गोमुख: गंगोत्री ग्लेशियर का दिव्य स्रोत
गोमुख (Gomukh) या गौमुख (Gaumukh), उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर का अंतिम छोर है। यह वह पवित्र स्थान है जहाँ से भागीरथी नदी, जो गंगा नदी की प्रमुख स्रोतधारा है, आरंभ होती है। 4,023 मीटर (13,200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान अपनी आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। गोमुख हिंदू धर्म के लिए पवित्र तीर्थ है और पर्यटकों के लिए एक अद्भुत ट्रेकिंग गंतव्य है।
गोमुख का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
गोमुख का शाब्दिक अर्थ "गाय का मुख" है। यह नाम इस ग्लेशियर के मुख की आकृति के कारण पड़ा है, जो गाय के मुख जैसा दिखता है। यह स्थान गंगा नदी की उत्पत्ति का प्रतीक है और हिंदू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र माना गया है। 1972 में मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम यहाँ से गंगा जल लेकर गए थे और इसे मॉरीशस की ग्रों बास्सें झील में मिलाया, जिसे "गंगा तलाब" कहा जाता है। यह झील मॉरीशस में हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
गोमुख ट्रेक
गोमुख गंगोत्री से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। यह ट्रेक साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वालों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। रास्ते में भोजबासा, 14 किलोमीटर दूर, एक प्रमुख विश्राम स्थल है। यहाँ गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) और आश्रमों द्वारा पर्यटकों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की जाती है।
महत्वपूर्ण ट्रेकिंग पॉइंट्स:
गंगोत्री: ट्रेक की शुरुआत गंगोत्री से होती है, जो स्वयं एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
चीड़वासा: गंगोत्री से 9 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान पर हिमखंड और चीड़ के पेड़ों का मनोरम दृश्य मिलता है।
भोजवासा: गोमुख से 4 किलोमीटर पहले स्थित यह स्थान पर्यटकों का प्रमुख विश्राम स्थल है।
गोमुख पहुँचने का मार्ग
हवाई मार्ग से:
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। देहरादून से उत्तरकाशी और गंगोत्री तक टैक्सी और बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग से:
निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून में हैं। यहाँ से उत्तरकाशी के लिए नियमित बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से:
गोमुख गंगोत्री से 17 किलोमीटर दूर है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 108 पर स्थित है। देहरादून, हरिद्वार, और ऋषिकेश से उत्तरकाशी और गंगोत्री के लिए नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
गोमुख के आसपास के प्रमुख आकर्षण
गंगोत्री मंदिर: यह मंदिर गंगा नदी को समर्पित है और हिंदुओं के चार धामों में से एक है।
भागीरथ शिला: माना जाता है कि यहाँ राजा भागीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की थी।
सुर्यकुंड और गौरीकुंड: गंगा नदी पर स्थित ये प्राकृतिक कुंड अपनी अद्भुत बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं।
गोमुख ट्रेक के दौरान आवश्यक सावधानियाँ
ट्रेक के लिए शारीरिक रूप से तैयार रहें।
पर्याप्त गर्म कपड़े और आवश्यक दवाइयाँ साथ रखें।
स्थानीय गाइड की मदद लें।
प्लास्टिक या अन्य प्रदूषकों का उपयोग न करें। पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखें।
गोमुख: प्राकृतिक आपदा और प्रशासनिक तैयारियाँ
हाल ही में, गोमुख ट्रेक मार्ग पर चीड़वासा के पास हिमखंड पिघलने के कारण पानी का स्तर बढ़ गया, जिससे अस्थायी पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई। प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम ने तत्परता से राहत कार्य शुरू किया। इस प्रकार की आपदाएँ पर्वतीय क्षेत्रों की चुनौती हैं, लेकिन प्रशासनिक सतर्कता और पर्यटकों की समझदारी से इनका सामना किया जा सकता है।
निष्कर्ष
गोमुख का ट्रेक केवल एक साहसिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का अनुभव है। यहाँ की शुद्ध वायु, हिमालय का सौंदर्य और गंगा की उत्पत्ति का दर्शन हर यात्री के मन को शांत और प्रेरित करता है। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और साहसिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं, तो गोमुख का यात्रा अनुभव आपके जीवन की सबसे यादगार यात्राओं में से एक होगा।
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