श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर: एक दिव्य धाम और पौराणिक स्थल (Shri Koteshwar Mahadev Temple: A Divine Dham and Mythological Site)

श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर: एक दिव्य धाम और पौराणिक स्थल

उत्तराखंड के पौराणिक स्थलों में श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर एक अनूठा और श्रद्धा का केंद्र है। 1428 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर बैऔलाद जोड़ों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध है। यहाँ का शिवलिंग हिमालय पर्वतमाला, हरिद्वार और सिद्ध पीठ मेदानपुरी देवी मंदिर से घिरा हुआ है। यह मंदिर देवभूमि के इतिहास, संस्कृति, और दिव्यता का प्रतीक है।

श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर (महाबगढ़ महादेव)

श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

किंवदंती है कि एक महिला ने अनजाने में खुदाई के दौरान शिवलिंग पर चोट कर दी, जिसके बाद एक दिव्य आवाज सुनाई दी। इस घटना के बाद शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण हुआ। यह स्थान माना जाता है कि श्रावण मास में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

महाबगढ़ क्षेत्र: ऋषि-मुनियों की तपोस्थली

कोटेश्वर महादेव मंदिर के पास महाबगढ़ का क्षेत्र है, जिसे कई पौराणिक ग्रंथों में ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में वर्णित किया गया है। महाबगढ़ की पर्वत श्रृंखलाओं में मृकुंड, मार्कंडेय, कश्यप और कण्व ऋषि जैसे तपस्वियों ने ध्यान और तपस्या की। विष्णु पुराण, महाभारत और कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम् में इस क्षेत्र का उल्लेख मिलता है।

महाबगढ़ मंदिर का महत्व

महाबगढ़ शिवालय अष्ट मूर्तियों में विराजमान हैं और इसे पुत्र प्राप्ति के लिए सिद्धपीठ माना जाता है। यह स्थान महाभारत काल में पांडवों की पूजा स्थली भी रहा है। यहाँ से हिमालय की चोटियां, जैसे केदारनाथ, चौखंबा, नंदा देवी और पंचाचूली शिखर स्पष्ट दिखाई देते हैं।

श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर (महाबगढ़ महादेव)

पौराणिक कथाएं और स्थानीय महत्व

महाबगढ़ क्षेत्र में मथाना गांव के कई पौराणिक स्थल जैसे माता कुटिया, सिद्धे बग्यानु और किमसेरा (कण्वाश्रम) स्थित हैं। इन्हीं क्षेत्रों में शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत का जन्म हुआ था। महाबगढ़ मंदिर से कैलाश पर्वत की परछाई हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी में दिखाई देती है, जो इस स्थान को और भी दिव्य बनाता है।

कैसे पहुँचें?

  • सड़क मार्ग: कोटद्वार से 45 किमी की दूरी पर दुगड्डा, हनुमंती, कांडाखाल, और कमेडी खाल होते हुए पहुँचा जा सकता है।
  • पैदल मार्ग: कमेडी खाल से 2 किमी की पैदल चढ़ाई से महाबगढ़ मंदिर तक पहुँचते हैं।
  • निकटतम स्थल: लैंसडौन से 35 किमी की दूरी पर स्थित यह क्षेत्र उत्तराखंड की प्राकृतिक और धार्मिक धरोहर को दर्शाता है।

निष्कर्ष

श्री कोटेश्वर महादेव और महाबगढ़ मंदिर श्रद्धा, भक्ति, और पौराणिकता का संगम है। यहाँ की अलौकिक सुंदरता, धार्मिक कथाएं, और प्राकृतिक नज़ारे हर श्रद्धालु और पर्यटक को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।

Frequently Asked Questions (FQCs) about श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर

  1. श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर कहां स्थित है?

    • श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौराणिक स्थल बैऔलाद में स्थित है, जो 1428 मीटर की ऊंचाई पर है। यह स्थल हरिद्वार और सिद्ध पीठ मेदानपुरी देवी मंदिर से घिरा हुआ है।
  2. श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास क्या है?

    • किंवदंती के अनुसार, एक महिला ने अनजाने में शिवलिंग पर चोट कर दी थी, जिसके बाद एक दिव्य आवाज सुनाई दी। उसी घटना के बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। इस स्थान को श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देने वाला माना जाता है।
  3. महाबगढ़ क्षेत्र का पौराणिक महत्व क्या है?

    • महाबगढ़ क्षेत्र को ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में माना जाता है, जहां मृकुंड, मार्कंडेय, कश्यप और कण्व ऋषि ने तपस्या की थी। महाभारत और विष्णु पुराण में इसका उल्लेख है।
  4. महाबगढ़ मंदिर का क्या महत्व है?

    • महाबगढ़ शिवालय में आठ मूर्तियाँ विराजमान हैं और इसे पुत्र प्राप्ति के लिए सिद्धपीठ माना जाता है। यह स्थान महाभारत काल में पांडवों की पूजा स्थली भी था। यहाँ से हिमालय की प्रमुख चोटियाँ जैसे केदारनाथ, चौखंबा, और नंदा देवी दिखती हैं।
  5. कोटेश्वर महादेव मंदिर और महाबगढ़ मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

    • सड़क मार्ग: कोटद्वार से 45 किमी की दूरी पर दुगड्डा, हनुमंती, कांडाखाल, और कमेडी खाल होते हुए पहुँचा जा सकता है।
    • पैदल मार्ग: कमेडी खाल से 2 किमी की पैदल चढ़ाई से महाबगढ़ मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
    • निकटतम स्थल: यह क्षेत्र लैंसडौन से 35 किमी की दूरी पर स्थित है।
  6. महाबगढ़ क्षेत्र के आसपास कौन-कौन से पौराणिक स्थल हैं?

    • महाबगढ़ के आसपास मथाना गांव में माता कुटिया, सिद्धे बग्यानु और किमसेरा (कण्वाश्रम) जैसे महत्वपूर्ण पौराणिक स्थल हैं, जहां शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत का जन्म हुआ था।
  7. श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर और महाबगढ़ क्षेत्र का धार्मिक महत्व क्या है?

    • श्री कोटेश्वर महादेव और महाबगढ़ मंदिर श्रद्धा और भक्ति का केन्द्र हैं। यहाँ की पौराणिक कथाएँ और अलौकिक सुंदरता श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव प्रदान करती हैं। यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

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