प्रेरणाप्रद कहानी: अनोखा मुकदमा
विश्व का सबसे अनोखा मुकदमा
न्यायालय में आए दिन विभिन्न प्रकार के मुकदमे दर्ज होते रहते हैं—कभी प्रॉपर्टी विवाद, कभी पारिवारिक झगड़े। लेकिन यह मामला इतना अनोखा था कि जिसने भी सुना, वह भावुक हुए बिना नहीं रह सका।
एक 70 साल के बुजुर्ग ने अपने 80 साल के बड़े भाई पर मुकदमा कर दिया। लेकिन मामला कोई आम कानूनी लड़ाई नहीं थी। मुकदमे में छोटा भाई कोर्ट से यह गुहार लगा रहा था—

"मेरा 80 साल का बड़ा भाई अब बूढ़ा हो चला है, इसलिए वह खुद अपना ख्याल भी ठीक से नहीं रख सकता। मगर मेरे मना करने पर भी वह हमारी 102 साल की मां की देखभाल कर रहा है। मैं अभी ठीक हूं, इसलिए अब मुझे मां की सेवा करने का मौका दिया जाए और मां को मुझे सौंप दिया जाए।"
न्यायाधीश भी रह गए दंग
लेकिन दोनों भाइयों में से कोई भी तैयार नहीं हुआ।
न्यायाधीश महोदय ने सभी प्रयास कर लिए, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
मां का जवाब
"मेरे लिए दोनों संतान बराबर हैं। मैं किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाकर, दूसरे का दिल नहीं दुखा सकती। आप न्यायाधीश हैं, निर्णय करना आपका काम है। जो भी आपका फैसला होगा, मैं उसे मान लूंगी।"
अदालत का फैसला
"इस बुढ़ापे ने मेरे स्वर्ग को मुझसे छीन लिया।"
यह दृश्य देखकर कोर्टरूम में मौजूद हर कोई—including न्यायाधीश—फफक-फफक कर रो पड़ा।
सीख जो हमें इस मुकदमे से मिलती है
आज समाज में कई माता-पिता ओल्ड एज होम में रहने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उनके बच्चे उनके लिए वक्त नहीं निकालते।
एक विनम्र निवेदन
"माता-पिता को दुख मत दो, उनकी सेवा करो, यही सबसे बड़ा पुण्य है।"
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