माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर: अल्मोड़ा में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम (Mata Vindhyavasini Bandi Devi Temple: A wonderful confluence of reverence and faith in Almora)

माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर: अल्मोड़ा में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम

नवरात्रि के दौरान देशभर के मंदिरों में माता के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस दौरान कुछ मंदिरों की विशेष मान्यता होती है, जिनमें से एक प्रसिद्ध मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता वैष्णव देवी की तरह पिंडी रूप में विराजमान हैं। हर साल नवरात्रि में भक्त बड़ी संख्या में यहां दर्शन करने पहुंचते हैं, और यही मंदिर एक अद्भुत आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।

मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता

माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर की स्थापना के बारे में कई रोचक कथाएँ प्रचलित हैं। मंदिर के पुजारी कैलाश चंद्र जोशी के अनुसार, कत्यूरी राजाओं ने इस मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी से पहले की थी। एक समय की बात है, चंपावत के मां बाराही देवी मंदिर में एक पुजारी पूजा कर रहा था, और पूजा समाप्त करने के बाद उसने माता को विदा करना भूल गया। इसके बाद जब वह अल्मोड़ा लौट रहा था, तो सिलखोडा गांव के पास उसे एक कन्या दिखी। कन्या ने बताया कि वह माता ही है, जो पूजा के दौरान आह्वान की गई थी लेकिन विदा नहीं की गई। पुजारी ने मंत्र पढ़कर माता को विदा किया, लेकिन माता वहीं पिंडी शक्ति के रूप में स्थिर हो गई।

मंदिर निर्माण की कथा

मंदिर निर्माण की कथा भी कत्यूरी काल से जुड़ी हुई है। पुजारी कैलाश चंद्र जोशी बताते हैं कि कत्यूरी राजाओं के पास एक गाय थी, जो उन्हें दूध नहीं देती थी। एक दिन राजा ने गाय का पीछा किया और देखा कि गाय माता के पिंडी रूप का अभिषेक कर रही थी। इसके बाद एक रात राजा को स्वप्न में देवी ने दर्शन दिए और पूछा कि गाय ने अभिषेक तो कर लिया, अब मंदिर कौन बनाएगा? राजा ने इसके बाद अपने कारीगरों को भेजकर आठ कोणीय मंदिर का निर्माण करवाया, जिसके बाद से यह स्थान आस्था का केन्द्र बन गया।

माता के भक्तों की श्रद्धा

आज भी यह मंदिर उन भक्तों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र है, जिनकी मनोकामनाएं माता ने पूरी की हैं। भक्त दीपक चंद्र बताते हैं कि इस मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर हर मुराद पूरी होती है। जो भी भक्त यहां आकर पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है और वह माता को प्रसाद चढ़ाता है या सोने-चांदी के छत्र चढ़ाता है। शारदीय नवरात्रि में भक्तों द्वारा मंदिर में अखंड ज्योति जलाने की परंपरा भी है, जो नौ दिन तक लगातार जलती रहती है।

मंदिर का स्थान और कैसे पहुंचे

माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर सिलखोड़ा गांव में स्थित है। यह मंदिर अल्मोड़ा-लमगड़ा मार्ग पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। देशभर के श्रद्धालु यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो दिल्ली और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, पंतनगर हवाई अड्डा भी पास है, जो यहां से करीब 127 किमी दूर स्थित है।

भक्तों की श्रद्धा का अद्वितीय उदाहरण

मंदिर में आकर भक्त कन्या पूजन, सुहागपिटारी और अन्य पूजा विधियों को संपन्न करते हैं। मंदिर में हर साल बहुत से भक्त आते हैं, और जब उनकी मुरादें पूरी होती हैं तो वे नौ दिनों तक अखंड दीप जलाते हैं, जो मंदिर के पुजारियों द्वारा देखरेख की जाती है। मंजू डसीला जैसी श्रद्धालु बताते हैं कि वे हर साल यहां आती हैं और इस पवित्र स्थान पर अपनी श्रद्धा अर्पित करती हैं।

निष्कर्ष

माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर एक ऐसी जगह है जहां भक्तों की श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम होता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कथा भी इसे विशेष बनाती है। अगर आप भी एक आस्थावान व्यक्ति हैं, तो इस मंदिर में एक बार जरूर जाएं और मां के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करें।

Frequently Asked Questions (FAQs) – माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर, अल्मोड़ा

  1. माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर कहां स्थित है?

    • माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जो अल्मोड़ा-लमगड़ा मार्ग पर सिलखोड़ा गांव के ऊंचे पहाड़ी इलाके में स्थित है।
  2. माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर की स्थापना कब हुई थी?

    • इस मंदिर की स्थापना कत्यूरी राजाओं द्वारा 18वीं शताब्दी से पूर्व की गई थी, और मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक दिलचस्प कथा भी प्रचलित है।
  3. मंदिर में पूजा की विशेषताएं क्या हैं?

    • इस मंदिर में भक्त अपनी सच्ची श्रद्धा से पूजा करते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। भक्त अखंड दीप जलाते हैं और सोने-चांदी के छत्र चढ़ाते हैं।
  4. क्या नवरात्रि में मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं?

    • हां, शारदीय नवरात्रि के दौरान मंदिर में नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलती रहती है, जो भक्तों द्वारा अपनी श्रद्धा से जलायी जाती है। इसके अलावा, भक्त पूजा करने के बाद प्रसाद चढ़ाते हैं और मंदिर में भंडारे का आयोजन करते हैं।
  5. मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?

    • रेलमार्ग: काठगोदाम रेलवे स्टेशन से लगभग 90 किमी दूर स्थित अल्मोड़ा तक पहुंचा जा सकता है।
    • हवाई मार्ग: पंतनगर हवाई अड्डा अल्मोड़ा से लगभग 127 किमी दूर स्थित है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
    • सड़क मार्ग: अल्मोड़ा से लमगड़ा तक प्राइवेट बस या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से सीधे बस सेवाएं उपलब्ध हैं, जो लगभग 10-12 घंटे में अल्मोड़ा पहुंचाती हैं।
  6. मंदिर में जाने के लिए सबसे अच्छा समय कब है?

    • सबसे अच्छा समय नवरात्रि के दौरान है, जब मंदिर में विशेष धार्मिक गतिविधियां और पूजा अर्चना होती है। इसके अलावा, हर साल बहुत से भक्त यहां कन्या पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने आते हैं।
  7. मंदिर में किस प्रकार की पूजा की जाती है?

    • भक्त यहां मुख्य रूप से मां के पिंडी रूप की पूजा करते हैं। पूजा में दीप जलाना, सुहागपिटारी चढ़ाना, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। जो भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं, वे 9 दिनों तक अखंड दीप जलाने की परंपरा का पालन करते हैं।
  8. क्या यहां कोई खास मान्यता है?

    • हां, इस मंदिर में यह मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूरी होने पर भक्त नौ दिनों तक अखंड दीप जलाते हैं।
  9. क्या मंदिर में कोई विशेष व्रत या अनुष्ठान होते हैं?

    • मंदिर में हर साल शारदीय नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाने का अनुष्ठान होता है, जो भक्तों द्वारा अपने-अपने स्तर पर किया जाता है। साथ ही, मां की पूजा करने के बाद भक्त भंडारे का आयोजन भी करते हैं।
  10. माता विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर में कौन-कौन से श्रद्धालु आते हैं?

    • यह मंदिर देशभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, खासकर उत्तराखंड और इसके आसपास के क्षेत्रों से। हर साल यहां बड़ी संख्या में भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए माता के समक्ष श्रद्धा अर्पित करते हैं।

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