कमलेश्वर महादेव मंदिर: बैकुंठ चतुर्दशी पर खड़ा दीया अनुष्ठान (Kamleshwar Mahadev Temple: Diya ritual erected on Baikunth Chaturdashi)

कमलेश्वर महादेव मंदिर: बैकुंठ चतुर्दशी पर खड़ा दीया अनुष्ठान

श्रीनगर, उत्तराखंड के ऐतिहासिक और पौराणिक कमलेश्वर महादेव मंदिर में आगामी 14 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर प्रसिद्ध खड़ा दीया अनुष्ठान आयोजित किया जाएगा। यह अनुष्ठान उन दंपतियों के लिए किया जाता है जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। मान्यता है कि इस अनुष्ठान में भाग लेने वाले दंपतियों को भगवान शिव की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है। इस आयोजन को लेकर मंदिर प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं, और अनुष्ठान के लिए पंजीकरण भी जारी है।

श्री कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर

खड़ा दीया अनुष्ठान: पंजीकरण और प्रक्रिया

कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। महंत आशुतोष पुरी के अनुसार, अब तक 49 दंपति पंजीकरण करवा चुके हैं। ये पंजीकरण देश के विभिन्न हिस्सों से हो रहे हैं, जिनमें चेन्नई, जयपुर, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, और उत्तराखंड के कई शहर शामिल हैं।

अनुष्ठान की विशेषताएं

बैकुंठ चतुर्दशी की रात इस अनुष्ठान में भाग लेने वाले दंपति घी का दीपक प्रज्वलित करते हैं और भगवान शिव की आराधना में पूरी रात खड़े रहते हैं। इस दौरान "ॐ नम: शिवाय" का जप किया जाता है। अनुष्ठान के दौरान शिवलिंग के सामने विशेष पूजा की जाती है, जिसमें 100 व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है और शिवलिंग को मक्खन से ढक दिया जाता है।

कमलेश्वर महादेव मंदिर: इतिहास और पौराणिक महत्व

कमलेश्वर महादेव मंदिर को उत्तराखंड के सबसे पुराने और पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे हिमालय के पांच महेश्वर पीठों में से एक माना जाता है।

पौराणिक कथा:

यहां मान्यता है कि भगवान विष्णु ने एक हजार कमल के पुष्पों से भगवान शिव की पूजा की थी। भगवान शिव ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए एक पुष्प छिपा दिया। जब विष्णु को पुष्प कम पड़ा, तो उन्होंने अपनी एक आंख अर्पित करने का संकल्प लिया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया।

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें क्षमा किया और आशीर्वाद दिया।

अनुष्ठान का महत्व

बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर आयोजित खड़ा दीया अनुष्ठान उन दंपतियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो संतान प्राप्ति में असमर्थ हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां की गई पूजा अक्सर सफल होती है। पिछले वर्ष 175 दंपतियों ने इस अनुष्ठान में भाग लिया था।

मंदिर की विशेषताएं

कमलेश्वर महादेव मंदिर में मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग स्थित है। इसके अलावा, यहां भगवान गणेश, देवी सरस्वती, देवी गंगा, देवी अन्नपूर्णा, नंदी, और आदि शंकराचार्य की मूर्तियां भी हैं।

श्री कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर

मंदिर से जुड़ी अन्य मान्यताएं:

  • भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी जामवंती के कहने पर यहां भगवान शिव की आराधना की थी और स्वाम नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

  • यहां भगवान राम ने ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए तप किया था।

मंदिर तक कैसे पहुंचे?

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो मंदिर से 151 किमी दूर है।

  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो 104 किमी दूर है।

  • सड़क मार्ग: श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप हरिद्वार, देहरादून, या ऋषिकेश से बस या टैक्सी द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।

कमलेश्वर मंदिर के पास घूमने की जगहें

  • एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय का संग्रहालय

  • केशोराय मठ

  • विष्णु मोहिनी मंदिर

  • किल्किलेश्वर महादेव मंदिर

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

1. खड़ा दीया अनुष्ठान में कैसे भाग लें?
पंजीकरण के लिए महंत आशुतोष पुरी से संपर्क करें। अनुष्ठान में भाग लेने के लिए बैकुंठ चतुर्दशी की रात मंदिर में उपस्थित होना आवश्यक है।

2. मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
शिवरात्रि, कार्तिक चतुर्दशी, और आचरा सप्तमी के दौरान यहां विशेष पूजा होती है।

3. क्या मंदिर के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है?
नहीं, मंदिर श्रीनगर शहर के निकट स्थित है, इसलिए ट्रेकिंग की आवश्यकता नहीं है।


निष्कर्ष:
कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर, उत्तराखंड का यह पवित्र स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र है। बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर आयोजित खड़ा दीया अनुष्ठान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि दंपतियों के लिए संतान सुख की प्राप्ति का माध्यम भी है।

कमलेश्वर महादेव मंदिर: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान क्या है?

खड़ा दीया अनुष्ठान एक पवित्र विधि है, जिसमें नि:संतान दंपति बैकुंठ चतुर्दशी की रात भगवान शिव की पूजा करते हैं। दंपति रातभर जलते हुए दीये के साथ खड़े होकर "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हैं। यह अनुष्ठान संतान प्राप्ति की कामना से किया जाता है।

2. कमलेश्वर महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे उत्तराखंड के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु और भगवान राम ने यहां तपस्या की थी।

3. कमलेश्वर महादेव मंदिर की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

  • स्थान: श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
  • मुख्य मूर्तियां: शिवलिंग, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, देवी गंगा, नंदी
  • समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: नि:शुल्क

4. मंदिर जाने का सर्वोत्तम समय कौन सा है?

मंदिर में दर्शन के लिए सबसे उपयुक्त समय शिवरात्रि, कार्तिक चतुर्दशी, और आचरा सप्तमी है।

5. मंदिर के पास कौन-कौन सी घूमने की जगहें हैं?

  • एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय का संग्रहालय
  • केशोराय मठ
  • विष्णु मोहिनी मंदिर
  • किल्किलेश्वर महादेव

6. क्या मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेक करना पड़ता है?

नहीं, मंदिर शहर के पास ही स्थित है और वहां पहुंचने के लिए किसी ट्रेकिंग की आवश्यकता नहीं है।

7. श्रीनगर गढ़वाल की जलवायु कैसी है?

गर्मी में तापमान 35°C से 40°C तक और सर्दियों में 2°C तक गिर सकता है।

8. क्या खड़ा दीया अनुष्ठान सफल होता है?

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जोड़े की प्रार्थनाओं का फल मिलता है और कई दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति हुई है।

9. मंदिर कैसे पहुंचें?

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (151 किमी) है।
  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (104 किमी) है।
  • सड़क मार्ग: श्रीनगर उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है।

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