली मंदिर
श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार |
सिद्धबली मंदिर, कोटद्वार से 3 किमी की दूरी पर स्थित है, और यह हनुमान जी का प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है। यह मंदिर खो नदी के तट पर स्थित है, जहां एक सिद्ध बाबा ने तपस्या करके हनुमान जी से सिद्धि प्राप्त की थी। यहां एक विशाल हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है, और मंदिर का नाम "सिद्धबली" पड़ा। मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को 150 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर के पास एक छोटा सा नदी का दृश्य भी बहुत आकर्षक होता है। विशेष रूप से मंगलवार और रविवार को भंडारे का आयोजन होता है।
कैसे पहुंचें: कोटद्वार में रेलवे स्टेशन और बस अड्डा है, और यहां से आप बस, टैक्सी या ऑटो द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
2. दुर्गा देवी मंदिर
दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल |
कोटद्वार से 11 किमी की दूरी पर स्थित दुर्गा देवी मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। यह मंदिर पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और यहां की गुफा में एक शिवलिंग स्थापित है। इस गुफा में मां दुर्गा की प्रतिमा चट्टानों से उभरी हुई है, और यहां एक निरंतर जलती ज्योति है। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर के आसपास हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण यहां की यात्रा शांति और मन की ताजगी का अनुभव कराती है।
3. ताड़केश्वर महादेव मंदिर
तारकेश्वर महादेव मंदिर (Tarakeshwar Mahadev Temple Pauri Garhwal) |
लैंसडाउन क्षेत्र में स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बलूत और देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है और यहां कई छोटे झरने भी बहते हैं। ताड़केश्वर महादेव मंदिर की मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव ने ताड़कासुर का वध किया, तो उन्होंने यहीं विश्राम किया था। इस मंदिर में एक कुंड भी है, जिसे माता लक्ष्मी ने खोदा था। महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष पूजा होती है और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
कैसे पहुंचें: मंदिर तक पहुँचने के लिए पैदल रास्ता है और यह लैंसडाउन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
4. महाबगढ़ मंदिर
श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर (महाबगढ़ महादेव) |
महाबगढ़ मंदिर कोटद्वार से 65 किमी दूर यम्केश्वर ब्लॉक में स्थित है। यह मंदिर महाबगढ़ पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है और यहां कई पौराणिक ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। महाबगढ़ मंदिर से आप हिमालय की प्रमुख चोटियों का दृश्य देख सकते हैं। यहां सूर्यास्त और सूर्योदय के अद्भुत दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां से आसपास के क्षेत्र की शानदार दृश्यावलियों का आनंद भी लिया जा सकता है।
5. भैरव गढ़ी मंदिर
भैरव गढ़ी मंदिर कालभैरव के सुप्रसिद्ध धाम के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर कीर्तिखाल की पहाड़ी पर स्थित है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यहां कालनाथ भैरव की पूजा की जाती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 2.5 किमी चढ़ाई करनी होती है। इस मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से लदी पहाड़ियों और हरियाली के कारण यह स्थान पर्यटकों को आकर्षित करता है।
कैसे पहुंचें: यहां पहुंचने के लिए चढ़ाई का रास्ता है और स्थानीय दुकानों से पूजा सामग्री खरीदी जा सकती है।
"कोटद्वार के निकटतम 5 प्रसिद्ध मंदिर" Frequently Asked Questions (FAQs)
1. सिद्धबली मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: सिद्धबली मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार शहर से 3 किमी की दूरी पर स्थित है, जो खो नदी के तट पर स्थित है।
2. सिद्धबली मंदिर के बारे में क्या विशेषता है?
उत्तर: सिद्धबली मंदिर हनुमान जी के सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भक्तों द्वारा स्थापित बजरंगबली की विशाल प्रतिमा के कारण प्रसिद्ध है, और यहां पर मनोकामना पूर्ण करने के लिए भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।
3. दुर्गा देवी मंदिर कहाँ स्थित है और इसकी विशेषता क्या है?
उत्तर: दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार से 11 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर एक गुफा में स्थित है, जहां एक चट्टान से उभरी हुई मां दुर्गा की प्रतिमा है। यह स्थान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, और नवरात्रि के समय भक्तों की भारी भीड़ यहाँ आती है।
4. ताड़केश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है?
उत्तर: ताड़केश्वर महादेव मंदिर कोटद्वार से लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा हुआ है, और यहाँ तक पहुँचने के लिए यात्रियों को पैदल मार्ग से यात्रा करनी पड़ती है।
5. महाबगढ़ मंदिर की महत्ता क्या है?
उत्तर: महाबगढ़ मंदिर यम्केश्वर ब्लॉक में स्थित है और इसे एक प्राचीन धार्मिक स्थल माना जाता है। यहाँ से आसपास के क्षेत्र के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं, और इसे खासकर श्रद्धालु विशेष रूप से सूर्यास्त और सूर्योदय के समय देखने के लिए आते हैं।
6. भैरव गढ़ी मंदिर कहाँ स्थित है और वहाँ जाने के लिए क्या मार्ग है?
उत्तर: भैरव गढ़ी मंदिर कोटद्वार से लगभग 38 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर कीर्तिखाल की पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए 2.5 किमी की चढ़ाई करनी पड़ती है।
7. क्या भैरव गढ़ी मंदिर में मनोकामना पूरी होती है?
उत्तर: हाँ, भैरव गढ़ी मंदिर को माना जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और इसके कारण यह स्थल बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ पर भक्त चांदी के छत्र चढ़ाते हैं।
8. कोटद्वार के निकटतम मंदिरों में से सबसे प्राचीन कौन सा है?
उत्तर: दुर्गा देवी मंदिर को प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक माना जाता है और इसका इतिहास बहुत पुराना है।
9. इन मंदिरों में जाने के लिए कौन से धार्मिक पर्व उपयुक्त हैं?
उत्तर: इन मंदिरों में जाने के लिए नवरात्रि, महाशिवरात्रि, और विशेष रूप से श्रावण मास के सोमवार और मंगलवार उपयुक्त हैं। इस दौरान भक्तों की संख्या अधिक रहती है और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
10. इन मंदिरों तक पहुँचने के लिए सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध है?
उत्तर: हाँ, कोटद्वार में रेलवे स्टेशन और बस अड्डा हैं, जिससे आप इन मंदिरों तक बस, टैक्सी, या ऑटो के माध्यम से आसानी से पहुँच सकते हैं।
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