उत्तराखंड, कुमाऊं और गढ़वाल के नामों की उत्पत्ति का इतिहास - विस्तृत वर्णन (History of origin of names of Uttarakhand, Kumaon and Garhwal)

उत्तराखंड, कुमाऊं और गढ़वाल के नामों की उत्पत्ति का इतिहास - विस्तृत वर्णन

उत्तराखंड, कुमाऊं और गढ़वाल, ये तीन प्रमुख क्षेत्रों के नामों की उत्पत्ति और इतिहास अत्यधिक दिलचस्प है, जो न केवल भारतीय उपमहाद्वीप की ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाते हैं, बल्कि उनके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी उजागर करते हैं।

उत्तराखंड नाम की उत्पत्ति

उत्तराखंड शब्द की उत्पत्ति 'उत्तर' और 'खंड' से हुई है, जिसका मतलब होता है 'उत्तर दिशा का भाग'। इतिहास के अनुसार, हरिद्वार से लेकर मानसरोवर तक के क्षेत्र को पहले 'केदारखंड' और 'मानसखंड' के नाम से जाना जाता था। पुराणों के अनुसार, यह क्षेत्र पहले दो भागों में विभाजित था और इसकी सीमा पश्चिम में टोन्स (तमसा नदी) से लेकर पूर्व में काली (शारदा) नदी तक मानी जाती थी। इन दोनों हिस्सों को संयुक्त रूप से 'उत्तराखंड' कहा गया।

उत्तराखंड का इतिहास प्राचीन होने के बावजूद, 'उत्तराखंड' शब्द का प्रयोग 20वीं शताबदी के प्रारंभ में हुआ। 1911 में केदारखंड पुराण के दूसरे संस्करण में इस शब्द का उल्लेख हुआ और बाद में विभिन्न पुस्तकों और साहित्य में इसका प्रचलन बढ़ा।

गढ़वाल नाम की उत्पत्ति

गढ़वाल का नाम 'गढ़' और 'वाल' से बना है, जहां 'गढ़' का अर्थ है किला और 'वाल' का अर्थ है 'वाला', यानी किलों वाला क्षेत्र। इस क्षेत्र में अनेक पहाड़ी किले थे, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से पहाड़ी चोटियों पर बनाए जाते थे। पं. हरिकृष्ण रतूड़ी के अनुसार, यह क्षेत्र धीरे-धीरे 'गढ़वाल' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

गढ़वाल क्षेत्र में कई छोटी-बड़ी जलधाराएं भी हैं, जिन्हें 'गड' और 'गाड' कहा जाता है। यह शब्द वैदिक संस्कृत के हैं, और इन जलधाराओं के कारण भी गढ़वाल का नाम पड़ा। इस क्षेत्र की प्रमुख नदियों को 'गाड' नाम से जाना जाता है, जैसे प. नयार, पू. नयार, रथगड, ढौंडीगड, आदि।

कुमाऊं नाम की उत्पत्ति

कुमाऊं का प्राचीन नाम 'कूर्मांचल' था, जिसे स्कन्दपुराण में 'मानसखंड' कहा गया है। कुमाऊं का नाम कूर्म (कछुवा) से लिया गया है, क्योंकि यहाँ कूर्म के अवतार स्थल, जो जनपद चम्पावत में स्थित है, को कूर्माचल कहा जाता था।

कुमाऊं को 'कूर्मपृष्ठ' और 'कूर्मप्रस्थ' भी कहा जाता है। इस क्षेत्र का पर्वतीय ढांचा कूर्म (कछुए) के आकार जैसा दिखता है, इसलिए इसे कूर्मांचल नाम दिया गया। कुछ विद्वान इसे 'कुम्म' नाम से जोड़ते हैं, जो पश्चिमी एशिया से आए खश जाति के नाम से संबंधित माना जाता है।

उत्तराखंड का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

उत्तराखंड का नाम न केवल भौगोलिक दृष्टि से बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है, जहां विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर स्थित हैं। यहाँ की संस्कृति में विभिन्न पर्व, उत्सव, और पारंपरिक रीति-रिवाज गहरे तौर पर जुड़े हुए हैं।

उत्तराखंड, गढ़वाल और कुमाऊं के नामों का इतिहास हमें यह समझाता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।


Conclusion

इस प्रकार, उत्तराखंड, गढ़वाल और कुमाऊं के नामों की उत्पत्ति न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप के पहाड़ी इलाकों में स्थित होने के कारण प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियों का गवाह रहा है।

Frequently Asked Questions (FAQ) - उत्तराखंड, गढ़वाल और कुमाऊं की नामोत्पत्ति

  1. उत्तराखंड का नाम कैसे उत्पन्न हुआ?

    • उत्तराखंड का नाम 'केदारखंड' और 'मानसखंड' से उत्पन्न हुआ। यह क्षेत्र पहले दो भागों में बांटा गया था, जिनके बाद में उत्तराखंड का नाम पड़ा।
  2. उत्तराखंड को "देवभूमि" क्यों कहा जाता है?

    • उत्तराखंड को "देवभूमि" कहा जाता है क्योंकि यह भूमि धार्मिक महत्व रखती है, यहाँ कई तीर्थ स्थल हैं और यह भगवानों का निवास स्थान माना जाता है।
  3. गढ़वाल का नाम कैसे पड़ा?

    • गढ़वाल का नाम 'गढ़' (किला) और 'वाल' (वाला) से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'किलों वाला क्षेत्र'। यह क्षेत्र विभिन्न छोटे किलों के लिए प्रसिद्ध था, जो सुरक्षा के उद्देश्य से पहाड़ियों की चोटियों पर बनाए जाते थे।
  4. कुमाऊं का नाम कहाँ से उत्पन्न हुआ?

    • कुमाऊं का नाम 'कूर्म' (कछुआ) से उत्पन्न हुआ है। इसे कूर्माचल, कूर्मप्रस्थ या कूर्मपृष्ठ भी कहा गया है, जो कूर्म के आकार की पहाड़ी संरचना को दर्शाता है।
  5. क्या गढ़वाल और कुमाऊं अलग-अलग राज्य थे?

    • हाँ, गढ़वाल और कुमाऊं दोनों पहले अलग-अलग राज्य थे। इनका अस्तित्व स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व और गोरखा शासन काल तक था।
  6. उत्तराखंड शब्द का पहली बार प्रचलन कब हुआ?

    • 'उत्तराखंड' शब्द का प्रचलन 20वीं शती के प्रारंभिक दशक में हुआ। 1911 में केदारखंड पुराण में इस शब्द का उल्लेख किया गया।
  7. क्या गढ़वाल और कुमाऊं के नाम पौराणिक ग्रंथों में पाए जाते हैं?

    • हाँ, गढ़वाल और कुमाऊं के नाम पौराणिक ग्रंथों में पाए जाते हैं, जैसे महाभारत, स्कंद पुराण, आदि में इन क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है।
  8. क्या उत्तराखंड के नाम का संबंध किसी विशेष स्थान से है?

    • उत्तराखंड का नाम मुख्य रूप से केदारखंड और मानसखंड से संबंधित है, जो पुराने पौराणिक भूखंडों के नाम थे।
  9. उत्तराखंड का राज्य गठन कब हुआ?

    • उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था। पहले इसे उत्तरांचल कहा जाता था, जिसे 2007 में उत्तराखंड नाम में बदल दिया गया।
  10. कुमाऊं के नाम का पौराणिक संदर्भ क्या है?

    • कुमाऊं का नाम कूर्म (कछुआ) से उत्पन्न हुआ है, और इसे स्कंदपुराण में कूर्माचल के रूप में वर्णित किया गया है।

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