कुंभ स्पेशल भजन:
कुम्भ नहाने की मेरे मन में आई है मोहे संग ले चल बहना, वहां दुनिया जाय रही है
कुंभ का पर्व, यह एक अद्वितीय अवसर है, जो हर 12 साल में आता है। यह समय होता है, जब गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर श्रद्धालु आकर पुण्य अर्जित करते हैं। इस अद्भुत अवसर पर हम एक भजन के माध्यम से कुंभ के महत्व को महसूस कर सकते हैं।
कुंभ स्पेशल 🌹🙏🏻
कुम्भ नहाने की मेरे मन में आई है
मोहे संग ले चल बहना, वहां दुनिया जाय रही है
वहां गंगा मैया है वहां यमुना मैया है
संगम में नहाने की मेरे संग मन आई है, मोहे संग
है पर्व बड़ो भारी, वहां जाय नर नारी
डुबकी लगाने की मेरे मन में आई है, मोहे संग..
वहां लग रहो मेला है, संतो का रेला है
संतो के दर्शन की मेरे मन आई है, मोहे संग..
त्रिवेणी की धारा, हो जाओगे भव पारा
मुक्ति को पाने की मेरे मन में आई है,
मोहे संग....
गंगा और यमुना की पवित्र धाराएं, जो संपूर्ण भारतवर्ष में पुण्य का प्रतीक मानी जाती हैं। कुंभ के दौरान ये नदियां, भक्तों के लिए आत्मिक शुद्धि का स्रोत बनती हैं। संगम में डुबकी लगाने का अपना ही आनंद है, जो हमें भीतर से शुद्ध करता है।
कुंभ का मेला विश्व प्रसिद्ध है, जहां हजारों-लाखों लोग एक साथ आते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है, जब न सिर्फ नर-नारी, बल्कि साधु-संत भी संगम में स्नान करने आते हैं। यह पर्व सभी के लिए आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।
कुंभ में संतो का विशाल रेला होता है, जो अपनी साधना और ध्यान के द्वारा दूसरों को मार्गदर्शन देते हैं। संतों के दर्शन से हमें भी जीवन की सही दिशा मिलती है। उनके शब्दों में गहरी शांति और ज्ञान की बात होती है।
त्रिवेणी संगम के किनारे की धारा, हमें भवसागर से पार लगाने का अवसर देती है। कुंभ में स्नान करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यह अवसर है, जब हम आत्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
संगम पर स्नान और संतों के दर्शन के इस अद्वितीय अनुभव से हम सबको पुण्य की प्राप्ति हो।
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कुम्भ स्पेशल भजन के इस ब्लॉग के माध्यम से आप भी इस अद्भुत महापर्व का अनुभव कर सकते हैं।
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