हिसालू: उत्तराखंड का अनमोल रत्न
हिसालू, ओ हिसालू, पहाड़ों का अनमोल रत्न,
तूने रसीले स्वाद से, सबके मन को है हर लिया।
जेठ-असाढ़ की धूप में, तू खिलता अनमोल फूल,
छोटी-सी झाड़ी में छुपा, तूने जीवन रस भर दिया।
पीला हो या काला रंग, तेरे हर रूप का जादू,
खट्टा-मीठा स्वाद तेरा, जैसे अमृत का बूँद।
हाथों में आते ही तू, मखमली से टूट जाए,
जीभ पर रखते ही तू, रस में घुलकर पिघल जाए।
कुमाऊं के लोकगीतों में, तेरा नाम है अमर,
तेरे आने से होती है, पहाड़ों में खुशियों की लहर।
तेरी खुशबू से महकता, सारा कुमाऊं का संसार,
तेरे बिना अधूरी है, यहां की हर बहार।
तू केवल स्वाद का ही नहीं, स्वास्थ्य का भी खजाना,
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, तूने सबको है बचाया।
तेरी जड़ों का काढ़ा, बुखार में रामबाण बने,
पेट की बीमारियों से, तेरे रस ने सबको है छुटकारा दिलाया।
तिब्बती औषधि में भी, तेरा नाम है महान,
किडनी टोनिक बनकर तू, जीवन में लाया है प्राण।
शरीर की हर पीड़ा का, तू बन जाता है साथी,
हिसालू, तू सचमुच है, प्रकृति का अमूल्य वरदान।
पर यह चिंता का विषय है, तुझे सरंक्षित किया जाए,
ताकि तेरे गुणकारी फल, यूँ ही हमें सदा मिलते रहें।
आई.यू.सी.एन. ने चेताया, तुझे बचाने की है जरूरत,
हिसालू, ओ हिसालू, तू उत्तराखंड की शान है, अद्वितीय फल की पहचान है।
हिसालू: उत्तराखंड का अनमोल रत्न
पहाड़ की गोद में उगा, तू अद्वितीय हिसालू,
चमोली, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग में है तेरा वास,
अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर की मिट्टी का ताज,
कुमाऊँ-गढ़वाल के हर कोने में तेरा है निवास।
जेठ-असाढ़ की गर्मी में, तू रसदार फल बन जाता,
हिंसर, हिंसरु के नाम से भी, तूने सबको लुभाया।
पीला और काला रंग तेरा, जैसे दो अद्भुत रूप,
खट्टा-मीठा स्वाद तेरा, है प्रकृति का अनुपम दान।
तेरी कोमलता का क्या कहें, हाथों में पकड़ते ही टूटे,
जीभ पर रखते ही तू, रसधार बनकर पिघल जाए।
कुमाऊँ के लोकगीतों में, तेरा जिक्र बार-बार आए,
तेरे आगमन से ही, हर दिल में खुशी की लहर छाए।
ज्यादा समय तक न रह सके, तू ताजगी से भरा,
एक-दो घंटे बाद ही, तूने दुनिया को अलविदा कहा।
उत्तराखंड के पहाड़ों का, तू सचमुच है अनमोल रत्न,
तेरे बिना अधूरी है, यहाँ की हर ऋतु की बहार।
स्वास्थ्य का खजाना भी तू, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर,
तेरी जड़ें और पत्तियाँ भी, हैं औषधि का खज़ाना।
बुखार में रामबाण, पेट दर्द में राहत,
तू है हर रोग का साथी, तिब्बती चिकित्सा का वरदान।
तुझे संजोने की जरूरत है, तेरा संरक्षण जरूरी,
आई.यू.सी.एन. ने चेताया, तेरा अस्तित्व है जरूरी।
एंटी-डायबेटिक गुणों से भरपूर, तू है प्रकृति का उपहार,
हिसालू, ओ हिसालू, तू उत्तराखंड की शान है,
तेरा स्वाद, तेरा गुण, सबके दिलों में अमर है।
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