चितई गोलू देवता मंदिर, अल्मोड़ा:
चितई गोलू मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो अल्मोड़ा से लगभग 8 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर का नाम गोलू देवता से जुड़ा हुआ है, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के गौर भैरव रूप की पूजा की जाती है। चितई मंदिर को विशेष रूप से इसकी लटकी तांबे की घंटियों से पहचाना जा सकता है, जो भक्तों द्वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति के बाद चढ़ाई जाती हैं।
गोलू देवता को आम तौर पर न्याय का भगवान माना जाता है, और यह मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में आकर पूजा करता है, उसे गोलू देवता न्याय प्रदान करते हैं और उसकी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
मंदिर से जुड़ी मान्यताएँ:
- मनोकामना पूरी होने पर घंटी चढ़ाई जाती है: चितई गोलू देवता मंदिर की मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना के लिए पूजा करता है और उसकी इच्छा पूरी हो जाती है, तो वह मंदिर में आकर एक घंटी चढ़ाता है।
- गोलू देवता की पूजा: गोलू देवता को उत्तराखंड में कई नामों से पुकारा जाता है, जिनमें से एक गौर भैरव भी है। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है।
- मंदिर में घंटियों का संग्रह: इस मंदिर में लाखों घंटियाँ लटकी हुई हैं। यह घंटियाँ भक्तों द्वारा तब चढ़ाई जाती हैं जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इस मंदिर में घंटियों का अत्यधिक संग्रह है, जिसे देखकर यह समझा जा सकता है कि यहां सभी भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं।
चितई गोलू देवता की कथा:
गोलू देवता के बारे में एक प्रमुख कथा है जो उनके न्यायप्रिय स्वभाव को दर्शाती है। यह कथा इस प्रकार है: गोलू महाराज का जन्म राजा झाल राय की रानी कलिका से हुआ था। जब वे बालक थे, तो उनकी अन्य रानियों ने उन्हें नदी के किनारे छोड़ दिया था। एक मछुआरे ने उनकी जान बचाई। बाद में, जब गोलू महाराज बड़े हुए, तो उन्होंने राजा की रानियों को दंडित किया और उन्हें राजा बना दिया। गोलू महाराज ने अपने न्यायप्रिय स्वभाव से नाम कमाया और आज वे गोलू देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
मंदिर का गर्भगृह:
चितई गोलू देवता मंदिर का गर्भगृह विशेष रूप से आकर्षक है। यहां गोलू देवता की मूर्ति श्वेत अश्व पर सवार है, और उनके हाथों में धनुष-बाण हैं। भक्तगण यहां आकर अपनी समस्याओं के बारे में गोलू देवता से प्रार्थना करते हैं। इस पूजा के बाद, अगर भक्त की इच्छा पूरी हो जाती है, तो वे धन्यवाद स्वरूप मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं।
घंटियाँ और मन्नतें:
चितई गोलू मंदिर में लटकी घंटियाँ इस मंदिर की पहचान हैं। इन घंटियों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि गोलू देवता के भक्त अपनी इच्छाओं को पूरा होने पर इन घंटियों को चढ़ाते हैं। यहां तक कि लोग स्टांप पेपर पर लिखकर अपने लिए न्याय मांगते हैं और ये चिट्ठियाँ मंदिर में लटकाई जाती हैं। मंदिर में इन चिट्ठियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो इस बात का प्रतीक है कि लोग गोलू देवता से न्याय प्राप्त करने के लिए आते हैं।
मंदिर में घंटियों का संग्रह:
मंदिर में लटकी घंटियाँ बहुत ही अद्भुत हैं। यहां पर छोटे से लेकर बड़े आकार की घंटियाँ लटक रही हैं। ये घंटियाँ गोलू देवता के प्रति श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं। मंदिर के हर कोने में घंटियाँ लटकी हुई हैं और एक विशाल घंटा तो तोरण से लटक रहा है, जो दर्शाता है कि यह मंदिर हर भक्त की इच्छा पूरी करता है।
चितई गोलू देवता के मंदिर का महत्व:
गोलू देवता को शिव और कृष्ण का अवतार माना जाता है। इस मंदिर की मान्यता केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों से भी लोग न्याय के लिए यहां आते हैं। चितई गोलू देवता का मंदिर न्याय की देवी के रूप में पूजा जाता है, और यहां के घंटियों को देखकर यह महसूस होता है कि हर किसी की मन्नत पूरी होती है।
चितई गोलू मंदिर कैसे पहुंचें:
- वायुमार्ग: अल्मोड़ा का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर में स्थित है, जो चितई गोलू मंदिर से लगभग 135 किलोमीटर और अल्मोड़ा से 127 किलोमीटर दूर है।
- रेलमार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो मंदिर से लगभग 98 किलोमीटर दूर स्थित है।
- सड़क मार्ग: चितई गोलू मंदिर सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप टैक्सी या निजी वाहन से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
गोलू देवता का मंदिर एक अद्भुत स्थल है, जहां न केवल पूजा की जाती है बल्कि यहां की मान्यताएं और परंपराएं भी लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखती हैं। यह जगह न्याय, विश्वास और आस्था का प्रतीक बन चुकी है।
(Frequently Asked Questions, FAQs) दिए गए हैं:
1. चितई गोलू मंदिर कहाँ स्थित है?
- चितई गोलू मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जो अल्मोड़ा से लगभग 8 किमी दूर है।
2. गोलू देवता कौन हैं?
- गोलू देवता को न्याय का भगवान माना जाता है। उन्हें भगवान शिव और भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है और उन्हें गौर भैरव के रूप में पूजा जाता है।
3. चितई गोलू मंदिर की प्रसिद्धि क्या है?
- चितई गोलू मंदिर प्रसिद्ध है इसके मंदिर परिसर में लटकी तांबे की घंटियों के लिए, जो भक्तों द्वारा मनोकामना पूरी होने पर चढ़ाई जाती हैं। यह मंदिर न्याय का देवता होने के कारण जाना जाता है, जहाँ लोग न्याय की कामना करने आते हैं।
4. क्या गोलू देवता को न्याय देने का विश्वास सही है?
- हाँ, गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि गोलू देवता उनकी दुविधाओं का समाधान करते हैं और उन्हें न्याय मिलता है।
5. मनोकामना पूरी होने पर क्या करना चाहिए?
- जब भक्त की मनोकामना पूरी होती है, तो वे मंदिर में एक नई घंटी चढ़ाते हैं, जो यहाँ की एक प्रमुख परंपरा है।
6. मंदिर में घंटियाँ क्यों लटकाई जाती हैं?
- भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटियाँ चढ़ाते हैं। इन घंटियों की संख्या लगातार बढ़ती रहती है और यह मंदिर की एक पहचान बन चुकी है।
7. गोलू देवता की कथा क्या है?
- गोलू देवता की कथा के अनुसार, वे राजा झाल राय के बेटे थे, जिन्हें उनकी सौतेली मां ने नदी में छोड़ दिया था। एक मछुआरे ने उनकी रक्षा की और वे बाद में राजा बन गए। उन्हें उनके न्यायप्रिय स्वभाव के लिए पूजा जाता है।
8. मंदिर में न्याय के लिए क्या लिखना होता है?
- भक्त मंदिर में चिट्ठी लिखकर अपनी इच्छाओं और न्याय की मांग करते हैं। कुछ लोग तो स्टांप पेपर पर लिखकर भी अपनी मनोकामना और न्याय की मांग करते हैं।
9. चितई गोलू मंदिर में कैसे पहुँचें?
- हवाई मार्ग: पंतनगर हवाई अड्डा (135 किमी दूर) है।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है (98 किमी दूर)।
- सड़क मार्ग: चितई गोलू मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और यह जगह कार, टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुँची जा सकती है।
10. क्या चितई गोलू मंदिर में विदेशी भक्त भी आते हैं?
- हाँ, चितई गोलू मंदिर की मान्यता सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। विदेशों से भी भक्त यहाँ न्याय की कामना करने आते हैं।
11. गोलू देवता की पूजा में क्या विशेष है?
- गोलू देवता की पूजा में भक्त अपनी मनोकामनाओं को लेकर चिट्ठियाँ लिखते हैं, जिन्हें मंदिर में लटकाया जाता है। मंदिर में घंटियों का संग्रह भी बहुत प्रसिद्ध है, जो न्याय की प्रतीक मानी जाती हैं।
12. क्या नए विवाहित जोड़े के लिए भी कोई विशेष मान्यता है?
- हाँ, यह माना जाता है कि अगर कोई नवविवाहित जोड़ा इस मंदिर में दर्शन करने आता है, तो उनका रिश्ता सात जन्मों तक स्थिर रहता है।
13. चितई गोलू मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
- हालांकि मंदिर के निर्माण की कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, परंतु पुजारियों के अनुसार इसका निर्माण 19वीं सदी के पहले दशक में हुआ था।
14. चितई गोलू मंदिर में घंटियों की संख्या कितनी है?
- मंदिर में लटकी घंटियों की संख्या इतनी अधिक है कि आज तक इसका कोई सटीक आंकड़ा नहीं लगाया जा सका है। इन घंटियों का संग्रह एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
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