गैराड़ गोलू देवता: कुमाऊं की न्याय के देवता की अद्भुत कथा और स्थल (Gairad Golu Devta: The Amazing Legend and Location of Kumaon's God of Justice)
गैराड़ गोलू देवता: कुमाऊं की न्याय के देवता की अद्भुत कथा और स्थल
गोलू देवता कुमाऊं क्षेत्र के प्रमुख और पौराणिक देवता हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वह गौर भैरव (शिव) के अवतार हैं, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। उनका मंदिर डाना गोलू, बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य के मुख्य द्वार से लगभग 2 किमी और अल्मोड़ा से लगभग 15 किमी दूर स्थित है। यह स्थान कुमाऊं क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध और श्रद्धेय धार्मिक स्थलों में से एक है।
गोलू देवता का इतिहास और उत्पत्ति
गोलू देवता की उत्पत्ति का संबंध श्री कल्याण सिंह बिष्ट (कलबिष्ट) से है। कल्याण सिंह बिष्ट का जन्म कुमाऊं के पाटिया गांव में हुआ था, जहाँ वह एक प्रसिद्ध पशुपालक और गांव के हीरे के रूप में पहचाने जाते थे। उनकी बहादुरी और न्यायप्रियता ने उन्हें क्षेत्र में विशेष सम्मान दिलवाया।
कलबिष्ट ने अपनी छोटी सी उम्र में कुमाऊं क्षेत्र के सभी शैतानों और दुष्टों का सफाया कर दिया और हमेशा गरीबों और पीड़ितों की मदद की। लेकिन एक दिन उनके निकट रिश्तेदार ने उन पर विश्वासघात किया और उन्हें हत्या कर दी। उनका सिर पाटिया के दीवान द्वारा काटा गया और उनका शरीर डाना गोलू में गिरा। इस प्रकार गोलू देवता का स्थान वही बन गया, जहां उनका शरीर गिरा था।
कलबिष्ट की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को देवता के रूप में पूजा जाने लगा और उन्हें न्याय के देवता के रूप में माना गया। इस प्रकार डाना गोलू मंदिर, जो उनका प्राचीन स्थल है, कुमाऊं क्षेत्र के सबसे पवित्र और सम्मानित स्थानों में से एक बन गया।
गोलू देवता का पूजा और श्रद्धा
गोलू देवता को कुमाऊं के विभिन्न गांवों में इष्ट देवता के रूप में पूजा जाता है। वह मुख्य रूप से न्याय के देवता माने जाते हैं और उनकी पूजा में विशेष रूप से सफेद कपड़े, सफेद पगड़ी और शॉल चढ़ाए जाते हैं। भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए घंटियाँ चढ़ाते हैं और उनके मंदिर में हज़ारों घंटियाँ लटकी हुई देखी जा सकती हैं। इन घंटियों को भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद चढ़ाते हैं, और ये घंटियाँ देवता की कृपा का प्रतीक मानी जाती हैं।
गोलू देवता के मंदिरों की संख्या कुमाऊं क्षेत्र में बहुत है, और सबसे प्रसिद्ध मंदिर डाना गोलू (बिनसर), चितई, चंपावत और घोड़ाखाल में स्थित हैं। कहा जाता है कि गोलू देवता अपने भक्तों को त्वरित न्याय देते हैं, और इसलिए उनकी पूजा में विशेष आस्था है।
गैरार गोलू देवता की अद्भुत कथा
गैरार गोलू देवता, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कुमाऊं के चंपावत क्षेत्र के सर्वोच्च देवता गोलू देवता के छोटे भाई हैं, उनके मंदिर का इतिहास भी बहुत ही दिलचस्प है। यह मंदिर बिनसर वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु गोलू देवता की पूजा करते हुए सफेद वस्त्र, पगड़ी और शॉल चढ़ाते हैं, जो देवता के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक होते हैं।
गोलू देवता को लेकर एक लोकप्रिय मान्यता है कि वह भक्तों को शीघ्र न्याय प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में किसी न्यायिक समस्या या कष्ट से परेशान है, तो वह गोलू देवता के मंदिर में जाकर अपनी प्रार्थनाएँ करता है और अपनी मनोकामना पूरी होने पर घंटियाँ चढ़ाता है।
गैरार गोलू देवता मंदिर का भ्रमण
गैरार गोलू देवता मंदिर, बिनसर वन्यजीव अभयारण्य के करीब होने के कारण, एक आकर्षक स्थल है। यहाँ का वातावरण शांत और पवित्र है, जो भक्तों के मन को शांति प्रदान करता है। बिनसर का मौसम साल भर सुहावना रहता है, और यहाँ का तापमान 0°C से 30°C के बीच रहता है। ग्रीष्म ऋतु और सर्दियों के शुरुआती मौसम में यह स्थान यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
ग्रीष्म ऋतु (अप्रैल से जून): इस मौसम में बिनसर का तापमान 30°C तक पहुँच सकता है, लेकिन यह मौसम भ्रमण के लिए काफी सुखद रहता है।
मानसून (जुलाई से सितंबर): इस दौरान यहाँ मध्यम वर्षा होती है, और मौसम शांत और सुहावना रहता है। यदि आप मानसून के दौरान यहाँ आना चाहें तो यह भी एक अच्छा समय हो सकता है।
निष्कर्ष
गैरार गोलू देवता का मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह कुमाऊं की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। यहां के भक्तों की आस्था और विश्वास से यह मंदिर और भी पवित्र बन गया है। यदि आप उत्तराखंड यात्रा पर हैं तो गोलू देवता के दर्शन जरूर करें, क्योंकि यह आपके मन को शांति और न्याय की अनुभूति देगा।
FQCs (Frequently Asked Questions)
1. गोलू देवता कौन हैं?
गोलू देवता कुमाऊं क्षेत्र के एक प्रसिद्ध भगवान हैं जिन्हें न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनका अवतार गौर भैरव (भगवान शिव) के रूप में माना जाता है, और उन्हें विशेष रूप से न्याय देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है।
2. गोलू देवता का मंदिर कहाँ स्थित है?
गोलू देवता के प्रमुख मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित हैं। सबसे प्रसिद्ध मंदिर डाना गोलू (गैराड गोलू) है, जो बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य के पास स्थित है। इसके अलावा, चितई, चंपावत और घोड़ाखाल में भी गोलू देवता के मंदिर हैं।
3. गोलू देवता की पूजा का महत्व क्या है?
गोलू देवता की पूजा विशेष रूप से न्याय की इच्छा करने वाले भक्तों द्वारा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि वे अपने भक्तों को त्वरित न्याय प्रदान करते हैं। पूजा में भक्त गोलू देवता को सफेद कपड़े, पगड़ी और शॉल अर्पित करते हैं और मनोकामनाएं पूरी होने पर घंटियाँ चढ़ाते हैं।
4. गोलू देवता के मंदिर में घंटियाँ क्यों चढ़ाई जाती हैं?
गोलू देवता के मंदिर में घंटियाँ चढ़ाने की परंपरा है क्योंकि भक्तों का विश्वास है कि देवता उनकी इच्छाओं को पूरा करने के बाद उनकी तरफ से घंटियाँ अर्पित करने के लिए प्रेरित करते हैं। मंदिर में हजारों घंटियाँ लटकी होती हैं, जो भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक हैं।
5. गोलू देवता से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
गोलू देवता की कथा के अनुसार, उनका असली नाम कलबिष्ट (कल्याण सिंह बिष्ट) था। उन्हें धोखे से मारा गया और उनका शरीर डाना गोलू में गिरा जबकि उनका सिर कुछ किलोमीटर दूर कपडखान में गिरा। बाद में, उनकी पूजा देवता के रूप में शुरू हुई। वे एक पशुपालक थे और अपनी भैंसों के साथ जंगलों में जाते थे।
6. गैरार गोलू देवता मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
बिनसर का मौसम सालभर सुहावना रहता है, लेकिन ग्रीष्म ऋतु (अप्रैल से जून) और सर्दियों का शुरुआती मौसम (नवंबर से दिसंबर) यहाँ घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। इन मौसमों में तापमान सुहावना और यात्रा के लिए उपयुक्त रहता है।
7. गोलू देवता की पूजा में क्या विशेष सामग्री अर्पित की जाती है?
गोलू देवता को पूजा के दौरान मुख्य रूप से सफेद कपड़े, सफेद पगड़ी, और सफेद शॉल अर्पित किए जाते हैं। इसके अलावा, भक्त अपनी इच्छाओं के पूरा होने पर मंदिर में घंटियाँ भी चढ़ाते हैं।
8. गोलू देवता के मंदिर में लिखित याचिकाएं क्यों दी जाती हैं?
भक्त अक्सर अपनी समस्याओं का समाधान पाने और न्याय की इच्छा को लेकर गोलू देवता के मंदिर में लिखित याचिकाएं अर्पित करते हैं। ये याचिकाएं देवता के पास भेजी जाती हैं, और भक्तों का विश्वास होता है कि देवता उनकी समस्याओं का हल जल्दी देंगे।
9. गोलू देवता का इतिहास क्या है?
गोलू देवता का इतिहास उनके जन्म से जुड़ा हुआ है, जो कुमाऊं के पाटिया गांव में हुआ था। उन्हें अपने कुटुंब से धोखे से मारा गया था और बाद में उनकी पूजा शुरू हुई। उन्हें न्याय, वीरता, और गरीबों की मदद करने वाला देवता माना जाता है।
10. गोलू देवता से जुड़ी अन्य प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
गोलू देवता को आमतौर पर न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनका विश्वास है कि वे अपने भक्तों को शीघ्र न्याय प्रदान करते हैं। इसके अलावा, उन्हें पशुओं के रक्षक के रूप में भी पूजा जाता है क्योंकि वे एक पशुपालक थे।
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