मां संतला देवी मंदिर: आस्था और इतिहास का संगम (Maa Santla Devi Temple: A Confluence of Faith and History)
मां संतला देवी मंदिर: आस्था और इतिहास का संगम
देहरादून में स्थित मां संतला देवी का मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी इसे विशेष बनाता है। यह मंदिर पूरे साल श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है, लेकिन शनिवार और रविवार को यहां विशेष भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि शनिवार को मां संतला देवी की मूर्ति पत्थर में परिवर्तित हो जाती है। आइए, जानते हैं इस मंदिर का इतिहास, महत्त्व, और यहां तक पहुंचने का मार्ग।
मंदिर का पौराणिक इतिहास
मां संतला देवी से जुड़ी कथा हमें 11वीं शताब्दी में ले जाती है। कहा जाता है कि नेपाल के राजा की पुत्री संतला देवी से एक मुगल सम्राट विवाह करना चाहता था। इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर संतला देवी अपने भाई के साथ नेपाल से दून घाटी के पंजाबीवाला क्षेत्र में आ गईं। वहां उन्होंने एक पर्वत पर किला बनाकर निवास किया।
मुगल सैनिकों ने जब किले पर हमला किया, तो संतला देवी और उनके भाई ने साहसपूर्वक मुकाबला किया। जब उन्हें यह अहसास हुआ कि वे मुगलों से लड़ाई नहीं जीत सकते, तो उन्होंने ईश्वर की प्रार्थना की। तभी एक दिव्य प्रकाश उनके ऊपर चमका और वे पत्थर की मूर्ति में परिवर्तित हो गईं। इस अद्भुत घटना के कारण मुगल सैनिक अंधे हो गए। बाद में, इस स्थान पर संतला देवी का मंदिर बनाया गया।
संतला देवी मंदिर और अंग्रेज अधिकारी की मान्यता
16वीं शताब्दी में यह मंदिर एक बार फिर चर्चा में आया। बताया जाता है कि एक अंग्रेज अफसर, विलियम्स सेक्सपीयर, जिनकी कोई संतान नहीं थी, ने यहां विधि-विधान से पूजा की। इसके एक वर्ष के भीतर वे पुत्ररत्न की प्राप्ति से धन्य हुए। तभी से यह मंदिर संतान प्राप्ति की कामना करने वाले भक्तों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हो गया।
नवरात्रि और श्रद्धालु
नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। प्रतिदिन पूजा-अर्चना, हवन और विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। श्रद्धालु यहां हवन कुंड में आहुति देकर, वट वृक्ष की परिक्रमा करके, और चुनरी बांधकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
मंदिर कैसे पहुंचें?
मां संतला देवी का मंदिर देहरादून शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने का मार्ग:
- घंटाघर से गढ़ीकैंट होते हुए जैतनवाला तक बस सेवा उपलब्ध है।
- जैतनवाला से पंजाबीवाला (संतोरगढ़) तक की दूरी करीब 2 किमी है।
- यहां से मंदिर तक जाने के लिए लगभग 1.5 किमी की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है।
मंदिर की विशेषताएं और प्रसाद
मंदिर परिसर में वट वृक्ष और पवित्र धागा बांधने की परंपरा भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है। यहां मिलने वाला प्रसाद, जैसे धागा, चुन्नी, सिंदूर, और भस्म, दूर-दूर से आए भक्तों के लिए विशेष महत्त्व रखता है।
मां संतला देवी का आशीर्वाद
यह माना जाता है कि मां संतला देवी सच्चे मन से पूजा करने वाले हर भक्त की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। चाहे वह संतान प्राप्ति की इच्छा हो, सुख-समृद्धि की कामना हो, या किसी संकट से मुक्ति—मां का आशीर्वाद हर भक्त के लिए अचूक है।
निष्कर्ष
मां संतला देवी का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, पौराणिकता और आस्था का संगम है। यह मंदिर न केवल भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करता है, बल्कि उन्हें आत्मिक शांति भी प्रदान करता है। यदि आप देहरादून की यात्रा कर रहे हैं, तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें और मां संतला देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
"जय मां संतला देवी!"
Frequently Asked Questions (FAQs)
1. मां संतला देवी का मंदिर कहां स्थित है?
मां संतला देवी का मंदिर उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित है। यह देहरादून शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
2. मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
देहरादून के घंटाघर से गढ़ीकैंट होते हुए जैतनवाला तक बस सेवा उपलब्ध है। जैतनवाला से पंजाबीवाला (संतोरगढ़) 2 किलोमीटर दूर है। वहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 1.5 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है।
3. मंदिर किस समय खुला रहता है?
मां संतला देवी का मंदिर पूरे साल खुला रहता है। श्रद्धालु किसी भी दिन पूजा-अर्चना के लिए जा सकते हैं।
4. मंदिर में सबसे अधिक भीड़ कब होती है?
शनिवार और रविवार को मंदिर में विशेष रूप से श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ रहती है। नवरात्रि के दौरान यहां भारी संख्या में भक्त आते हैं।
5. मां संतला देवी मंदिर का पौराणिक महत्व क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, 11वीं शताब्दी में संतला देवी नेपाल के राजा की पुत्री थीं। मुगलों से युद्ध के दौरान, उन्होंने प्रार्थना की और एक दिव्य प्रकाश के बाद वे पत्थर की मूर्ति में परिवर्तित हो गईं। इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण हुआ।
6. मंदिर से जुड़ी कौन-कौन सी मान्यताएं हैं?
- शनिवार को मां की मूर्ति पत्थर में परिवर्तित हो जाती है।
- यह मंदिर संतान प्राप्ति की कामना के लिए प्रसिद्ध है।
- सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं मां पूरी करती हैं।
7. मंदिर में कौन-कौन सी विशेष धार्मिक परंपराएं निभाई जाती हैं?
मंदिर में हवन, पूजा-अर्चना, और वट वृक्ष की परिक्रमा कर भक्त मन्नत मांगते हैं। श्रद्धालु चुनरी बांधते हैं और मंदिर का प्रसाद, जैसे धागा, सिंदूर, चुन्नी, और भस्म, प्राप्त करते हैं।
8. मंदिर के आसपास कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं?
मां संतला देवी मंदिर के आसपास देहरादून के अन्य धार्मिक और प्राकृतिक स्थल भी देखे जा सकते हैं, जैसे तपकेश्वर मंदिर और मालसी डियर पार्क।
9. मंदिर किस प्रकार के भक्तों के लिए विशेष है?
मंदिर विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना करने वाले, संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करने वाले, और सुख-समृद्धि की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए पूजनीय है।
10. नवरात्रि में मंदिर में क्या विशेष होता है?
नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन पूजा-अर्चना, हवन, और विशेष अनुष्ठान होते हैं। इन दिनों में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
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