नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध मंदिर (The famous temple of Goddess Devi Chandi located on Neelparvat.)

नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध मंदिर

प्रत्येक वर्ष अमावस्या तिथि पर श्रद्धालु पावन गंगा घाटों पर स्नान करने आते हैं, और कुछ वर्षों के अंतराल पर इन्हीं घाटों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। इस वर्ष कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में हो रहा है। उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार को हरि अर्थात श्री हरि विष्णु जी का द्वार माना जाता है। सनातन धर्म के ग्रंथों में इसे गंगाद्वार तथा मायापुरी के रूप में भी जाना जाता है। हरिद्वार में कई प्राचीन और चमत्कारिक स्थान स्थित हैं, जिनमें मायादेवी शक्तिपीठ, चंडी देवी मंदिर और मनसा देवी मंदिर प्रमुख हैं।

चंडी देवी मंदिर का महत्व

कहा जाता है कि हरिद्वार में एक शक्ति त्रिकोण है, जिसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध मंदिर है, दूसरे स्थान पर दक्षेश्वर स्थान पर माता पार्वती का मंदिर है, और तीसरे कोने पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसा देवी विराजमान हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सती का मन इसी स्थान पर गिरा था, जिससे इस स्थान को मनसा देवी के नाम से जाना जाता है।

चंडी देवी मंदिर गंगा नदी के दूसरी ओर नीलपर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने 1929 ईस्वी में करवाया था। धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता चंडी ने शुंभ-निशुंभ के सेनापति चंड और मुंड का वध इसी स्थान पर किया था। इसी स्थान पर आदिशंकराचार्य ने चंडी देवी की मूल प्रतिमा स्थापित करवाई थी।

पौराणिक कथा

कथाओं के अनुसार, चंड-मुंड के वध के पश्चात माता ने समस्त देवताओं से वर मांगने को कहा। स्वर्गलोक के सभी देवताओं ने माता से यहीं विराजमान होने का वरदान मांगा। ऐसी मान्यता है कि मां रुद्र चंडी इस स्थान पर एक खंभे के रूप में स्वयंभू अवतरित हुईं। हरिद्वार के प्रमुख पांच तीर्थों में मां चंडी देवी मंदिर को विशेष स्थान प्राप्त है।

दर्शन और यात्रा

चंडी देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु पैदल मार्ग या रोपवे (उड़न खटोला) का उपयोग कर सकते हैं। नवरात्रि और अन्य विशेष अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर से हरिद्वार का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जो इसे और भी खास बनाता है।

इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत गहरा है और यह हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।

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