उत्तराखंड का आधुनिक इतिहास: गोरखा शासन और ब्रिटिश शासन की स्थापना (Modern History of Uttarakhand: Establishment of Gorkha Rule and British Rule)
उत्तराखंड का आधुनिक इतिहास: गोरखा शासन और ब्रिटिश शासन की स्थापना
कुमाऊँ पर गोरखा शासन का इतिहास
➣ उत्तराखंड का आधुनिक इतिहास गोरखा शासन और ब्रिटिश शासन की स्थापना के साथ प्रारंभ माना जाता है।
गोरखा शासन की शुरुआत:
➣ गोरखा लोगों का संबंध: नेपाल से।
➣ अल्मोड़ा पर पहला गोरखा आक्रमण: 1790 ई.
➣ गोरखा आक्रमण का नेतृत्व:
- हस्तीदल चौतरिया
- काजी जगजीत पाण्डे
- अमरसिंह थापा (वीर थापा)
➣ कुमाऊँ पर गोरखा शासन: 1790 ई. से 1815 ई. तक।
➣ कुमाऊँ का पहला सूब्बा (सूबेदार): जोग मल्ल शाह।
गढ़वाल पर गोरखा शासन: एक ऐतिहासिक यात्रा
गढ़वाल का इतिहास संघर्ष, वीरता और बलिदान की कहानियों से भरा हुआ है। गोरखा शासन की अवधि (1804-1815) को उत्तराखंड के इतिहास में एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण समय के रूप में देखा जाता है। इस लेख में हम गढ़वाल पर गोरखा शासन की ऐतिहासिक घटनाओं को विस्तार से जानेंगे।
गढ़वाल पर गोरखा आक्रमण की पृष्ठभूमि
प्रद्युम्नशाह और प्रारंभिक संघर्ष
गढ़वाल के राजा प्रद्युम्नशाह (1786-1804) के शासनकाल में हर्षदेव जोशी के निमंत्रण पर, 1790 ई. में गोरखा नरेश रणबहादुर के नेतृत्व में नेपाली गोरखा सेना ने कुमाऊँ पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया।
हालाँकि, गढ़वाली सेना के साहस और रणकौशल ने गोरखाओं को आगे बढ़ने से रोक दिया। गोरखाओं की सेना लंगूरगढ़ी से आगे नहीं बढ़ सकी, लेकिन इस संघर्ष ने गढ़वाल क्षेत्र को गंभीर विपत्तियों में धकेल दिया।
गढ़वाल पर गोरखाओं का अंतिम आक्रमण
गोरखाओं ने अपनी हार से सबक लिया और 1803 ई. में अमरसिंह थापा और हस्तीदल चौतरिया के नेतृत्व में एक बार फिर गढ़वाल पर आक्रमण किया। यह संघर्ष गढ़वाल के इतिहास की सबसे भीषण लड़ाई बन गई।
खुड़बुड़ा का युद्ध (14 मई 1804)
गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह ने अपने राज्य की रक्षा के लिए अपनी पूरी शक्ति झोंक दी। यह ऐतिहासिक युद्ध देहरादून के खुड़बुड़ा क्षेत्र में हुआ, जहाँ राजा प्रद्युम्नशाह वीरगति को प्राप्त हुए और गढ़वाल पर गोरखाओं का कब्जा हो गया।
गोरखाओं का अत्याचार: 'गोरख्याणी'
गोरखाओं ने 1804 से 1815 ई. तक गढ़वाल पर अत्याचारों का भयानक दौर चलाया, जिसे 'गोरख्याणी' के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में गढ़वाल के लोगों को अत्यधिक करों, जबरन श्रम और दमनकारी शासन का सामना करना पड़ा।
ब्रिटिश हस्तक्षेप और पंवार वंश की पुनर्स्थापना
1815 ई. में अंग्रेजों ने गोरखाओं को हराकर अल्मोड़ा और गढ़वाल पर अधिकार कर लिया। इसके बाद, गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह के पुत्र सुदर्शन शाह को गढ़वाल का शासक घोषित किया गया, और पंवार वंश की पुनर्स्थापना हुई।
सुदर्शन शाह की राजधानी:
सुदर्शन शाह ने टिहरी को अपनी राजधानी बनाया, जिससे गढ़वाल का प्रशासनिक और सांस्कृतिक पुनर्गठन हुआ।
मुख्य ऐतिहासिक घटनाएं और तिथियां:
➣ 1791 ई.: सेनापति अमरसिंह थापा ने हरक देव की सहायता से गढ़वाल पर आक्रमण किया।
➣ 1792 ई.: गोरखा शासक ने गढ़वाल नरेश से संधि कर ली।
➣ 1803 ई.: अमरसिंह थापा और हस्तीदल चौतरिया के नेतृत्व में पुनः गढ़वाल पर आक्रमण।
➣ 14 मई 1804: खुड़बुड़ा का युद्ध - गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह शहीद हुए।
➣ 1804-1815: गढ़वाल पर गोरखाओं का शासन और 'गोरख्याणी' के नाम से अत्याचारों की शुरुआत।
➣ 1815 ई.: अंग्रेजों ने गोरखाओं को हराकर गढ़वाल और कुमाऊँ पर कब्जा कर लिया।
➣ सुदर्शन शाह की राजधानी: टिहरी।
गोरखों के प्रमुख सेनानायक (1804-1815)
1. अमरसिंह थापा
- पद: सर्वोच्च न्यायाधीश (काली नदी से सतलुज तक)
- विशेषता: नेपाल दरबार के सर्वोच्च पदाधिकारी और कुमाऊँ-गढ़वाल के शासक।
2. रणजोर सिंह थापा (1804-1805)
- पद: प्रमुख सेनानायक और कला प्रेमी।
- संबंध: गढ़वाल के प्रसिद्ध चित्रकार और कवि मोलाराम उनके संरक्षण में रहे।
- उपाधि: मोलाराम ने उन्हें दानवीर कर्ण की उपमा दी।
3. हस्तीदल चौतरिया (1805-1808)
- उपलब्धि:
- कृषि उन्नति के लिए तकावी ऋण दिए।
- लगान घटाया और कृषि सुधार किए।
- काला पक्ष: हरिद्वार के हर की पौड़ी में नारी, दास, और बच्चों की बिक्री शुरू की।
4. भैरो थापा (1808-1811)
- विशेषता: गढ़वाल के कवि और चित्रकार मोलाराम ने उनके अत्याचारों की शिकायत नेपाल सरकार से की।
5. काजी बहादुर भण्डारी (1811-1812)
- उपलब्धि:
- गढ़वाल में भूमि की उर्वरता के आधार पर पाँच भागों में वर्गीकरण किया:
- अबल, दम, सोम, चाहर, और सूखबासी।
- भूमिकर: उर्वरता के आधार पर कर निर्धारण किया।
उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन
➣ 1814 ई. - गढ़वाल को गोरखों से मुक्त कराने के लिए सुदर्शन शाह ने अंग्रेजी सेना से आग्रह किया।
➣ अप्रैल 1815 - कर्नल निकोल्स और कर्नल गार्डनर ने कुमाऊँ के अल्मोड़ा को जीता।
➣ 27 अप्रैल, 1815 - गोरखा शासक बमशाह और कर्नल गार्डनर के बीच संधि हुई, जिससे कुमाऊँ पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
➣ कुमाऊँ क्षेत्र का प्रथम कमिश्नर - कर्नल गार्डनर।
➣ 15 मई, 1815 - गोरखा सरदार अमरसिंह थापा को जनरल ऑक्टर लोनी ने पराजित कर मलॉव का किला जीता।
➣ 28 नवम्बर, 1815 - गोरखों और अंग्रेजों के बीच सुगौली की सन्धि हुई।
➣ सुगौली की स्थिति: चम्पारण (बिहार)।
➣ 1815 - सुगौली की सन्धि के अनुसार काली नदी से अलकनन्दा के पूर्वी तट तक ईस्ट इंडिया कम्पनी का आधिपत्य स्थापित हुआ।
➣ पौड़ी गढ़वाल - अंग्रेजों का कब्जा।
➣ टिहरी गढ़वाल - पंवार वंश का शासन।
➣ टिहरी रियासत का प्रथम राजा - सुदर्शन शाह।
➣ सुदर्शन शाह ने राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित की।
➣ मार्च 1816 - नेपाली शासक ने सुगौली की सन्धि स्वीकार की।
➣ ब्रिटिश गढ़वाल की राजधानी - श्रीनगर, बाद में पौड़ी (1840)।
➣ 1854 - नैनीताल को कुमाऊँ मण्डल का मुख्यालय बनाया गया।
➣ 1891 - कुमाऊँ कमिश्नरी में कुमाऊँ और पौड़ी गढ़वाल जिले शामिल रहे।
➣ 1902 - उत्तराखण्ड को संयुक्त प्रांत आगरा और अवध में शामिल किया गया।
➣ 1904 - नैनीताल गजेटियर में उत्तराखण्ड का नाम हिल स्टेट रखा गया।
उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन:
➣ 1829: ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्रों में शासन प्रबंध को सुव्यवस्थित किया।
➣ 1839: टिहरी गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित की गई।
➣ 1840: पौड़ी को ब्रिटिश गढ़वाल की राजधानी घोषित किया गया।
➣ 1854: नैनीताल को कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय बनाया गया।
➣ 1891: कुमाऊँ कमिश्नरी में कुमाऊँ और पौड़ी गढ़वाल जिले शामिल किए गए।
➣ 1902: उत्तराखण्ड के क्षेत्रों को संयुक्त प्रान्त आगरा और अवध में मिला दिया गया।
उत्तराखण्ड में स्वतन्त्रता आन्दोलन
➣ 1857 - कुमाऊँ के पहले क्रांतिकारी कालू सिंह महरा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया।
➣ कालू सिंह महरा - बिसुंग (चम्पावत) के निवासी।
➣ 1870 - डिबेटिंग क्लब की स्थापना अल्मोड़ा में हुई।
➣ 1871 - अल्मोड़ा अखबार प्रकाशित हुआ।
➣ 1903 - हैप्पी क्लब की स्थापना गोविन्द बल्लभ पन्त ने की।
➣ 1912 - अल्मोड़ा कांग्रेस की स्थापना।
➣ 1913 - स्वामी सत्यदेव परिव्राजक का अल्मोड़ा आगमन और शुद्ध साहित्य समिति की स्थापना।
➣ 1914 - होमरूल लीग की स्थापना अल्मोड़ा में।
➣ 1916 - कुमाऊँ परिषद् की स्थापना।
➣ 1916 - विशनी देवी शाह उत्तराखण्ड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी बनीं।
➣ 1918 - अल्मोड़ा अखबार के होली अंक में बद्रीदत्त पाण्डेय की गजल ने ब्रिटिश प्रशासन की आलोचना की।
➣ 1920 - देहरादून राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की।
उत्तराखण्ड में स्वतंत्रता संग्राम:
➣ 1913: स्वामी सत्यदेव परिव्राजक का आगमन, शुद्ध साहित्य समिति की स्थापना।
➣ 1916: कुमाऊँ परिषद की स्थापना, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श।
➣ 1918: बद्रीदत्त पाण्डेय की गजल के कारण अल्मोड़ा अखबार पर प्रतिबंध लगा।
➣ 1918: शक्ति साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ हुआ।
➣ 1918: बैरिस्टर मुकुन्दीलाल और अनुसूइया प्रसाद बहुगुणा के प्रयासों से कांग्रेस कमेटी गठित।
➣ 1920: देहरादून में राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की।
➣ 1921: अल्मोड़ा में गांधीजी का दौरा, स्वाधीनता आंदोलन तेज हुआ।
➣ 1928: टिहरी में छात्र संगठन और स्वतंत्रता सेनानी सक्रिय हुए।
➣ 1930: सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान कुमाऊँ और गढ़वाल में आंदोलन।
➣ 1938: मोती लाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू का उत्तराखण्ड दौरा।
➣ 1942: भारत छोड़ो आंदोलन में कुमाऊँ-गढ़वाल के कई क्रांतिकारी गिरफ्तार।
अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ:
➣ 1920: टिहरी में किसानों और मजदूरों का विद्रोह।
➣ 1937: गढ़वाल के किसानों ने जमींदारी प्रथा और कर विरोधी आंदोलन चलाए।
➣ 1947: स्वतंत्रता की घोषणा के बाद उत्तराखण्ड भी आजाद भारत का हिस्सा बना।
उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम पृष्ठ: पेशावर काण्ड, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन और आजाद हिन्द फौज
उत्तराखण्ड के वीर सपूतों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान दिया। उनके साहस और बलिदान की कहानियाँ इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं। आइए, इन गौरवशाली घटनाओं को विस्तार से जानें।
पेशावर काण्ड (1930)
23 अप्रैल, 1930 को उत्तराखण्ड की 2/18 गढ़वाल राइफल्स के सैनिकों ने अफगान स्वतन्त्रता सेनानियों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया। इस क्रांतिकारी कदम का नेतृत्व वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली ने किया। उनकी इस बहादुरी ने ब्रिटिश शासन को झकझोर दिया।
👉 पेशावर काण्ड कब हुआ? 1930
👉 किसने देशभर में गढ़वाल दिवस मनाने की घोषणा की? मोतीलाल नेहरू
सविनय अवज्ञा आन्दोलन (1930)
सविनय अवज्ञा आन्दोलन में उत्तराखण्ड के लोगों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ सशक्त विरोध किया।
➣ 26 जनवरी, 1930: उत्तराखण्ड के हर क्षेत्र में तिरंगा फहराया गया, टिहरी रियासत को छोड़कर।
➣ 1929: महात्मा गांधी ने कौसानी में 12 दिन प्रवास कर ‘अनाशक्ति योग’ नामक गीता की भूमिका लिखी और कौसानी को ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ की उपाधि दी।
➣ 1930: दुगड्डा (ब्रिटिश गढ़वाल) में पहला राजनीतिक सम्मेलन आयोजित हुआ।
➣ 1940: डाडामण्डी (पौड़ी गढ़वाल) में व्यक्तिगत सत्याग्रह की पहली बैठक हुई।
भारत छोड़ो आन्दोलन (1942)
8 अगस्त, 1942: मुंबई में प्रमुख कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में उत्तराखण्ड में बड़े आंदोलन हुए।
➣ 19 अगस्त, 1942: देघाट में पुलिस की गोलीबारी में हीरामणि, हरिकृष्ण, बद्रीदत्त, और काण्डपाल शहीद हुए।
➣ 5 सितम्बर, 1942: खुमाड़ में गंगाराम और खिमादेव पुलिस की गोलीबारी में शहीद हो गए।
👉 खुमाड़ शहीद स्मृति दिवस: 5 सितम्बर
👉 किस क्षेत्र को ‘कुमाऊँ का बारदोली’ कहा गया? सल्ट क्षेत्र
आजाद हिन्द फौज और उत्तराखण्ड के वीर योद्धा
उत्तराखण्ड के लगभग 2500 सैनिक आजाद हिन्द फौज में शामिल हुए, जो फौज के कुल सैनिकों का 12% थे।
➣ कैप्टन बुद्धिशरण रावत: नेताजी सुभाषचंद्र बोस के निजी सहायक बने।
➣ कर्नल पितशरण रतूड़ी: उन्हें नेताजी ने कर्नल का पद दिया।
➣ लेफ्टिनेंट चन्द्रसिंह नेगी: सुभाष रेजीमेंट की पहली बटालियन के कमांडर बने।
➣ मेजर देव सिंह दानू: गढ़वाली बटालियन (नेताजी का अंगरक्षक बटालियन) के कमांडर बने।
निष्कर्ष:
उत्तराखण्ड के वीरों के बलिदान और साहस से भारत का स्वतंत्रता आंदोलन सशक्त हुआ। उनके अतुलनीय योगदान को इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।
जय हिंद! 🚩🇮🇳
उत्तराखण्ड के प्रमुख जन आन्दोलन
उत्तराखण्ड के इतिहास में कई जन आन्दोलन हुए, जिन्होंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा तय की। इनमें से कुछ प्रमुख आन्दोलन निम्नलिखित हैं:
1. डोला-पालकी आन्दोलन
यह आन्दोलन मुख्यतः शिल्पकार (दलित) समाज द्वारा सामाजिक असमानता के खिलाफ किया गया था।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- आन्दोलन का उद्देश्य: सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना और शिल्पकार समाज को समान अधिकार दिलाना।
- ‘शिल्पकार’ शब्द का प्रयोग: वर्ष 1911 में हरिप्रसाद द्वारा दलित समाज के लिए 'शिल्पकार' शब्द का उपयोग किया गया।
- नेतृत्व: वर्ष 1930 में जयानन्द भारती ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
- कानूनी अधिकार: वर्ष 1936 में शिल्पकारों को डोला-पालकी के उपयोग का कानूनी अधिकार मिला।
2. कुली बेगार आन्दोलन
कुली बेगार प्रथा के खिलाफ उत्तराखण्ड में यह आन्दोलन एक बड़ा जन आन्दोलन था।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- बेगार के प्रकार: कुली बेगार, कुली उतार, कुली बर्दायश।
- शुरुआत: खव्याड़ी (अल्मोड़ा)।
- महत्वपूर्ण बैठक: 13-14 जनवरी, 1921 को बागेश्वर में बद्रीदत्त पाण्डेय, हरगोविन्द पन्त और चिरंजीलाल शाह के नेतृत्व में बेगार न देने का संकल्प लिया गया।
- प्रथम प्रस्ताव: 25 दिसम्बर, 1918 को कुमाऊँ परिषद् के हल्द्वानी अधिवेशन में प्रस्ताव पारित।
- महत्वपूर्ण अधिवेशन: दिसम्बर 1920 में काशीपुर अधिवेशन में कुली बेगार प्रथा के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ।
3. टिहरी राज्य आन्दोलन
टिहरी गढ़वाल में प्रजामण्डल की स्थापना के बाद यह आन्दोलन शुरू हुआ, जिसमें जनता ने सामंती शासन के खिलाफ विद्रोह किया।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- स्थापना: वर्ष 1939 में श्रीदेवसुमन, दौलतराम, नागेन्द्र सकलानी और वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली के प्रयासों से टिहरी राज्य प्रजामण्डल की स्थापना हुई।
- श्रीदेवसुमन का बलिदान: 25 जुलाई, 1944 को जेल में भूख हड़ताल करते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
- कीर्तिनगर आन्दोलन: 1948 में भोलूराम नौटियाल और नागेन्द्र सकलानी शहीद हो गए।
- विलय: 1 अगस्त, 1949 को टिहरी संयुक्त प्रान्त का जिला बना।
4. सड़क आन्दोलन
यह आन्दोलन उत्तराखण्ड में सड़कों की मांग को लेकर हुआ।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- वर्ष: 1940
- मुख्य उद्देश्य: गरुड़ से कर्णप्रयाग और लैंसडाउन से पौड़ी तक मोटर मार्ग का निर्माण।
5. कोटा खर्रा आन्दोलन
यह आन्दोलन उत्तराखण्ड के तराई क्षेत्रों में भूमिहीन किसानों को भूमि वितरण के लिए हुआ।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- मुख्य उद्देश्य: सीलिंग कानून लागू कर भूमिहीनों और किसानों को जमीन का हक दिलाना।
- नेतृत्व: किसान संगठनों ने आन्दोलन का नेतृत्व किया।
6. विश्वविद्यालय आन्दोलन
यह आन्दोलन राज्य में एक विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए हुआ।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- उद्देश्य: राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना।
- प्रस्ताव: वर्ष 1955-56 में एन.डी. तिवारी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रस्ताव रखा।
- स्थापना: 1 मार्च, 1973 को कुमाऊँ और गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
शराब विरोधी आन्दोलन
- उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी ने शराब विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व कब किया? – 1984
- आन्दोलन का प्रमुख नारा क्या था? – 'नशा नहीं रोजगार दो'
- प्रसिद्ध 'टिचरी माई' का असली नाम क्या था? – दीपा नौटियाल
कालू सिंह महरा
- उत्तराखण्ड का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कौन थे? – कालू सिंह महरा
- कहाँ जन्मे थे? – विसुड़ (लोहाघाट के पास), चम्पावत जिले में 1831 में
- 1857 की क्रांति में किस गुप्त संगठन का गठन किया? – क्रान्तिवीर संगठन
जयानन्द भारती
- जयानन्द भारती का जन्म कब हुआ था? – 17 अक्टूबर, 1881, पौड़ी जनपद
- डोला-पालकी प्रथा का विरोध किसने किया था? – बद्रीदत्त पाण्डेय
बद्रीदत्त पाण्डेय
- बद्रीदत्त पाण्डेय का जन्म कहाँ हुआ था? – 15 फरवरी, 1882, कनखल (हरिद्वार)
- किस अखबार का सम्पादन किया? – अल्मोड़ा अखबार
हरगोविन्द पन्त
- हरगोविन्द पन्त का जन्म कहाँ हुआ था? – 19 मई, 1885, चितई गाँव, अल्मोड़ा
- कुमाऊँ के ब्राह्मणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा को तोड़ा था? – 1928 में बागेश्वर में
खुशीराम
- आर्य समाजी विचारधारा के पक्षधर खुशीराम का जन्म कहाँ हुआ था? – हल्द्वानी
- कुमाऊँ में दलितों में व्याप्त कुप्रथाओं के विरोध में कौन सक्रिय था? – खुशीराम
बैरिस्टर मुकुन्दीलाल
- मुकुन्दीलाल का जन्म कहाँ हुआ था? – 14 अक्टूबर, 1885, पाटली गाँव, चमोली
- उनकी अमूल्य कृति 'गढ़वाल पेंटिंग्स' कब प्रकाशित हुई थी? – 1969
पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त
- पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त का जन्म कहाँ हुआ था? – 10 सितम्बर, 1857, खूट ग्राम, अल्मोड़ा
- भारत रत्न से कब सम्मानित हुए थे? – 10 जून, 1955
हर्षदेव ओली
- हर्षदेव ओली का जन्म कहाँ हुआ था? – गोसानी (खेतीखान), चम्पावत
- किसने 1930 में जंगलात कानून के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया? – हर्षदेव ओली
अनुसूइया प्रसाद बहुगुणा
- अनुसूइया प्रसाद बहुगुणा का जन्म कहाँ हुआ था? – 18 फरवरी, 1864, पुण्यतीर्थ अनुसूइया देवी
- किसे 'गढ़ केसरी' से सम्बोधित किया जाता है? – अनुसूइया प्रसाद बहुगुणा
मोहन सिंह मेहता
- मोहन सिंह मेहता का जन्म कहाँ हुआ था? – एक बज्यूला (कत्यूर), बागेश्वर
- कुमाऊँ परिषद् की शाखा किसने गठित की और कुली-बेगार प्रथा के विरुद्ध आन्दोलन चलाया? – मोहन सिंह मेहता
प्रयागदत्त पन्त
- प्रयागदत्त पन्त का जन्म कहाँ हुआ था? – हलपाटी चण्डाक, पिथौरागढ़
- उत्तराखण्ड में आन्दोलन शुरू करने का श्रेय किसे दिया जाता है? – प्रयागदत्त पन्त
इन्द्रसिंह नयाल
➣ वर्ष 1932 में अल्मोड़ा में आयोजित कुमाऊँ युवक सम्मेलन में कौन अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हुए थे? इन्द्रसिंह नयाल
➣ किसने वर्ष 1973 में 'स्वतन्त्रता संग्राम में कुमाऊँ का योगदान' नामक पुस्तक लिखी है? भवानी सिंह रावत
➣ भवानी सिंह रावत का जन्म कहाँ हुआ था? नाथपुर पंचुर, पौड़ी
➣ चन्द्रशेखर आजाद के हिन्दुस्तान समाजवादी संघ में शामिल उत्तराखण्ड के एकमात्र सदस्य कौन थे? भवानी सिंह रावत
➣ किसने दुगड्डा (पौड़ी) में शहीद मेले का प्रारम्भ किया था? भवानी सिंह रावत
➣ अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ के उपाध्यक्ष रहे बलदेव सिंह आर्य का जन्म कहाँ हुआ था? उमथ (पौड़ी)
➣ उत्तराखण्ड में सबसे अधिक समय तक विधायक और मन्त्री रहने वाले (वर्ष 1950-1974) पहले विधायक कौन थे? बलदेव सिंह आर्य
➣ गढ़वाल जिले में जन्मे श्रीदेव सुमन का वास्तविक नाम क्या था? श्रीदत्त बडोनी
➣ कितने वर्ष की आयु में श्रीदेव सुमन ने देहरादून में नमक सत्याग्रह में भाग लिया था? 14 वर्ष
➣ वर्ष 1939 में देहरादून में टिहरी राज्य प्रजामण्डल की स्थापना किसने की थी? श्रीदेव सुमन
➣ किसने पण्डित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में फरवरी, 1939 में हुए श्री देव सुमन अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् अधिवेशन में प्रजामण्डल के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था? श्री देव सुमन
➣ 30 दिसम्बर, 1943 को प्रजामण्डल से सम्बन्धित किस मामले में राज्य पुलिस ने श्रीदेव सुमन को किस कारागार में बन्द कर दिया था? टिहरी कारागार
➣ जेल में यातना सहते हुए किसने कहा था कि तुम मुझे तोड़ सकते हो, मोड़ नहीं सकते? श्री देव सुमन
➣ बाल पत्रिका 'हिन्दी-पत्र-बोध' से किसका सम्बन्ध था? श्री देव सुमन
➣ श्रीदेव सुमन के युवक-युवतियों में साहित्य के प्रति रुचि पैदा करने हेतु किस नाम से कविता संग्रह प्रकाशित किया था? सुमन सौरभ
➣ प्रजामण्डल की मान्यता और पत्र-व्यवहार की स्वतन्त्रता के लिए 3 मई, 1944 से आमरण अनशन किसने प्रारम्भ किया था? श्री देव सुमन
➣ 25 जुलाई, 1944 को 84 दिनों के आमरण अनशन के पश्चात् कौन शहीद हो गए थे? श्रीदेवसुमन
हेमवती नन्दन बहुगुणा
➣ हेमवती नन्दन बहुगुणा का जन्म 25 अप्रैल, 1919 को कहाँ पर हुआ था? बुघाड़ी (पौड़ी)
➣ किसने उत्तर प्रदेश सरकार में उत्तराखण्ड के विकास के लिए अलग से पर्वतीय विकास मन्त्रालय का गठन किया? हेमवती नन्दन बहुगुणा
➣ उत्तराखण्ड का कौन-सा प्रमुख व्यक्तित्व धरतीपुत्र/हिमपुत्र के नाम से प्रसिद्ध है? हेमवती नन्दन बहुगुणा
➣ वर्ष 1979 में हेमवती नन्दन बहुगुणा ने किस पार्टी का गठन किया था? लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी
➣ हेमवती नन्दन बहुगुणा कब से कब तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे थे? नवम्बर 1973 से नवम्बर 1975 तक
➣ वर्ष 1984 में हेमवती नन्दन बहुगुणा ने किसके साथ मिलकर दलित मजदूर किसान पार्टी की स्थापना की थी? चौधरी चरण सिंह
➣ धरतीपुत्र हेमवती नन्दन बहुगुणा का निधन कब हुआ था? 17 मार्च, 1989
डॉ. भक्त दर्शन
➣ पौड़ी जिले में जन्मे (12 फरवरी, 1922) किस व्यक्ति ने अपने नाम के आगे से जातिवाचक शब्द को हटा दिया था? डॉ. भक्त दर्शन
➣ किसने जीवनभर खादी पहनी तथा विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार का व्रत रखा? डॉ. भक्त दर्शन
➣ गढ़वाल की दिवंगत विभूतियाँ, सुमन स्मृति ग्रन्थ, स्वामी रामतीर्थ स्मृति ग्रन्थ एवं कलाविद् बैरिस्टर मुकुन्दीलाल स्मृति ग्रन्थ की रचना की थी? डॉ. भक्त दर्शन
इन्द्रमणि बडोनी
➣ 24 दिसम्बर, 1925 को इन्द्रमणि बडोनी का जन्म टिहरी गढ़वाल के किस ग्राम में हुआ था? अखोड़ी ग्राम (टिहरी गढ़वाल)
➣ इन्द्रमणि बडोनी के पिता का नाम क्या था? श्री सुरेशानन्द बड़ोनी
➣ किसको उत्तराखण्ड का महानायक और आन्दोलन का अग्रदूत कहा गया है? इन्द्रमणि बडोनी
➣ अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने स्व. इन्द्रमणि बडोनी को कौन-सी उपाधि दी थी? उत्तराखण्ड के गाँधी
बिहारी लाल चौधरी
➣ वर्ष 1929 में लाहौर में कांग्रेस के ऐतिहासिक अधिवेशन में किसने भाग लिया था? बिहारी लाल चौधरी
➣ देश में चुनाव के अन्तर्गत एक आम सीट पर निर्वाचित होने वाले प्रथम हरिजन सदस्य कौन थे? बिहारी लाल चौधरी
मेजर जनरल भुवनचन्द्र खण्डूरी
➣ मेजर जनरल भुवनचन्द्र खण्डूरी का जन्म 1 अक्टूबर, 1934 को कहाँ हुआ था? देहरादून
➣ किस वर्ष एनडीए परीक्षा के माध्यम से मेजर जनरल भुवनचन्द्र खण्डूरी का सेना में चयन हुआ था? वर्ष 1954
➣ भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त करने के पश्चात् कौन राजनीति में सक्रिय हुए थे? मेजर जनरल भुवनचन्द्र खण्डूरी
Frequently Asked Questions (FQCs)
1. गोरखा शासन की शुरुआत कब हुई?
उत्तर: गोरखा शासन की शुरुआत 1790 ई. में कुमाऊं क्षेत्र पर गोरखा आक्रमण से हुई, जब गोरखा सेना ने कुमाऊं पर कब्जा कर लिया।
2. गोरखा आक्रमण का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर: गोरखा आक्रमण का नेतृत्व काजी जगजीत पांडे, हस्तीदल चौतरिया और अमरसिंह थापा (वीर थापा) ने किया था।
3. कुमाऊं पर गोरखा शासन का समय क्या था?
उत्तर: कुमाऊं पर गोरखा शासन का समय 1790 से 1815 ई. तक था।
4. गढ़वाल पर गोरखा शासन की शुरुआत कब हुई?
उत्तर: गढ़वाल पर गोरखा शासन की शुरुआत 1804 में हुई, जब गोरखा सेना ने गढ़वाल पर आक्रमण किया।
5. खुड़बुड़ा का युद्ध कब हुआ और इसके परिणाम क्या थे?
उत्तर: खुड़बुड़ा का युद्ध 14 मई, 1804 को हुआ था, जिसमें गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह वीरगति को प्राप्त हुए और गढ़वाल पर गोरखों का कब्जा हो गया।
6. 'गोरख्याणी' का क्या मतलब है?
उत्तर: 'गोरख्याणी' गोरखा शासन की अवधि (1804-1815) के दौरान गढ़वाल में हुए अत्याचारों का नाम है, जिसमें गढ़वाल के लोगों को अत्यधिक करों, जबरन श्रम और दमनकारी शासन का सामना करना पड़ा।
7. ब्रिटिश शासन ने कुमाऊं और गढ़वाल पर कब कब्जा किया?
उत्तर: ब्रिटिश शासन ने 1815 ई. में गोरखाओं को हराकर कुमाऊं और गढ़वाल पर कब्जा किया।
8. सुदर्शन शाह ने टिहरी को राजधानी क्यों बनाया?
उत्तर: सुदर्शन शाह ने गढ़वाल का प्रशासनिक और सांस्कृतिक पुनर्गठन करते हुए टिहरी को अपनी राजधानी बनाया।
9. कुमाऊं के पहले कमिश्नर कौन थे?
उत्तर: कुमाऊं के पहले कमिश्नर कर्नल गार्डनर थे, जिन्होंने 1815 में कुमाऊं पर ब्रिटिश अधिकार स्थापित किया।
10. उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन की स्थापना के बाद महत्वपूर्ण घटनाएँ कौन सी थीं?
उत्तर:
- 1829: ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में शासन प्रबंध को सुव्यवस्थित किया।
- 1839: टिहरी गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित की गई।
- 1854: नैनीताल को कुमाऊं मंडल का मुख्यालय बनाया गया।
- 1891: कुमाऊं कमिश्नरी में कुमाऊं और पौड़ी गढ़वाल जिले शामिल किए गए।
11. उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख आंदोलन कब शुरू हुए?
उत्तर: उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख आंदोलन 1857 में कुमाऊं के पहले क्रांतिकारी कालू सिंह महरा द्वारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करने से हुआ। इसके बाद 1903 में गोविंद बल्लभ पंत ने हैप्पी क्लब की स्थापना की और 1916 में कुमाऊं परिषद की स्थापना हुई।
12. उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी कौन थे?
उत्तर: प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी में कालू सिंह महरा, बद्रीदत्त पांडे, स्वामी सत्यदेव परिव्राजक, और विशनी देवी शाह शामिल हैं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ महत्वपूर्ण संघर्ष किए।
13. उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन के दौरान कौन से महत्वपूर्ण सुधार किए गए?
उत्तर: ब्रिटिश शासन के दौरान कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में प्रशासनिक सुधार किए गए, जैसे कि टिहरी गढ़वाल को राजधानी बनाना, नैनीताल को कुमाऊं मंडल का मुख्यालय बनाना और कुमाऊं कमिश्नरी में प्रशासनिक व्यवस्था की स्थिरता लाना।
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