गणनाथ - असीम ऊर्जा का स्रोत : हिमवाण : कुमाऊं कला, शिल्प और संस्कृति (Gannath - Source of Boundless Energy : Himavan : Kumaon Art, Craft and Culture)
गणनाथ - असीम ऊर्जा का स्रोत : हिमवाण : कुमाऊं कला, शिल्प और संस्कृति
गणनाथ का मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के बेहद ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल में स्थित है। यह मंदिर अल्मोड़ा-कौसानी मार्ग पर रनमन नामक गांव से महज 7 किमी की दूरी पर है, और अल्मोड़ा-ताकुला बागेश्वर मोटर मार्ग से केवल 8 किमी दूर स्थित है। गणनाथ का मंदिर एक प्राचीन गुफा (कन्दरा) के अंदर स्थित है, और कुमाऊं क्षेत्र में जागनाथ और बागनाथ की तरह गणनाथ की भी एक विशेष धार्मिक मान्यता है।
गणनाथ मंदिर का इतिहास
गणनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा और इष्ट देव के रूप में मान्यता चंद राजवंश के समय में मिली थी। इस मंदिर की पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का श्रेय चंद राजवंश के गुरु श्री बल्लभ उपाध्याय को जाता है। वरिष्ठ शोधकर्ता चन्द्र शेखर तिवारी के अनुसार, श्री बल्लभ उपाध्याय ने इस मंदिर की सेवा के लिए वैष्णव सम्प्रदाय के मानगिरी और निर्मल गिरी को मठ का महंत नियुक्त किया था। उनके वंशज आज भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी निभाते हैं।
गोरखा शासनकाल और युद्ध
गणनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व गोरखा शासनकाल में भी था, जब गोरखों ने इसे अपनी छावनी के रूप में इस्तेमाल किया था। इस क्षेत्र पर अधिकार के लिए गोरखा सेनापति हस्तिदल ने ब्रिटिश सेना से युद्ध किया था, जिसे ब्रिटिशों ने जीत लिया। गोरखा सेनापति हस्तिदल ने गणनाथ को अपनी विजय के लिए तीन बार अशर्फियां चढ़ाई थीं, लेकिन वे नीचे गिर गईं, जिससे इसे अपशकुन माना गया।
गणनाथ मंदिर का शिवलिंग
गणनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग को चूना पत्थर से निर्मित माना जाता है। इसके अलावा, यहां एक बड़ा बट वृक्ष है, जिसकी जड़ से निरंतर दूधिया पानी टपकता रहता है, जिसे कई लोग अमृत के समान मानते हैं। इस जल को पीने से कई लोग मानते हैं कि यह जन्म से जुड़ी आवाज की समस्याओं को दूर करता है।
चंद राजाओं की उपस्थिति और मंदिर की सेवा
चंद राजाओं ने सतराली के सात गांवों - थापला, पनेर, कोतवाल, कांडे, लोहना, खाड़ी और ताकुला को गणनाथ मंदिर के लिए भेंट चढ़ाए थे। इसके अलावा, कुछ अन्य गांवों से मंदिर की सेवा के लिए अनाज और अन्य सामग्री एकत्र की जाती है। परंपरा के अनुसार, यह सामग्री तीन भागों में बाँटी जाती है - एक हिस्सा गणनाथ के पूजा में, दूसरा हिस्सा दीन-हीन व्यक्तियों के लिए और तीसरा हिस्सा मंदिर के जीर्णोद्धार में प्रयोग किया जाता है।
धार्मिक महत्व
गणनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि, होली और कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बड़े मेले आयोजित होते हैं। विशेष रूप से, बैकुंठ चतुर्दशी पर निसंतान महिलाएं रात्रि भर जागरण करती हैं और दीपक लेकर पूजा करती हैं। चैत्र नवरात्रि में भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
गणनाथ मंदिर की प्रमुख मूर्तियां
मंदिर में प्रमुख रूप से भगवान शिव के लिंग के साथ-साथ महिषासुरमर्दिनी, एकमुखी शिवलिंग, भैरव, गणेश, सूर्य और बैकुंठ विष्णु की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इन मूर्तियों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, और मंदिर में इन्हें पूजा जाता है।
गणनाथ मंदिर तक कैसे पहुंचे?
गणनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए अल्मोड़ा जिले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर में है, जो इस स्थान से लगभग 160 किमी दूर स्थित है। यहां से आप सड़क मार्ग के द्वारा गणनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, दिल्ली से काठगोदाम रेलवे स्टेशन के माध्यम से आप अल्मोड़ा तक ट्रेन से पहुंच सकते हैं, फिर सड़क मार्ग से गणनाथ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
गणनाथ का महत्व
गणनाथ मंदिर आत्मिक शांति की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। अगली बार जब आप अल्मोड़ा जाएं, तो ताकुला स्थित इस प्राचीन गणनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने न भूलें।
गणनाथ मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व न केवल कुमाऊं बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। यहां के मंदिर, मूर्तियां और पारंपरिक मान्यताएं, भारत के धार्मिक परिदृश्य में अद्वितीय स्थान रखती हैं।
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1. गणनाथ मंदिर कहां स्थित है?
गणनाथ मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह अल्मोड़ा-कौसानी मार्ग पर रनमन गांव से 7 किमी और अल्मोड़ा-ताकुला बागेश्वर मोटर मार्ग पर ताकुला से 8 किमी की दूरी पर है।
2. गणनाथ मंदिर का इतिहास क्या है?
गणनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा चंद राजवंश के समय में मिली। इसे गुरु श्री बल्लभ उपाध्याय ने पुनर्निर्मित किया और वैष्णव सम्प्रदाय के महंत नियुक्त किए।
3. गणनाथ मंदिर में किस देवता की पूजा की जाती है?
गणनाथ मंदिर में भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है। इसके अलावा, मंदिर में महिषासुरमर्दिनी, भैरव, गणेश, सूर्य, विष्णु आदि की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
4. गणनाथ मंदिर में जल के बारे में विशेष मान्यता क्या है?
मंदिर में एक बट वृक्ष की जड़ से निरंतर दूधिया पानी टपकता है, जिसे अमृत के समान माना जाता है। इस जल को पीने से आवाज़ संबंधी समस्याओं को दूर करने का विश्वास है।
5. गणनाथ मंदिर में कब मेला आयोजित होता है?
गणनाथ मंदिर में मुख्य रूप से कार्तिक पूर्णिमा, महाशिवरात्रि, होली, और बैकुंठ चतुर्दशी के समय बड़े मेले आयोजित होते हैं। इन अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
6. गणनाथ मंदिर तक कैसे पहुंचे?
गणनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जो लगभग 160 किमी दूर है। आप काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भी अल्मोड़ा तक पहुंच सकते हैं, फिर सड़क मार्ग से गणनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
7. गणनाथ मंदिर का शिवलिंग किससे बना है?
गणनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग चूना पत्थर से बना हुआ है। यह शिवलिंग मंदिर के गुफा में स्थापित है, और इसके ऊपर से जल की धारा निरंतर गिरती रहती है।
8. गणनाथ मंदिर में पूजा की परंपरा क्या है?
गणनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्य चंद राजवंश के वंशज करते हैं। इसके अलावा, मंदिर के लिए अनाज और अन्य सामग्री की उगाही भी की जाती है, जिसे पूजा, दीन-हीन व्यक्तियों के लिए और मंदिर के जीर्णोद्धार में खर्च किया जाता है।
9. गणनाथ मंदिर के आसपास के अन्य प्रमुख स्थल कौन से हैं?
गणनाथ मंदिर के पास विनायक गणेश और भगवती मल्लिका के मंदिर स्थित हैं। इसके अलावा, गणनाथ के परिसर में श्री बल्लभ उपाध्याय का समाधि मंदिर भी है।
10. गणनाथ मंदिर का महत्व क्यों है?
गणनाथ मंदिर धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह स्थान श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और भक्ति का अनुभव प्रदान करता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा पर्यटकों को आकर्षित करती है।
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