नन्दा देवी महोत्सव: उत्तराखंड की कुल देवी की आस्था और महिमा (Nanda Devi Festival: Faith and Glory of the Kul Devi of Uttarakhand)

नन्दा देवी महोत्सव: उत्तराखंड की कुल देवी की आस्था और महिमा

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाने वाला नंदाष्टमी या नन्दा देवी महोत्सव, एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्व है। यह उत्सव कुमाऊं के विभिन्न क्षेत्रों जैसे अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर, भवाली, और जोहार में मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान, विशेष रूप से देवी नंदा और उनकी बहन सुनंदा की पूजा की जाती है। नन्दा देवी कुमाऊं की कुल देवी मानी जाती हैं, और उन्हें हिमालय की राजकुमारी तथा शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है।

नन्दा देवी की पौराणिक कथा और महत्व

नन्दा देवी की पौराणिक कथा में बताया जाता है कि देवी नन्दा का जन्म ऋषि कश्यप और कांची देवी के यहां हुआ था, और उन्हें हिमालय की कन्या माना जाता है। नन्दा देवी का विवाह भगवान शिव से हुआ था, और वह पर्वतीय क्षेत्र में जीवन व्यतीत करती थीं। कुमाऊं क्षेत्र के लोग देवी नन्दा को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हैं, और उन्हें अपनी आस्था का केंद्र मानते हैं।

देवी नन्दा का पर्वतीय स्थान नन्दा देवी पर्वत श्रृंखला के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें नन्दा देवी पर्वत 7,816 मीटर (25,643 फीट) ऊंचा है। यह पर्वत भारतीय उपमहाद्वीप का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है, और यह देवी नन्दा की शक्ति और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है।

नंदाष्टमी और नन्दा राजजात यात्रा

भाद्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाला नंदाष्टमी पर्व पूरी कुमाऊं को एक सूत्र में पिरोता है। इस दिन देवी नन्दा और सुनंदा की पूजा की जाती है, और केले के पेड़ से बनाए गए विशेष रूप की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। कुमाऊं में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, और देवी नन्दा के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त श्रद्धा भाव से एकत्र होते हैं।

नन्दा देवी की पूजा का एक प्रमुख रूप नन्दा चौथ है, जो विशेष रूप से कुमाऊं में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में देवी की पूजा के साथ-साथ रथ यात्रा भी आयोजित की जाती है, जिसमें नन्दा देवी के रथ को विभिन्न स्थानों पर घुमाया जाता है। नन्दा देवी के सम्मान में सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, और लोक कला भी प्रस्तुत किए जाते हैं।

नन्दा देवी के प्रमुख मंदिर

उत्तराखंड में नन्दा देवी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र बने हुए हैं। इन मंदिरों में प्रमुख हैं:

  1. नन्दा देवी मंदिर, अल्मोड़ा: यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध नन्दा देवी मंदिर है, जहाँ नन्दा अष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

  2. नन्दा देवी मंदिर, नैनीताल: नैनीताल का नन्दा देवी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है, और यहाँ नन्दा महोत्सव में हजारों भक्त आते हैं।

  3. नन्दा देवी मंदिर, जोशीमठ: जोशीमठ में स्थित नन्दा देवी का मंदिर यहाँ होने वाली नन्दा देवी राजजात यात्रा का केंद्र है, जो बारह साल में एक बार आयोजित होती है।

  4. नन्दा देवी मंदिर, मुनस्यारी: मुनस्यारी में स्थित नन्दा देवी का मंदिर हिमालय के दृश्य से सजा हुआ है, और यहाँ विशेष रूप से नन्दा अष्टमी मनाई जाती है।

  5. नन्दा देवी मंदिर, बागेश्वर: बागेश्वर में स्थित नन्दा देवी का यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, और यहाँ नन्दा अष्टमी का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है।

नन्दा देवी और कुमाऊं की आस्था

नन्दा देवी न केवल कुमाऊं की कुल देवी हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र की रक्षक के रूप में देखी जाती हैं। कुमाऊं के लोग मानते हैं कि देवी नन्दा उन्हें अपनी आशीर्वाद देती हैं, और जब भी वे कठिनाइयों में होते हैं, तो नन्दा देवी से प्रार्थना करते हैं। उनका विश्वास है कि देवी नन्दा के दर्शन से उनका जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।

इस पर्व की आस्था और महत्व को समझते हुए, कुमाऊं के लोग अपनी धार्मिक परंपराओं को बड़े श्रद्धा भाव से निभाते हैं और नन्दा देवी की पूजा को अपने जीवन का एक अहम हिस्सा मानते हैं।

निष्कर्ष

नन्दा देवी महोत्सव उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि कुमाऊं के लोककला, संगीत, नृत्य, और सांस्कृतिक गतिविधियों से भी जुड़ा हुआ है। नन्दा देवी की पूजा और उनके मंदिरों में होने वाली यात्रा तथा आयोजन, कुमाऊं के लोगों के आस्था और विश्वास को एक नया आयाम देते हैं।

Frequently Asked Questions (FAQs) about Nanda Devi and Nandastami

1. नंदा देवी कौन हैं और उनका धार्मिक महत्व क्या है?
नंदा देवी हिमालय की देवी मानी जाती हैं और कुमाऊं क्षेत्र की कुलदेवी हैं। उन्हें शक्ति और सुरक्षा की देवी के रूप में पूजा जाता है, जो कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों के लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

2. नंदाष्टमी कब मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है?
नंदाष्टमी भाद्र शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है, जो विशेष रूप से उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन माता नंदा और उनकी बहन सुनंदा की पूजा के लिए समर्पित होता है, और इस दिन उनकी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

3. नंदा देवी की पूजा कहाँ-कहाँ होती है?
नंदा देवी की पूजा कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर की जाती है। प्रमुख मंदिर अल्मोड़ा, नैनीताल, जोशीमठ, बागेश्वर, और मुनस्यारी में स्थित हैं। इन स्थानों पर नंदा अष्टमी के अवसर पर बड़ी धूमधाम से पूजा होती है।

4. नंदा देवी राजजात यात्रा क्या है?
नंदा देवी राजजात यात्रा एक प्रमुख धार्मिक यात्रा है जो हर बारह साल में आयोजित होती है। यह यात्रा जोशीमठ से शुरू होती है और नंदा देवी के पवित्र स्थल तक जाती है। इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और यह उत्सव शक्ति, आस्था और विश्वास का प्रतीक है।

5. नंदा देवी के पर्वतीय क्षेत्र का क्या महत्व है?
नंदा देवी पर्वत उत्तराखंड राज्य का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है और इसे देवी नंदा की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यह पर्वत क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और इसके दर्शन से भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

6. नंदा देवी की कथा क्या है?
नंदा देवी की पौराणिक कथा में उन्हें हिमालय की कन्या और भगवान शिव की पत्नी के रूप में वर्णित किया जाता है। उन्हें कुमाऊं क्षेत्र की कुलदेवी और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है।

7. नंदाष्टमी के दिन किन विशेष परंपराओं का पालन किया जाता है?
नंदाष्टमी के दिन कुमाऊं क्षेत्र में नंदा और सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण केले के पेड़ से किया जाता है। इस दिन उनकी पूजा, प्राण प्रतिष्ठा और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन मां नंदा अपने मायके कुमाऊं आती हैं।

8. नंदा देवी के मंदिरों में कौन-कौन सी विशेष पूजा विधियाँ होती हैं?
नंदा देवी के मंदिरों में विशेष पूजा विधियाँ होती हैं, जैसे नंदा चौथ और नंदा अष्टमी की पूजा। इन पूजा विधियों में रथ यात्रा, मंत्रोच्चारण, और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु भाग लेते हैं।

9. नंदा देवी की पूजा क्यों की जाती है?
नंदा देवी की पूजा कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में सुरक्षा, समृद्धि, और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए की जाती है। उन्हें शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है और उनके द्वारा मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास किया जाता है।

10. क्या नंदा देवी के मंदिरों में किसी विशेष पर्व या उत्सव का आयोजन होता है?
जी हाँ, नंदा देवी के मंदिरों में विशेष रूप से नंदा अष्टमी और नंदा महोत्सव के दौरान बड़े पैमाने पर उत्सव मनाए जाते हैं। इन उत्सवों में पूजा, भजन-कीर्तन, रथ यात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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