चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार: प्राचीनता और आध्यात्मिकता का संगम (Chandi Devi Temple, Haridwar: A Confluence of Antiquity and Spirituality)
चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार: प्राचीनता और आध्यात्मिकता का संगम
नील पर्वत पर स्थित चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। देवी चंडी को समर्पित यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए रोपवे सेवा का उपयोग किया जा सकता है, जिसे “उड़न खटोला” कहा जाता है। यह सेवा तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित और रोमांचक अनुभव प्रदान करती है।
मंदिर का इतिहास
चंडी देवी मंदिर का निर्माण 1929 में कश्मीर के राजा सुचात सिंह ने करवाया था। हालाँकि, इस मंदिर में स्थापित देवी चंडी की मूर्ति का इतिहास और भी पुराना है। यह माना जाता है कि 8वीं शताब्दी में हिंदू धर्म के महान संत आदि शंकराचार्य ने इस मूर्ति की स्थापना की थी।
यह मंदिर नील पर्वत तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है और हरिद्वार के पंच तीर्थ में शामिल है। देवी चंडी की कहानी महिषासुर, शुंभ-निशुंभ और चंड-मुंड जैसे राक्षसों के विनाश की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है।
मंदिर तक पहुँचने का मार्ग
चंडी देवी मंदिर हरिद्वार के प्रमुख स्थलों से आसानी से पहुँचने योग्य है:
रोपवे सेवा (उड़न खटोला): यह मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक और रोमांचक माध्यम है। रोपवे से मंदिर तक पहुँचने में केवल 5 मिनट का समय लगता है।
ट्रेकिंग मार्ग: आप चंडीघाट से 3 किलोमीटर लंबी चढ़ाई कर भी मंदिर पहुँच सकते हैं। हालाँकि, यह मार्ग अधिक समय लेने वाला और थकाने वाला है।
रोपवे सेवा की विशेषताएँ
चंडी देवी रोपवे सेवा दक्षिण एशिया में अपनी तरह का आधुनिक रोपवे है। इसका संचालन 1997 में शुरू हुआ और यह 740 मीटर लंबा है। यह तीर्थयात्रियों को निचले स्टेशन से सीधे नील पर्वत की ऊँचाई (208 मीटर) पर स्थित मंदिर तक ले जाता है। यह सेवा मनसा देवी मंदिर के लिए भी उपलब्ध है।
चंडी देवी मंदिर की मान्यताएँ
चंडी देवी मंदिर को एक सिद्ध पीठ माना जाता है, जहाँ भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। विशेष रूप से नवरात्रि और कुंभ मेले के दौरान यहाँ हजारों भक्त देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती के दो रूप – मनसा देवी और चंडी देवी हमेशा एक-दूसरे के पास रहते हैं। यह मान्यता मनसा देवी मंदिर और चंडी देवी मंदिर के स्थान पर भी सत्य प्रतीत होती है।
मंदिर का संचालन और दर्शन का समय
मंदिर का समय: मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है।
आरती का समय: सुबह 5:30 बजे आरती होती है।
नियम: मंदिर परिसर में चमड़े के सामान, मांसाहारी भोजन और मादक पेय पदार्थों पर सख्त प्रतिबंध है।
निकटवर्ती स्थल
हनुमानजी की माता अंजना का मंदिर: यह चंडी देवी मंदिर के समीप स्थित है।
नीलेश्वर मंदिर: यह नील पर्वत की तलहटी में स्थित है।
हर की पौड़ी: यह मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है।
यात्रा मार्गदर्शिका
निकटतम हवाई अड्डा: 41 किलोमीटर – जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून।
निकटतम रेलवे स्टेशन: 4.3 किलोमीटर – हरिद्वार रेलवे स्टेशन।
अन्य चंडी देवी मंदिर
भारत में कई अन्य स्थानों पर भी चंडी देवी के मंदिर स्थित हैं, जैसे:
चंडी मंदिर, चंडीगढ़।
गंडकी चंडी, नेपाल।
सप्तश्रंगी मंदिर, महाराष्ट्र।
कटक चंडी मंदिर, उड़ीसा।
निष्कर्ष
चंडी देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राचीनता और आध्यात्मिकता का संगम भी है। हरिद्वार आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यह एक अनिवार्य स्थान है। देवी चंडी का आशीर्वाद लेने और नील पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए यह मंदिर अवश्य जाएँ।
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