पौड़ी जिले में स्थित प्रमुख मंदिर | उत्तराखंड के धार्मिक स्थल (Major Temples in Pauri District | Religious Places in Uttarakhand)
पौड़ी जिले में स्थित प्रमुख मंदिर | उत्तराखंड के धार्मिक स्थल
उत्तराखंड का पौड़ी गढ़वाल जिला धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम केंद्र है। यहां स्थित विभिन्न मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और पौराणिक कथाओं के साथ जुड़े हुए हैं। इन मंदिरों में श्रद्धालु आकर अपने आस्थाओं को प्रगाढ़ करते हैं और इन स्थानों की शांति व सौंदर्य का अनुभव करते हैं। आइए जानते हैं पौड़ी जिले के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में:
श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर (महाबगढ़ महादेव) |
1. श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर पौड़ी से 1428 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बैऔलाद जोड़ों के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध है। मंदिर के चारों ओर फैले पहाड़ और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं। यहां एक प्रचलित किंवदंती है कि जब एक महिला ने अनजाने में शिवलिंग को नुकसान पहुंचाया था, तो दिव्य आवाज आई और मंदिर बनाने का निर्देश मिला।
2. माँ धारी देवी मंदिर
पौड़ी के पास स्थित यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। यहां मान्यता है कि धारी माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है – पहले लड़की, फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला। पौराणिक कथा के अनुसार एक भीषण बाढ़ में मंदिर बह गया था, और फिर देवी की मूर्ति पास के धारो गांव में एक चट्टान पर रुक गई थी।
माँ धारी देवी फोटो /Maa Dhari Devi photo |
3. नीलकंठ महादेव मंदिर
ऋषिकेश से 32 किमी दूर स्थित इस मंदिर का महत्व अत्यधिक है। यहां भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था, जिसके कारण उनका गला नीला हो गया और उन्हें 'नीलकंठ' नाम से जाना गया। यह स्थान धार्मिक उत्साह और पौराणिक महत्व से भरपूर है।
4. माँ ज्वाल्पा देवी मंदिर
यह शक्तिपीठ देवी दुर्गा को समर्पित है और पौड़ी-कोटद्वार मोटर मार्ग पर स्थित है। दूर-दूर से लोग नवरात्रों में विशेष पूजा के लिए आते हैं। मंदिर के पास विश्रामगृह और धर्मशाला की सुविधा भी उपलब्ध है।
5. नागदेव मंदिर
यह मंदिर पौड़ी-बुबाखाल रोड पर स्थित है और घने पाइन और रोडोडेंड्रन के जंगलों से घिरा हुआ है। यहाँ से हिमालय की शानदार पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्य देखने को मिलता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 1.5 किमी का ट्रेक किया जा सकता है।
6. क्यूंकालेश्वर मंदिर
यह आठवीं शताब्दी में स्थापित शिव मंदिर है, जिसे शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान के रूप में स्थापित किया था। यह मंदिर पौड़ी और आसपास के क्षेत्रों में अत्यधिक प्रसिद्ध है और यहां भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा होती है।
7. कंडोलिया मंदिर
यह शिव मंदिर कंडोलिया पहाड़ियों पर स्थित है और यहां से पौड़ी शहर और गंगावार्सुई घाटी का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। मंदिर के पास कंडोलिया पार्क है, जहां लोग गर्मियों में खेलने और आनंद लेने आते हैं।
8. कालिंका मंदिर
यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बिरोंखाल ब्लॉक में स्थित है। मंदिर सदियों से अस्तित्व में है और हाल ही में इसका नवीनीकरण किया गया है।
9. कोटमहादेव मंदिर
यह मंदिर पौराणिक महत्व रखता है और बाल्मीकेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान तीन नदियों के संगम पर स्थित है और रामायण काल से जुड़ा हुआ है।
10. सोम का मांडा
श्रीनगर से लगभग 25 किमी दूर स्थित सोम का मांडा, गढ़वाल के पूर्व नरेशों का न्यायालय रहा है। यहां मिले शिलालेख आज भी रहस्य बने हुए हैं, जिन्हें आज तक पढ़ा नहीं जा सका।
11. कंश मर्दनी मंदिर
यह मंदिर श्रीनगर में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार से जुड़ी एक पौराणिक कथा के कारण प्रसिद्ध है।
12. केशोराय मठ मंदिर
यह मठ 1672 में केशोराय द्वारा बनवाया गया था और यह अलकनंदा तट पर स्थित है। मठ का एक ऐतिहासिक महत्व है, और 1894 में आई बाढ़ के कारण यह मठ रेत में दब गया था।
13. राजराजेश्वरी देवी मंदिर
राजा अजयपाल द्वारा 14वीं शताब्दी में बनवाया गया यह मंदिर गढ़वाली शैली में बना हुआ है। यहां देवी राजराजेश्वरी की स्वर्ण प्रतिमा सबसे सुंदर मानी जाती है।
14. भैरव गढ़ी मंदिर
यह मंदिर कालनाथ भैरव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। लैंसडाउन से 17 किमी दूर कीर्तिखाल की पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
15. सिद्ध बलि मंदिर
यह मंदिर कोटद्वार कस्बे से 3 किमी दूर खोह नदी के किनारे स्थित है। यह एक पौराणिक स्थल है, जहां हनुमान की सिद्धि प्राप्त की गई थी।
16. कमलेश्वर मंदिर
यह मंदिर श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है और यहां शिवरात्रि, मेले और सोमवार को भक्तों की भीड़ लगती है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
17. कैलाश निकेतन और अन्य मंदिर
पौड़ी जिले में कैलाश निकेतन, स्वर्गाश्रम मंदिर, दुर्गादेवी मंदिर, और शंकरमठ जैसे मंदिर भी स्थित हैं, जो धार्मिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं।
1. कोटेश्वर महादेव मंदिर (Koteshwar Mahadev Temple)
प्रश्न: कोटेश्वर महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: यह मंदिर पौड़ी जिले के 1428 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह हरिद्वार, हिमालय पर्वतमाला और सिद्ध पीठ मेदानपुरी देवी मंदिर से घिरा हुआ है।
प्रश्न: कोटेश्वर महादेव मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
उत्तर: माना जाता है कि यहां शिवलिंग की खुदाई के दौरान एक महिला ने अनजाने में शिवलिंग को चोट पहुँचाई, जिसके बाद एक दिव्य आवाज सुनाई दी, और इस मंदिर का निर्माण किया गया।
2. माँ धारी देवी मंदिर (Maa Dhari Devi Temple)
प्रश्न: धारी देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: यह मंदिर पौड़ी जिले के धारी गांव में स्थित है। यह देवी काली को समर्पित एक महत्वपूर्ण मंदिर है।
प्रश्न: धारी देवी की मूर्ति के बारे में कोई रोचक कथा है?
उत्तर: स्थानीय मान्यता है कि यहाँ की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है—पहले लड़की, फिर महिला और अंत में बुजुर्ग महिला।
3. नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple)
प्रश्न: नीलकंठ महादेव मंदिर कहां है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह मंदिर ऋषिकेश से 32 किलोमीटर दूर स्थित है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए विष को पिया, जिससे उनका गला नीला हो गया, और उन्हें 'नीलकंठ' कहा गया।
4. माँ ज्वाल्पा देवी मंदिर (Maa Jwalpa Devi Temple)
प्रश्न: माँ ज्वाल्पा देवी मंदिर का स्थान और महत्व क्या है?
उत्तर: यह मंदिर पौड़ी-कोटद्वार मोटर सड़क पर स्थित है और देवी दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रों के दौरान यहाँ विशेष पूजा होती है, और दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।
5. नागदेव मंदिर (Nagdev Temple)
प्रश्न: नागदेव मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: यह मंदिर पौड़ी-बुबाखाल रोड पर पाइन और रोडोडेंड्रन के घने जंगलों के बीच स्थित है।
प्रश्न: नागदेव मंदिर का महत्व क्या है?
उत्तर: इस मंदिर के रास्ते में एक वेधशाला स्थापित की गई है, जहां से हिमालय पर्वतमाला के शानदार दृश्य देखे जा सकते हैं।
6. क्यूंकालेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Temple)
प्रश्न: क्यूंकालेश्वर मंदिर का इतिहास क्या है?
उत्तर: इस शिव मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी में शंकराचार्य ने की थी, और यह पौड़ी और आसपास के क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्ध है।
7. कंडोलिया मंदिर (Kandoliya Temple)
प्रश्न: कंडोलिया मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: यह मंदिर कंडोलिया पहाड़ियों पर स्थित है, और यहां एक खूबसूरत पार्क और एशिया का सबसे ऊंचा स्टेडियम रान्शी भी है।
8. कालिंका मंदिर (Kalinka Temple)
प्रश्न: कालिंका मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और उत्तराखंड के बिरोंखाल ब्लॉक में स्थित है। यह मंदिर सदियों पुराना है और हाल ही में नवीनीकरण किया गया है।
9. सोम का मांडा (Som Ka Manda)
प्रश्न: सोम का मांडा कहाँ स्थित है और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह ऐतिहासिक स्थल देवलगढ़ के पास स्थित है। यह गढ़वाल के पूर्व नरेशों के न्यायालय के रूप में प्रसिद्ध है।
10. भैरव गढ़ी मंदिर (Bhairav Garhi Temple)
प्रश्न: भैरव गढ़ी मंदिर का महत्व क्या है?
उत्तर: यह मंदिर गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है और यहां कालनाथ भैरव की पूजा की जाती है। मंदिर में ताम्रपत्र का चढ़ाना भी एक खास परंपरा है।
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