उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और प्रमुख हस्तियाँ (Prominent freedom fighters, philanthropists and prominent personalities of Uttarakhand)
उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और प्रमुख हस्तियाँ
- ब्रिटिश सेना के कर्नल जिम कॉर्बेट – जन्म 25 जुलाई, 1875, नैनीताल में
- भारत के प्रथम राष्ट्रीय पार्क का नाम – जिम कॉर्बेट के नाम पर
- 'मैन इंटर्स ऑफ कुमाऊँ' पुस्तक के लेखक – जिम कॉर्बेट
- घनानन्द खण्डूरी – जन्म 1882, गढ़वाल, समाजसेवा, व्यवसाय और दान कार्य में योगदान
- चिपको आन्दोलन के नेता – सुन्दरलाल बहुगुणा (जन्म 1927)
- सुन्दरलाल बहुगुणा को 1981 में भारत सरकार द्वारा – पद्मश्री से सम्मानित
- 'हिमालय बचाओ, देश बचाओ' का नारा देने वाले – सुन्दरलाल बहुगुणा
- 'दशौली ग्राम स्वराज मण्डल' के संस्थापक – चण्डीप्रसाद भट्ट (1964)
- 'सर्वोदयी मण्डल' के संयोजन का पद्भार संभालने वाले – चण्डीप्रसाद भट्ट (आचार्य विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण से प्रेरित)
- मानव उत्थान सेवा समिति के संस्थापक – सतपाल महाराज
- उत्तराखण्ड का गांधी – इन्द्रमणि बडोनी
- कुमाऊँ केशरी – बद्री दत्त पाण्डेय
- गुमानी पंत का मूल नाम – लोकरत्न पंत
- शिव प्रसाद डबराल 'चारण' – लेखन के लिए प्रसिद्ध
- कुमाऊँ की रानी लक्ष्मीबाई – जियारानी
- गढ़वाल की रानी लक्ष्मीबाई – तीलू रौतेली
- चिपको वूमन – गौरा देवी
- लेखिका शिवानी का मूल नाम – गौरा पंत
- 'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ उत्तराखण्ड' के लेखक – डा. शिव प्रसाद डबराल 'चारण'
- काली कुमाऊँ का शेर – हर्षदेव ओली
- मौलिक पंडित – नैन सिंह रावत
- उत्तराखण्ड के पहले स्वतंत्रता सेनानी – कालू माहरा (1857)
- ब्राह्मणों के हल न चलाने की प्रथा को चुनौती देने वाले – हरगोविन्द पंत
- स्वराज दल से गढ़वाल से 1926 में चुनाव जीतने वाले – अनुसूया प्रसाद बहुगुणा
- 1957 में भारत रत्न से विभूषित होने वाले – गोविन्द वल्लभ पंत
- शिल्पकार सुधारिणी सभा के संस्थापक – महात्मा खुशीराम आर्य
- 'स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊँ का योगदान' पुस्तक के लेखक – इन्दसिंह नयाल
- चन्द्रशेखर आजाद के सहयोगी – भवानी सिंह रावत
- 1977 के लोकसभा चुनावों में टिहरी से सांसद बने – परिपूर्णानन्द पैन्यूली
- गढ़वाल क्षेत्र से लगातार चार बार सांसद रहे – भक्तदर्शन
- दुगड्डा में शहीद मेले का प्रारम्भ करने वाले – भवानी सिंह रावत
- टिहरी राज्य प्रजामण्डल की स्थापना करने वाले – श्रीदेव सुमन
- गढ़वाल से प्रथम मुख्यमंत्री – हेमवती नंदन बहुगुणा
- टिहरी लोकसभा सीट से प्रथम महिला सांसद – महारानी कमलेन्दुमति शाह
- टिहरी से आठ बार सांसद रहने वाले – मानवेन्द्र शाह
- उत्तराखण्ड के एकमात्र मुख्यमंत्री – नारायण दत्त तिवारी
- उत्तराखण्ड के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री – नारायण दत्त तिवारी
- गोविन्दबल्लभ पंत के पुत्र – कृष्णचन्द्र पंत
- 2007 में राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले – भुवन चन्द्र खण्डूरी
- गढ़वाल में पत्रकारिता के पितामह – विश्वम्भर दत्त चंदोला
- डोलापालकी कुप्रथा के खिलाफ अभियान चलाने वाले – जयानंद भारती
- दलितों को 'शिल्पकार' नाम देने वाले – मुंशी हरिप्रसाद टम्टा
- उत्तराखण्ड का वृक्ष मानव – विश्वेश्वर दत्त सकलानी
- घनानन्द इण्टर कॉलेज के संस्थापक – घनानन्द खण्डूरी
- कुमाऊँ का शिवाजी – शिव दत्त जोशी
- उत्तराखण्ड का वेदव्यास – यशोधर मठपाल
- पहाड़ का प्रेमचंद – विद्यासागर नौटियाल
- उत्तराखण्ड का चाइनावॉल – राम बहादुर क्षेत्री
- बिल क्लिंटन सरकार में राज्य से मंत्री – डॉ. इस्लाम अहमद सिद्दीकी
- कुमाऊँ के सबसे पुरानी कवि – गुमानी पंत
- शतरंज के खिलाड़ी – परिमार्जन नेगी
- आइरिन पंत की पत्नी – लियाकत अली खान
- पाकिस्तान की पहली महिला राजदूत – आइरिन पंत
- बैडमिंटन खिलाड़ी – मधुमिता बिष्ट
- 1977 में अल्मोड़ा लोकसभा से सांसद चुने गए – मुरली मनोहर जोशी
- साहित्य से संबंधित शैलेश मटियानी
- माउंट एवरेस्ट की प्रथम महिला चढ़ाई करने वाली – बछेन्द्री पाल
- बॉक्सिंग खिलाड़ी – पदम बहादुर मल्ल
- एथलेटिक्स खिलाड़ी – मनीष रावत
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (1973) – हेमवतीनंदन बहुगुणा
- उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री – योगी आदित्यनाथ
- योगी आदित्यनाथ का मूल नाम – अजय सिंह बिष्ट
- योगी आदित्यनाथ का संबंध यमकेश्वर ब्लॉक से – पौड़ी
- गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश – सुधांशु धूलिया
- महाराष्ट्र के राज्यपाल – भगत सिंह कोश्यारी
- नैनीताल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश – आर एस चौहान
- उत्तराखण्ड सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री – धन सिंह रावत
- बोलांदा बद्री के नाम से जाने जाने वाले – टिहरी के राजा
- 1947 में युगवाणी पत्रिका के सम्पादक – आचार्य गोपेश्वर कोठियाल
- हिलांश का कविता संग्रह – भगवती चरण वर्मा
- राज्य में ढोल सागर के ज्ञाता – उत्तम दास
- फिल्म से संबंधित हिमानी शिवपुरी
- द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त उत्तराखण्ड की पहली महिला – हंसा मनराल
- टिंचरी माई का मूल नाम – ठगुली देवी
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार – अजीत डोभाल
- 'हिमालय वन्यजीव संस्थान' की स्थापना (1974) – कल्याण सिंह रावत मेती
- मेती (मायका) नामक वन आन्दोलन के संस्थापक – कल्याण सिंह रावत मेती (1995)
उत्तराखण्ड के प्रमुख वैज्ञानिक:
नैनसिंह रावत
- ब्रिटिश शासन द्वारा 'जागीर' और 'कम्पेनियन ऑफ इंडियन एम्पायर' अलंकरण प्रदान किया गया था।
- नैनसिंह रावत ने तिब्बत और हिमालय क्षेत्रों का महत्त्वपूर्ण सर्वेक्षण किया था (1866-67 ई.)।
सर रोनाल्ड रॉस
- 1857 में अल्मोड़ा में जन्मे।
- एनोफिलिज मच्छर की खोज के लिए वर्ष 1902 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉ. नीलाम्बर पन्त
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अंतरिक्ष प्रायोगिक केंद्र अहमदाबाद के अध्यक्ष (1977)।
श्री कृष्ण जोशी
- उत्तराखंड के पहले वैज्ञानिक जिन्होंने सौर ऊर्जा का सफल प्रयोग किया।
- भानुप्रताप यंत्र, चरखा और लैम्प के निर्माता।
आदित्य नारायण पुरोहित
- कृषि और वनस्पति विज्ञान के शोध अधिकारी।
- विशेष रूप से पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) के वनस्पति विज्ञान विभाग में कार्यरत।
- चमोली में जन्मे।
उत्तराखण्ड के प्रमुख कलाकार:
मोलाराम
- प्रसिद्ध चित्रकार, 1743 ई. में श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) में जन्मे।
- गढ़वाल नरेश के दरबारी चित्रकार थे।
- इनकी चित्रशाला श्रीनगर में स्थित है।
- उनकी श्रेष्ठ रचना है "गड़ राजवंश" (ब्रज भाषा में)।
नारायण सिंह थापा (धामी)
- सिनेमेटोग्राफी विधा से संबंधित।
- हिमालय पर 7 डॉक्युमेण्ट्री फिल्मों का निर्माण किया।
- उनकी प्रसिद्ध डॉक्युमेण्ट्री फिल्में हैं "मित्रता की मात्रा" और "डिब्रूगढ़ की बाढ़"।
यशोधर मठपाल
- काष्ठ शिल्प के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान।
नरेन्द्र सिंह नेगी
- गढ़वाली गायन से संबंधित।
उत्तम दास
- उत्तराखंड में ढोल सागर के एकमात्र ज्ञाता।
उत्तराखण्ड की प्रमुख महिलाएँ
- रानी कर्णावती - गढ़वाल नरेश महिपतिशाह की पत्नी, नाक कटवाने की प्रथा की शुरुआत की।
- जियारानी - कुमाऊँ की न्याय देवी, कत्यूरी शासक प्रीतमदेव की पत्नी।
- तीलू रौतेला - गढ़वाल की "झाँसी की रानी", 7वीं शताब्दी की साहसी महिला।
- टिंचरी माई (ठगुली देवी) - सामाजिक कार्यकर्ता।
- गौरा पन्त 'शिवानी' - प्रसिद्ध साहित्यकार, रचनाएँ: विषकन्या, कैंजा, चौदह फेरे।
- सरला बहन - लक्ष्मी आश्रम की संस्थापिका, कौसानीमाल्यार।
- बिशनी देवी शाह - स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम महिला जेल यात्रा करने वाली, 1902 में बागेश्वर में जन्मी।
- विद्यावति डोभाल - गढ़वाल की प्रथम महिला लेखिका, "एवरेस्ट के देवता" की रचनाकार।
- कमलेन्दुमति शाह - उत्तराखण्ड से पहली महिला सांसद, टिहरी बाँध का विरोध किया।
- चन्द्रावती लखनपाल - राज्यसभा की मनोनीत सदस्य, 1952 में राज्यसभा पहुँची।
- लक्ष्मीदेवी नौटियाल - स्नातक की डिग्री लेने वाली प्रथम दलित महिला।
- डॉ. दमयंती कपूर - 1974 में इंदिरा गाँधी सम्मान प्राप्त।
- गौरा देवी - चिपको आंदोलन की प्रमुख महिला।
- प्रोफेसर सुशीला डोभाल - गढ़वाल विश्वविद्यालय की प्रथम महिला कुलपति, 1977 में नियुक्त।
- सरिता आर्य - राज्य बनने के बाद पहली दलित महिला विधायक, नैनीताल से चुनी गई।
- इंदिरा हृदयेश - सबसे अधिक बार विधायक बनने वाली महिला, राज्य की पहली महिला वित्तमंत्री।
- कंचन चौधरी भट्टाचार्य - राज्य की पहली महिला पुलिस महानिदेशक।
- बसंती बिष्ट - पद्मश्री प्राप्त प्रसिद्ध जागर गायिका।
- कल्पना चौहान - गायन क्षेत्र से संबंधित।
- अन्नपूर्णा नौटियाल - गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति।
- माला राजलक्ष्मी शाह - टिहरी से वर्तमान सांसद।
- इला पंत - 1998 में नैनीताल से सांसद।
- मनोरमा शर्मा - राज्यसभा सदस्य, देहरादून की पहली महिला मेयर।
- हिमानी शिवपुरी - अभिनय क्षेत्र से संबंधित।
- ज्योतिराव पाण्डेय - उत्तराखण्ड की पहली महिला आईएएस।
- निहारिका सिंह - मिस इंडिया अर्थ 2005।
- सुशीला बलूनी - उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन की प्रमुख नेत्री।
- रेणु अधिकारी - हल्द्वानी की पहली महिला मेयर।
- इंदिरा हृदयेश - राज्य की पहली महिला वित्तमंत्री।
- विजया बड़थ्वाल - विधानसभा की पहली महिला उपसभापति।
- विजया बड़थ्वाल - राज्य महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्ष।
- एकता बिष्ट - क्रिकेट से संबंधित।
- कुंतीदेवी वर्मा - स्वतंत्रता आंदोलन की प्रमुख नेत्री।
- हंसा धनाई व बेलमती चौहान - राज्य आंदोलन में शहीद हुईं।
- कमला पत - उत्तराखण्ड महिला मंच की अध्यक्ष।
- बछेन्द्री पाल - माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला।
- चन्द्रप्रभा एतवाल - पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित।
- सुमन कोटियाल - 1993 में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली महिला।
- हर्षवंती बिष्ट - नंदादेवी चोटी पर आरोहण करने वाली महिला, अर्जुन पुरस्कार 2018 में प्राप्त।
- रीना कौशल धर्मशक्तू - दक्षिणी ध्रुव तक पहुँचने वाली पहली महिला।
- हंसा मनराल - भारतोलन में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी, द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त।
- वंदना शिवा - पर्यावरण से संबंधित, राइट टु लाइवलीहुड पुरस्कार 1993 में प्राप्त।
- गीता टण्डन - टेबल टेनिस से संबंधित।
- प्रियंका चौधरी - बॉक्सिंग से संबंधित।
- सुमन गवानी - संयुक्त राष्ट्र सैन्य Cडर एडवोकेटएवार्ड प्राप्त।
- राखी रावत - राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2020 में प्राप्त।
- डॉ. कुमकुम रौतेला - उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षा निदेशक।
- एससीईआरटी की निदेशक - सीमा जौनसारी।
- मारग्रेट अल्वा - उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल।
- गौरा देवी - 1986 में वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित।
- वंदना शिवा - पर्यावरणविद और कार्यकर्ता, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- गीता टण्डन - टेबल टेनिस खिलाड़ी, जो उत्तराखंड की प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं।
- प्रियंका चौधरी - बॉक्सिंग में अपनी पहचान बनाने वाली महिला खिलाड़ी।
- सुमन गवानी - संयुक्त राष्ट्र सैन्य Cडर एडवोकेटएवार्ड से सम्मानित।
- राखी रावत - 2020 में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित।
- डॉ. कुमकुम रौतेला - उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षा निदेशक।
- सीमा जौनसारी - एससीईआरटी की निदेशक।
- मारग्रेट अल्वा - उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल।
- गौरा देवी - चिपको आंदोलन की प्रमुख, जिन्हें वृक्ष मित्र पुरस्कार से 1986 में सम्मानित किया गया था।
- सुशीला डोभाल - गढ़वाल विश्वविद्यालय की प्रथम महिला कुलपति, जो 1977 में नियुक्त हुई थीं।
- निहारिका सिंह - मिस इण्डिया 2005, अभिनेत्री और सुपर मॉडल।
- उर्वशी रौतेला - 2015 में बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्री, जो हरिद्वार से हैं।
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कौन थे जिम कॉर्बेट और उनका उत्तराखंड के लिए क्या योगदान था?
- जिम कॉर्बेट एक प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षणकर्ता और शिकारी थे, जिनके योगदान से भारत में राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना हुई। उनका सबसे प्रसिद्ध काम ‘कॉर्बेट नेशनल पार्क’ की स्थापना था।
भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान, जो जिम कॉर्बेट के नाम पर है, क्या है?
- भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान, जो जिम कॉर्बेट के नाम पर है, 'कॉर्बेट नेशनल पार्क' है, जो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है।
‘मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं’ किताब किसने लिखी थी?
- ‘मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं’ किताब जिम कॉर्बेट ने लिखी थी।
चारधाम यात्रा के ‘पिता’ के रूप में किसे जाना जाता है?
- चारधाम यात्रा के ‘पिता’ के रूप में महात्मा गांधी के अनुयायी और स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत को जाना जाता है।
सुंदरलाल बहुगुणा का पर्यावरण आंदोलनों में क्या योगदान था?
- सुंदरलाल बहुगुणा ने 'चिपको आंदोलन' का नेतृत्व किया, जो पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय आंदोलन था।
‘हिमालय बचाओ, देश बचाओ’ नारा किससे जुड़ा हुआ है?
- यह नारा सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा दिया गया था और पर्यावरण सुरक्षा के लिए था।
चिपको आंदोलन के नेता कौन थे?
- चिपको आंदोलन के प्रमुख नेता सुंदरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट थे।
'दशोली ग्राम स्वराज मंडल' का क्या महत्व था?
- 'दशोली ग्राम स्वराज मंडल' एक ग्रामीण विकास संगठन था, जिसे चंडी प्रसाद भट्ट ने स्थापित किया था।
घनश्याम खदुरी का उत्तराखंड में क्या योगदान था?
- घनश्याम खदुरी उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध समाजसेवी थे जिन्होंने शिक्षा और समाज सुधार के लिए काम किया।
'कुमाऊं के शहर' शब्द का क्या महत्व है?
- यह शब्द कुमाऊं क्षेत्र के शहरी जीवन को दर्शाता है, खासकर उन शहरों की संस्कृति को जो पहाड़ी इलाके में बसे हुए हैं।
'कुमाऊं की रानी लक्ष्मीबाई' के नाम से कौन प्रसिद्ध है?
- कुमाऊं की रानी लक्ष्मीबाई के नाम से प्रसिद्ध महिला स्वतंत्रता सेनानी उमा देवी थीं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
उत्तराखंड की स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला नेता कौन थीं?
- उत्तराखंड की प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानी सुशीला बहुगुणा और हरमणि कुमारी थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
उत्तराखंड के पहले महिला सांसद कौन थीं?
- उत्तराखंड की पहली महिला सांसद शैलजा कुमारी थीं।
उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री कौन थे?
- उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी थे।
नैनीताल शहर का इतिहास क्या है?
- नैनीताल एक प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है, जिसे अंग्रेजों ने 19वीं शताबदी में एक हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया था।
उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी कौन-कौन थे?
- उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, नारायण सिंह नेगी, और हरगोविंद पंत शामिल हैं।
'हिमालयन वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट' का उत्तराखंड में क्या योगदान है?
- इस संस्थान ने उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण के लिए कई शोध और परियोजनाएं चलाई हैं।
‘स्वतंत्र संग्राम’ में कुमाऊं का क्या योगदान था?
- कुमाऊं क्षेत्र ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें 1857 की क्रांति और चिपको आंदोलन शामिल हैं।
'मानव उत्थान सेवा समिति' की स्थापना किसने की थी?
- 'मानव उत्थान सेवा समिति' की स्थापना स्वामी विवेकानंद के अनुयायी ने की थी।
उत्तराखंड में 'गांधी आश्रम' की स्थापना किसने की थी?
- उत्तराखंड में 'गांधी आश्रम' की स्थापना महात्मा गांधी के अनुयायियों ने की थी।
इन्द्रसिंह नयाल की प्रमुख पुस्तक कौन सी है?
- इन्द्रसिंह नयाल की प्रमुख पुस्तक ‘उत्तराखंड की स्वतंत्रता संग्राम’ है, जिसमें उन्होंने राज्य के स्वतंत्रता संग्राम के पहलुओं पर प्रकाश डाला।
उत्तराखंड में 'डोलापल्की' सामाजिक बुराई का क्या था?
- 'डोलापल्की' एक सामाजिक कुप्रथा थी, जिसमें महिलाओं को अपमानित किया जाता था, और इसे उत्तराखंड में खत्म किया गया।
उत्तराखंड की पहली महिला 'द्रोनाचार्य पुरस्कार' विजेता कौन थीं?
- उत्तराखंड की पहली महिला द्रोनाचार्य पुरस्कार विजेता शालिनी यादव थीं।
काली कुमाऊं के 'शेर' के रूप में कौन प्रसिद्ध है?
- काली कुमाऊं के शेर के रूप में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी काली बिस्था थे।
उत्तराखंड के वैज्ञानिक डॉ. नीलम्बर पंत का क्या योगदान था?
- डॉ. नीलम्बर पंत उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, जिन्होंने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
'स्वराज दल' आंदोलन उत्तराखंड के किस हिस्से में हुआ?
- स्वराज दल आंदोलन कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में हुआ, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ था।
गढ़वाल में स्वतंत्र पत्रकारिता के पथप्रदर्शक कौन थे?
- गढ़वाल में स्वतंत्र पत्रकारिता के पथप्रदर्शक पत्रकार हरीराम तिवारी थे।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही 'बचेंद्रि पाल' का क्या योगदान था?
- बचेंद्रि पाल ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई की और उत्तराखंड को पर्वतारोहण के क्षेत्र में प्रमुख स्थान दिलाया।
उत्तराखंड से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली पहली महिला कौन थीं?
- उत्तराखंड से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली पहली महिला 'बचेंद्रि पाल' थीं।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि और लेखक कौन थे?
- उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि और लेखक नरेंद्र सिंह नेगी थे, जिन्होंने पहाड़ी संस्कृति और जीवन पर कई महत्वपूर्ण रचनाएँ कीं।
उत्तराखंड में ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में गढ़वाल के योगदान के बारे में क्या जानें?
- गढ़वाल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर 1857 के विद्रोह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में।
उत्तराखंड के वैज्ञानिकों ने क्या महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं?
- उत्तराखंड के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन, वन्यजीव संरक्षण, और पर्वतीय कृषि पर कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं।
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