अनसूया माता मंदिर: यहां बच्चे बन गए थे ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जानिए मान्यता (Anasuya Mata Temple: Brahma, Vishnu and Mahesh became children here, know the belief)

अनसूया माता मंदिर: यहां बच्चे बन गए थे ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जानिए मान्यता

परिचय:

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित अनसूया माता मंदिर एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का स्थल है। यह मंदिर देवी अनसूया को समर्पित है और हर वर्ष दत्तात्रेय जयंती पर यहाँ मेला आयोजित किया जाता है। इस मेला के दौरान संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपत्तियों का भी तांता लगता है। मान्यता है कि माता अनसूया के तप के कारण त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) शिशु रूप में परिवर्तित हो गए थे। इस ब्लॉग में हम इस पवित्र मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मान्यताएं और यात्रा मार्ग पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मंदिर की पौराणिक मान्यता:

अनसूया माता मंदिर का संबंध एक प्राचीन पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि देवी अनसूया का तप अत्यधिक प्रभावशाली था, जिसके कारण ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। त्रिदेवों ने माता अनसूया के पतिव्रत धर्म की परीक्षा लेने के लिए उन्हें एक चुनौती दी। त्रिदेवों ने शिशु रूप में आकर माता अनसूया से भोजन प्राप्त करने का आग्रह किया। अनसूया ने अपनी पवित्रता और तप के बल पर उन्हें शिशु रूप में बदल दिया और फिर उन्हें भोजन कराया।

इस पर पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती ने त्रिदेवों से उनके मूल रूप में लौटने की प्रार्थना की और देवी अनसूया ने फिर उन्हें उनके वास्तविक रूप में वापस लौटा दिया। इस घटना के बाद से माता अनसूया को अत्यधिक सम्मान और श्रद्धा मिली। यहीं से दत्तात्रेय भगवान का जन्म हुआ, जो त्रिदेवों का एक रूप माने जाते हैं।

मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग:

अनसूया माता मंदिर चमोली जिले के मंडल क्षेत्र में स्थित है, जो समुद्रतल से लगभग 6 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए पैदल मार्ग का ही उपयोग किया जाता है, जिससे श्रद्धालु पहाड़ी रास्तों का आनंद लेते हुए मंदिर तक पहुँचते हैं।

मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश से यात्रा शुरू करनी होगी। ऋषिकेश तक बस या ट्रेन से पहुँच सकते हैं। इसके बाद आप गोपेश्वर और श्रीनगर होते हुए मंडल पहुँच सकते हैं। मंडल से मंदिर तक लगभग 5 किलोमीटर की चढ़ाई पैदल करनी होती है। मार्ग में बुरांस और देवदार के पेड़ श्रद्धालुओं को शांति और सुकून का अनुभव कराते हैं।

दत्तात्रेय जयंती और मेला:

हर वर्ष दत्तात्रेय जयंती पर अनसूया मंदिर में मेला आयोजित किया जाता है, जो मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी और पूर्णिमा को लगता है। इस मेले में देशभर से लोग आते हैं और माता अनसूया और भगवान दत्तात्रेय की पूजा अर्चना करते हैं। मेला के दौरान संतान की कामना करने वाले दंपत्तियों का यहां खासा तांता लगता है, क्योंकि यह स्थान संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।

मंदिर परिसर में देवी अनसूया की भव्य पाषाण मूर्ति स्थित है, जिस पर चाँदी का छत्र रखा गया है। इसके अलावा, मंदिर में भगवान शिव, पार्वती, गणेश और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। यहाँ के आस-पास स्थित दत्तात्रेय मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की त्रिमुखी पाषाण मूर्ति प्रतिष्ठित है।

पौराणिक कथाएँ और श्रद्धा:

कहानी के अनुसार, जब अत्रि मुनि अपनी पत्नी अनसूया के साथ तपस्या कर रहे थे, तब अनसूया ने पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए यहां निवास किया। देवी अनसूया के तप का महिमा पूरी सृष्टि में गाई जाने लगी। तीनों देवियाँ – पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती – ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को विवश किया कि वे अनसूया की सतीत्व की परीक्षा लें। इस परीक्षा के बाद त्रिदेवों को शिशु रूप में बदल दिया गया और अंत में उनकी पूर्व अवस्था में वापसी हुई।

इसी स्थान पर त्रिदेवों के शिशु रूप का आनंद लिया गया और फिर से उन्हीं के साथ दत्तात्रेय भगवान का अवतार हुआ। यही कारण है कि इस मंदिर को 'दत्तात्रेय मंदिर' भी कहा जाता है।

यात्रा का अनुभव:

जब श्रद्धालु अनसूया माता मंदिर तक पहुँचते हैं, तो पहले उन्हें गणेश जी की भव्य मूर्ति के दर्शन होते हैं, जो एक शिला पर बनी है। यह मूर्ति प्राकृतिक रूप से यहाँ स्थित है। इस दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं को यहाँ की शांति और पवित्रता का अनुभव होता है। मंदिर तक पहुँचने के रास्ते में बुरांस, बांज और देवदार के जंगल से होते हुए एक अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव होता है।

मंदिर में पहुंचने के बाद श्रद्धालु देवी अनसूया की पूजा करते हैं और संतान की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर के आस-पास के इलाके में अमृत गंगा जलप्रपात और महर्षि अत्रि की गुफा जैसे आकर्षक स्थल भी स्थित हैं, जो पर्यटकों के लिए साहसिक और धार्मिक यात्रा का संगम बनाते हैं।

कैसे पहुँचें:

अनसूया माता मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश पहुँचना होगा। इसके बाद गोपेश्वर और मण्डल होते हुए आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं। मण्डल से मंदिर तक 5-6 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी होती है। यात्रा के दौरान गर्म कपड़े और दवाइयाँ साथ ले जाना जरूरी है क्योंकि यह क्षेत्र पहाड़ी है और मौसम में बदलाव आ सकता है।

निष्कर्ष:

अनसूया माता मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक अद्वितीय प्राकृतिक और ऐतिहासिक अनुभव भी प्रदान करता है। यहाँ की पवित्रता, तपस्या, और दत्तात्रेय भगवान का जन्म इसे एक महत्वपूर्ण स्थल बनाता है। यदि आप धार्मिक यात्रा पर जाना चाहते हैं और प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं, तो अनसूया माता मंदिर एक आदर्श स्थल है।

चित्र दीर्घा:

  1. अनसूया माता मंदिर का प्रांगण
  2. मंदिर के सामने का दृश्य
  3. महर्षि अत्रि की गुफा
  4. अमृत गंगा का जलप्रपात

ठहरने की व्यवस्था:

मंदिर के पास छोटे-छोटे लॉज और रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं, जहाँ श्रद्धालु और पर्यटक आराम से ठहर सकते हैं। इस क्षेत्र में इको-फ्रेंडली पर्यटन की आदर्श मिसाल देखने को मिलती है।

अंतिम विचार:

अनसूया माता मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थल प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यहां की यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाती है।

अनसूया माता मंदिर  Frequently Asked Questions (FAQs) 

1. अनसूया माता मंदिर कहाँ स्थित है?

अनसूया माता मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के मंडल क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर समुद्रतल से लगभग 6 किलोमीटर की ऊँचाई पर है और यहाँ तक पहुँचने के लिए पैदल यात्रा करनी होती है।

2. अनसूया माता मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

अनसूया माता मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश तक यात्रा करनी होगी। इसके बाद, आप गोपेश्वर और श्रीनगर होते हुए मंडल पहुँच सकते हैं। मंडल से मंदिर तक लगभग 5-6 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी होती है।

3. मंदिर में पूजा करने की प्रक्रिया क्या है?

मंदिर में पूजा करने के लिए श्रद्धालु देवी अनसूया की पवित्र मूर्ति के दर्शन करते हैं और संतान सुख की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहाँ दत्तात्रेय भगवान की मूर्ति भी है, जिनकी पूजा की जाती है।

4. अनसूया माता मंदिर की प्रमुख मान्यता क्या है?

मान्यता है कि देवी अनसूया का तप अत्यधिक प्रभावशाली था और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) शिशु रूप में माता अनसूया के पास आए थे। इस घटना के बाद दत्तात्रेय भगवान का अवतार हुआ और उन्हें त्रिदेवों का रूप माना गया। यह स्थल संतान प्राप्ति की कामना के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

5. क्या मंदिर में ठहरने की व्यवस्था है?

हाँ, मंदिर के पास छोटे-छोटे रेस्ट हाउस और लॉज उपलब्ध हैं जहाँ श्रद्धालु आराम से ठहर सकते हैं। यहाँ पर इको-फ्रेंडली पर्यटन की सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

6. अनसूया माता मंदिर का प्रमुख मेला कब लगता है?

अनसूया माता मंदिर में प्रमुख मेला दत्तात्रेय जयंती पर लगता है, जो हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी और पूर्णिमा को आयोजित होता है। इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु संतान सुख की प्राप्ति के लिए आते हैं।

7. क्या अनसूया माता मंदिर के आस-पास अन्य दर्शनीय स्थल हैं?

जी हाँ, अनसूया माता मंदिर के पास महर्षि अत्रि की गुफा, अमृत गंगा जलप्रपात और अन्य प्राकृतिक स्थल स्थित हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

8. अनसूया माता मंदिर में दर्शन के लिए विशेष समय क्या है?

मंदिर के दर्शन के लिए कोई विशेष समय नहीं है, लेकिन दत्तात्रेय जयंती के दौरान यहाँ विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। इस समय मंदिर में अधिक श्रद्धालु आते हैं।

9. क्या मंदिर में कोई विशेष पूजा विधि है?

मंदिर में पूजा विधि सरल है। श्रद्धालु देवी अनसूया और भगवान दत्तात्रेय की मूर्तियों के दर्शन करते हैं और उन्हें फूल, फल, दीपक अर्पित करते हैं। संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

10. मंदिर के पास खाने-पीने की सुविधाएँ उपलब्ध हैं?

मंदिर के पास छोटे-छोटे ढाबे और खानपान की सुविधाएँ उपलब्ध हैं जहाँ श्रद्धालु और पर्यटक हल्का-फुल्का भोजन कर सकते हैं। हालांकि, चढ़ाई करते समय अपने साथ पानी और खाने-पीने की चीज़ें ले जाना अच्छा रहेगा।

11. मंदिर तक पहुँचने में कितने घंटे लगते हैं?

मंदिर तक पहुँचने में लगभग 3-4 घंटे लग सकते हैं, यदि आप पैदल यात्रा करते हैं। यह यात्रा पहाड़ी रास्तों से होती है, इसलिए इसे आराम से तय करना चाहिए।

12. क्या अनसूया माता मंदिर में यात्रा करना मुश्किल है?

मंदिर तक पहुँचने के लिए चढ़ाई करनी होती है, जो शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है। यह मार्ग पहाड़ी है और श्रद्धालुओं को अपनी फिटनेस का ध्यान रखते हुए यात्रा करनी चाहिए।

13. क्या मंदिर में दर्शन करने के लिए टिकट लगता है?

नहीं, अनसूया माता मंदिर में दर्शन के लिए कोई शुल्क या टिकट नहीं लगता है। यह पूरी तरह से श्रद्धा और भक्ति से जुड़ा एक पवित्र स्थल है।

14. क्या अनसूया माता मंदिर में रात में रुक सकते हैं?

हाँ, मंदिर के पास रहने की व्यवस्था है, लेकिन यदि आप रात को रुकने का सोच रहे हैं, तो आपको पहले से आवास की बुकिंग करनी चाहिए।

15. अनसूया माता मंदिर में क्या खास है?

अनसूया माता मंदिर का खास आकर्षण उसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। यहाँ देवी अनसूया की तपस्या और त्रिदेवों की परीक्षा से जुड़ी एक प्रमुख कथा है। साथ ही, यह स्थल संतान सुख की कामना करने वालों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

टिप्पणियाँ