वंदना शिवा: एक पर्यावरण कार्यकर्ता और वैश्वीकरण विरोधी विचारक (Vandana Shiva: An environmental activist and anti-globalization thinker)
वंदना शिवा: एक पर्यावरण कार्यकर्ता और वैश्वीकरण विरोधी विचारक
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
वंदना शिवा का जन्म 5 नवम्बर 1952 को देहरादून, उत्तराखंड में) हुआ। उनके पिता वन संरक्षक और मां एक प्रकृति प्रेमी किसान थीं। वंदना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट मैरी कॉन्वेंट हाई स्कूल, नैनीताल और कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी, देहरादून से की। इसके बाद, उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वंदना ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए कनाडा में गुएल्फ़ विश्वविद्यालय और पश्चिमी ओंटारियो विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने विज्ञान के दर्शन में मास्टर डिग्री और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
आजीविका और योगदान:
वंदना शिवा एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद्, लेखक, समाजसेवी और दार्शनिक हैं। उन्होंने खाद्य संप्रभुता, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वंदना शिवा को "अनाज की गांधी" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने जनसंख्या वृद्धि और कृषि प्रणालियों के पारंपरिक रूपों के पक्ष में काम किया है।
वह नवदान्या नामक आंदोलन की संस्थापक हैं, जिसका उद्देश्य जैविक खेती, देशी बीजों और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना है। उन्होंने भारतीय किसानों को मोनोकल्चर (एक ही फसल उगाने) के बजाय विविध कृषि प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। इसके लिए उन्होंने भारत में 40 से अधिक बीज बैंक स्थापित किए।
सक्रियतावाद:
वंदना शिवा ने बौद्धिक संपदा अधिकारों और जैव विविधता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने कई देशों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई आंदोलन चलाए हैं। उनके द्वारा किए गए अभियानों ने नीम, बासमती और गेहूं जैसी देशी फसलों की बौद्धिक संपदा अधिकारों पर सवाल उठाए और इन्हें जैव चोरी से बचाने के लिए संघर्ष किया।
शिवा ने 1984 में हरित क्रांति के बीज-रासायनिक पैकेज की आलोचना की थी, जो कि कृषि भूमि की उर्वरता को नष्ट कर रहा था और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा था। इसके अलावा, उन्होंने यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से हुए भोपाल गैस त्रासदी के बाद भी सक्रियता दिखाई।
पुरस्कार और सम्मान:
वंदना शिवा को उनके कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें से प्रमुख हैं:
- राइट लाइवलीहुड पुरस्कार (1993)
- सिडनी शांति पुरस्कार (2010)
- फुकुओका एशियाई संस्कृति पुरस्कार (2012)
- मिरोदी पुरस्कार (2016)
विचार और दृष्टिकोण:
वंदना शिवा का मानना है कि पर्यावरण और पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने हमेशा यह कहा है कि प्रकृति की भाषा समझने वाले समुदायों के बीच जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जानी चाहिए। वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैश्वीकरण और पर्यावरणीय विनाश के खिलाफ आवाज़ उठाती रही हैं और पारिस्थितिकी-हत्या जैसे अपराधों के खिलाफ संघर्ष करती हैं।
निष्कर्ष:
वंदना शिवा का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों और कृषि पद्धतियों की रक्षा नहीं करेंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इन संसाधनों से वंचित हो सकती हैं। उन्होंने साबित किया है कि एक व्यक्ति के प्रयासों से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं, और उन्होंने इसे अपने जीवन कार्य में साबित किया है। उनके विचारों और आंदोलनों का प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में महसूस किया गया है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
1. वंदना शिवा कौन हैं?
वंदना शिवा एक भारतीय पर्यावरण कार्यकर्ता, खाद्य संप्रभुता अधिवक्ता, दार्शनिक, लेखक, और वैश्वीकरण विरोधी कार्यकर्ता हैं। वे भारतीय कृषि, जैव विविधता, जैविक खेती और पारंपरिक कृषि प्रणालियों के समर्थक हैं।
2. वंदना शिवा का जन्म कब और कहां हुआ था?
वंदना शिवा का जन्म 5 नवम्बर 1952 को देहरादून, उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड में) हुआ था।
3. वंदना शिवा ने किस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है?
वंदना शिवा ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में उन्होंने गुएल्फ़ विश्वविद्यालय (कनाडा) से विज्ञान के दर्शन में मास्टर डिग्री और पश्चिमी ओंटारियो विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
4. वंदना शिवा के योगदान क्या हैं?
वंदना शिवा ने जैव विविधता, पारंपरिक खेती, बौद्धिक संपदा अधिकार, और जैविक खेती के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दुनिया भर में कृषि और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर कई आंदोलन चलाए हैं, विशेषकर जीएमओ (जैविक रूप से संशोधित पौधे) के विरोध में।
5. वंदना शिवा की प्रसिद्ध पुस्तकें कौन सी हैं?
वंदना शिवा की प्रमुख पुस्तकें हैं:
- स्टेइंग अलाइव (1988)
- द वायलेंस ऑफ द ग्रीन रिवोल्यूशन
- मेकिंग पीस विद द अर्थ
- वसुधैव कुटुम्बकम: अनीति का सामना करें
6. वंदना शिवा ने 'नवदान्या' का निर्माण क्यों किया?
वंदना शिवा ने 'नवदान्या' की स्थापना 1991 में की थी, जो एक राष्ट्रीय आंदोलन था। यह आंदोलन विशेष रूप से देशी बीजों, जैविक खेती और निष्पक्ष व्यापार के प्रचार को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य कृषि में विविधता बनाए रखना और पारंपरिक खेती प्रणालियों की रक्षा करना है।
7. वंदना शिवा ने किस पुरस्कार से सम्मानित किया है?
वंदना शिवा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:
- राइट लाइवलीहुड अवार्ड (1993)
- सिडनी शांति पुरस्कार (2010)
- फुकुओका एशियाई संस्कृति पुरस्कार (2012)
- मिरोदी पुरस्कार (2016)
8. वंदना शिवा का जैविक कृषि पर क्या दृष्टिकोण है?
वंदना शिवा जैविक कृषि की समर्थक हैं और उनका मानना है कि पारंपरिक कृषि प्रणालियाँ और जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि किसान समुदाय के लिए भी लाभकारी हैं। वे जैविक खेती के माध्यम से कृषि की स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देती हैं।
9. वंदना शिवा का गोल्डन राइस पर क्या विचार है?
वंदना शिवा गोल्डन राइस के विरोधी हैं। उनका मानना है कि यह जैविक रूप से संशोधित चावल किसानों और पारंपरिक खेती प्रणालियों के लिए हानिकारक हो सकता है। वे इसे "गोल्डन राइस होक्स" के रूप में वर्णित करती हैं, जो विटामिन ए की कमी को दूर करने का एक गलत तरीका है।
10. वंदना शिवा का 'बीज स्वतंत्रता' पर क्या दृष्टिकोण है?
वंदना शिवा बीज स्वतंत्रता की समर्थक हैं और उन्होंने बायोपाइरेसी (जीवित पौधों पर पेटेंट का दावा) के खिलाफ कई अभियानों का नेतृत्व किया है। वे जीवन रूपों के पेटेंट पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करती हैं और इसे 'बायोपाइरेसी' मानती हैं।
टिप्पणियाँ