रामशिला मंदिर: ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक आस्था का केंद्र (Ramshila Temple: Historical Heritage and Center of Religious Faith)

रामशिला मंदिर: ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक आस्था का केंद्र

अल्मोड़ा, उत्तराखंड - सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में लगभग साढ़े चार सौ साल पुराना ऐतिहासिक रामशिला मंदिर स्थित है। यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ होने वाली धार्मिक गतिविधियाँ भी समाज में गहरी आस्था और श्रद्धा को दर्शाती हैं। विशेष रूप से रामनवमी के अवसर पर इस मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, जो दूर-दराज से भगवान राम से मन्नतें मांगने पहुंचते हैं।

रामशिला मंदिर का इतिहास और निर्माण

रामशिला मंदिर समूह उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। इस मंदिर की स्थापना कुमाऊं के चंद वंशीय राजा रुद्र चंद ने 1588 में की थी। तब से यह मंदिर क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर समूह नौ ग्रह मंदिरों का एक समूह है और इसका केंद्रीय कक्ष पत्थर पर उकेरी गई चरण पादुकाओं के लिए प्रसिद्ध है। इन पादुकाओं का पूजन भगवान राम की पादुकाओं के रूप में किया जाता है। इस मंदिर के आसपास चंद वंशीय राजाओं के समय में खजाना रखने वाले लॉकर भी थे, जिन्हें हर साल रामनवमी के दिन पूजा-अर्चना के लिए खोला जाता है।

मंदिर के जीर्णोद्धार की स्थिति

हालांकि रामशिला मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, लेकिन वर्षों की उपेक्षा और देखरेख की कमी के कारण यह मंदिर अब जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पहुंच गया है। खासतौर पर मंदिर के मध्य में स्थित विशाल पीपल का वृक्ष, जिसकी जड़ें फैलने और गोलाई बढ़ने के कारण मंदिर की संरचना को नुकसान पहुंचा रही हैं। इसके चलते मंदिर एक ओर झुकने लगा है और दीवारों में दरारें भी आ गई हैं। इस मंदिर का मूल स्वरूप भी अब खतरे में है।

संरक्षण की स्थिति

मंदिर का संरक्षण किसी विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है। हालांकि, पर्यटन विभाग ने इस मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए पाँच लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की है और वर्तमान में काम शुरू हो गया है। इस धनराशि से मंदिर के फर्श और चहारदीवारी का पुनर्निर्माण किया जाएगा, लेकिन पीपल के पेड़ की जड़ों से हो रही क्षति के बारे में कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है।

पुरातत्व विभाग के अन्वेषण सहायक सीएस चौहान के अनुसार, रामशिला मंदिर न तो केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन है और न ही राज्य पुरातत्व विभाग के। कुछ समय पहले इस मंदिर को संरक्षण में लेने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन जनविरोध के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पीपल के पेड़ के कारण मंदिर को हो रहे नुकसान के बावजूद धार्मिक आस्था के चलते पेड़ को हटाया भी नहीं जा सकता।

रामशिला मंदिर का धार्मिक महत्व

रामशिला मंदिर न केवल कुमाऊं क्षेत्र के लोगों के लिए बल्कि पूरे उत्तर भारत में एक धार्मिक आस्था का केंद्र है। विशेष रूप से रामनवमी के दिन यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। यह मंदिर भगवान राम के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बन चुका है। साथ ही यहाँ आयोजित पूजा-अर्चना और विशेष आयोजन स्थानीय समुदाय की धार्मिक जीवनशैली को दर्शाते हैं।

भरतपुर राम मंदिर आंदोलन और रामशिला पूजन अभियान

रामशिला मंदिर का धार्मिक महत्व केवल अल्मोड़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ा हुआ है। 1980 और 1990 के दशकों में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कई प्रमुख घटनाक्रमों का केंद्र रामशिला मंदिर रहा। इस समयभरतपुर क्षेत्र में राम शिला पूजन अभियान के लिए राम नाम लिखी ईंटों का निर्माण हुआ था। भरतपुर में सीताराम भट्टे वाले के नेतृत्व में यह अभियान व्यापक रूप से चला, और इसने देशभर में धार्मिक जागरूकता को प्रेरित किया। इसके अलावा, राम जन्म भूमि आंदोलन में भी रामशिला मंदिर की अहम भूमिका रही है।

निष्कर्ष

रामशिला मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक महिमा को देखते हुए, इस मंदिर का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। हालांकि पर्यटन विभाग ने सौंदर्यीकरण के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन मंदिर की वास्तविक संरचना और उसे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए ठोस योजनाओं की आवश्यकता है। इस मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक अहमियत को देखते हुए, सभी संबंधित विभागों को मिलकर इस सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

Frequently Asked Questions (FQCs) 

1. रामशिला मंदिर अल्मोड़ा कहाँ स्थित है?

रामशिला मंदिर अल्मोड़ा जिले के कलेक्ट्रेट क्षेत्र में स्थित है, जो कुमाऊं क्षेत्र के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का एक प्रमुख स्थल है।

2. रामशिला मंदिर का इतिहास क्या है?

रामशिला मंदिर का निर्माण 1588 में कुमाऊं के चंदवंशीय राजा रुद्रचंद ने कराया था। यह नौ ग्रह मंदिरों के समूह का हिस्सा है और मध्यकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

3. रामशिला मंदिर में किस अवसर पर पूजा का विशेष महत्व है?

रामशिला मंदिर में रामनवमी के अवसर पर पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु दूर-दराज से आकर भगवान राम से मन्नतें मांगते हैं।

4. रामशिला मंदिर की संरचना में क्या विशेषताएँ हैं?

रामशिला मंदिर की दीवारों पर देव प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं और इसके केंद्रीय कक्ष में भगवान राम की चरण पादुकाएं हैं, जिन्हें श्रद्धालु पूजा करते हैं।

5. रामशिला मंदिर की देखभाल कौन करता है?

रामशिला मंदिर का संरक्षण किसी सरकारी विभाग के अधीन नहीं है। हालांकि, पर्यटन विभाग ने मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए धनराशि स्वीकृत की है।

6. क्या रामशिला मंदिर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है?

जी हाँ, रामशिला मंदिर की दीवारों में दरारें आ गई हैं और मंदिर एक ओर झुक गया है, जिसका कारण विशाल पीपल का वृक्ष है। इस पेड़ की जड़ें मंदिर को नुकसान पहुँचा रही हैं।

7. रामशिला मंदिर में कौन से धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं?

रामशिला मंदिर में रामनवमी के दिन पूजा के अलावा अन्य धार्मिक कार्यक्रम जैसे राम शिला पूजन और धार्मिक संकल्प समारोह भी आयोजित होते हैं।

8. क्या रामशिला मंदिर में साल भर श्रद्धालु आते हैं?

हां, रामशिला मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है, लेकिन रामनवमी के दिन यहां विशेष रूप से भारी भीड़ होती है।

9. रामशिला मंदिर की देखभाल के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

वर्तमान में, पर्यटन विभाग ने मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए पांच लाख रुपये से काम शुरू किया है, लेकिन इस धनराशि से मंदिर के दीवारों और शिखर को होने वाली क्षति का समाधान नहीं हो पा रहा है।

10. रामशिला मंदिर के पास क्या अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं?

रामशिला मंदिर के पास चंद वंशी राजाओं के समय में खजाना रखने वाले लॉकर भी हैं, जिन्हें श्रद्धालु हर साल रामनवमी पर पूजा करते हैं।

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