लाला लाजपत राय को "शेर-ए-पंजाब" और "पंजाब केसरी" - Lala Lajpat Rai was named as "Sher-e-Punjab" and "Punjab Kesari".
लाला लाजपत राय: जीवन परिचय और उपलब्धियाँ
जन्म और निधन
- जन्म: 28 जनवरी, 1865 को पंजाब में
- निधन: 17 नवंबर, 1928 को लाहौर में
उपलब्धियाँ
लाला लाजपत राय को "शेर-ए-पंजाब" और "पंजाब केसरी" की उपाधि प्राप्त है।
जीवन परिचय
भारत एक महान देश है, जिसमें हर युग में महान आत्माओं ने जन्म लेकर देश को और भी महान बनाया। लाला लाजपत राय ऐसे ही युग पुरुषों में से एक थे। वे न केवल एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे, बल्कि गंभीर चिंतक, विचारक, लेखक और देशभक्त भी थे।
लाला लाजपत राय ने भारतीय समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने के लिए कई प्रयास किए। उनकी बोलने की शैली प्रभावशाली और विद्वता पूर्ण थी। वे अपने शब्दों में गागर में सागर भरने का हुनर रखते थे।
भारत को गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए देखकर, लाला लाजपत राय ने स्वयं के जीवन को धिक्कारा और अपने अंतिम सांस तक भारत को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष किया। उनके समर्पण और देशभक्ति की भावना ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक बना दिया।
लाला लाजपत राय का जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने देश की सेवा और स्वतंत्रता के लिए हर संभव प्रयास करें। उनका योगदान और बलिदान भारतीय इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा।
जन्म और बाल्यकाल
लाला लाजपत राय, जिन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शेर-ए-पंजाब और पंजाब केसरी की उपाधि से सम्मानित किया गया, का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के धुड़ीके गाँव में हुआ था। उनका जन्म उनकी माँ गुलाब देवी के मायके में हुआ, जो उस समय एक परंपरा थी। लाला लाजपत राय का पैतृक गाँव जगराव, जिला लुधियाना था, जो उनके ननिहाल से केवल 5 मील की दूरी पर स्थित था।
लाजपत राय का बचपन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उतना अच्छा नहीं था, क्योंकि उनका जन्म एक मलेरिया ग्रस्त क्षेत्र में हुआ था। वे अक्सर मलेरिया से पीड़ित रहते थे और इसके चलते उनकी सेहत कमजोर रहती थी।
पारिवारिक वातावरण
लाला लाजपत राय के दादा मालेर में पटवारी थे और धन संग्रह को अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी मानते थे। वे जैन धर्म के अनुयायी थे और अपने धर्म के नियमों का पालन करते थे। उनकी दादी धार्मिक और उदार स्वभाव की महिला थीं, जो अतिथियों का स्वागत करती थीं और धन संग्रह से दूर थीं।
लाला लाजपत राय के पिता, राधाकृष्ण, एक मेधावी छात्र थे और भौतिक विज्ञान तथा गणित में पूरी अंक प्राप्त किए थे। वे अपने परिवार की धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार करते हुए भी गहन अध्ययन के पक्षधर थे। स्कूल के दौरान, वे मुस्लिम धर्म के अध्यापक से प्रभावित होकर नमाज पढ़ते थे और रमजान में रोजा रखते थे। उनकी पत्नी गुलाब देवी के प्रयासों के कारण वे धर्म परिवर्तन से बच गए।
पारिवारिक वातावरण का प्रभाव
लाला लाजपत राय के बालमन पर उनके पारिवारिक वातावरण का गहरा प्रभाव पड़ा। उनके पिता इस्लाम धर्म के नियमों का पालन करते थे, जबकि उनकी दादी जैन धर्म का पालन करती थीं और उनकी माँ सिख धर्म की अनुयायी थीं। इस धार्मिक विविधता ने लाजपत राय के मन में धार्मिक जिज्ञासा और उत्सुकता को जन्म दिया, जो जीवनभर उनके साथ रही।
प्रारंभिक शिक्षा
लाला लाजपत राय की प्रारंभिक शिक्षा रोपड़ के स्कूल में हुई। मलेरिया से पीड़ित रहने के बावजूद, वे अपनी पढ़ाई में लगनशील थे और हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहते थे। उनके पिता ने उन्हें गणित, भौतिक विज्ञान, इतिहास और धर्म की शिक्षा दी।
रोपड़ स्कूल के 6 क्लास तक की शिक्षा के बाद, वे लाहौर गए। यहां पर उन्होंने 1880 में कलकत्ता विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय दोनों से डिप्लोमा की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1881 में, 16 वर्ष की आयु में, वे लाहौर के गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी लाहौर में प्रवेश लिए और छात्रवृत्ति के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने 1882-83 में एफ.ए. और मुख्तारी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।
कॉलेज के दौरान सार्वजनिक जीवन
कॉलेज में प्रवेश के समय ही, पंजाब में भाषा संबंधी आन्दोलन प्रारंभ हो चुका था। लाला लाजपत राय ने अरबी की जगह संस्कृत पढ़ने का निर्णय लिया, जो उनके सार्वजनिक जीवन में प्रवेश की पहली सीढ़ी मानी जाती है। 1882 में, उन्होंने अम्बाला में हिंदी के पक्ष में पहला सार्वजनिक भाषण दिया, जिससे वे सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हो गए।
ब्रह्म समाज में प्रवेश
लाला लाजपत राय की दुविधा की शुरुआत तब हुई जब वे यह तय नहीं कर पा रहे थे कि ब्रह्म समाज या आर्य समाज में से कौन सी संस्था उनके आदर्शों और विश्वासों के अनुकूल है। उनके मित्र गुरुदत्त, जो पहले से ही आर्य समाजी थे, ने उन्हें इस संस्था के प्रति जागरूक किया। हालांकि, लाजपत राय का आर्य समाज से प्रारंभिक लगाव नहीं था।
इस समय उनके पिता के मित्र, अग्निहोत्री जी, जो ब्रह्म समाज के अनुयायी थे, का लाजपत राय पर काफी प्रभाव था। अग्निहोत्री जी ने लाजपत राय को राजा राम मोहन राय के जीवन पर एक व्याख्यान सुनाया, जिससे वे बहुत प्रभावित हुए। 1882 में, अग्निहोत्री जी ने लाजपत राय को विधिवत ब्रह्म समाज में शामिल करा दिया।
आर्य समाज में प्रवेश
हालांकि ब्रह्म समाज में शामिल होने के बाद लाजपत राय ने जल्दी ही महसूस किया कि वे आर्य समाज की गतिविधियों में ज्यादा रुचि रखते हैं। उनके मित्र गुरुदत्त और हंसराज, जो आर्य समाजी थे, के साथ मिलकर उन्होंने आर्य समाज के वार्षिकोत्सव में भाग लिया। इस उत्सव के प्रभाव ने लाजपत राय को आर्य समाज की ओर आकर्षित किया, और वे इसके सदस्य बन गए।
आर्य समाज में शामिल होने के बाद, उन्होंने सार्वजनिक भाषण देना शुरू किया, जिसने उन्हें राजनीति और सामाजिक आंदोलनों के प्रति आकर्षित किया। इस समय के दौरान, वे पंजाबी समाज में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे और उनकी राजनीतिक सक्रियता बढ़ने लगी।
आर्य समाज में नेतृत्व
आर्य समाज में अपने प्रवेश के बाद, लाला लाजपत राय ने प्रभावशाली नेतृत्व का प्रदर्शन किया। उन्होंने कई आर्य समाज सभाओं और गोष्ठियों का आयोजन किया और इनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लाला साईंदास के साथ, उन्होंने राजपूताना और संयुक्त प्रान्त में शिष्टमंडलों में भाग लिया और वहाँ भाषण दिए। उनके अनुभव और नेतृत्व ने आर्य समाज को एक नई दिशा दी और इसे एक व्यापक सामाजिक आंदोलन बनाने में मदद की।
आर्य समाज का लाला लाजपत राय के जीवन पर प्रभाव
आर्य समाज ने लाला लाजपत राय के जीवन को गहराई से प्रभावित किया। उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में समाज सेवा, भाषण कला, और सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व शामिल था। आर्य समाज के सिद्धांतों और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने उन्हें राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान दिलाया।
आर्थिक समस्या और वकालत की पढ़ाई
लाला लाजपत राय का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। आर्य समाज और हिन्दी आंदोलन से मिली शिक्षा और प्रशिक्षण ने उन्हें अमूल्य अनुभव प्रदान किया, लेकिन इससे उनकी आजीविका की समस्या हल नहीं हो पाई। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी और उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए वकालत की पढ़ाई करनी पड़ी।
1881 में, लाजपत राय ने मुख्तारी की परीक्षा उत्तीर्ण की और परिवार की आर्थिक सहायता करने लगे। हालांकि, वे इस कार्य में पूरी तरह से खुश नहीं थे, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों ने उन्हें इस पेशे में बने रहने पर मजबूर किया। अंततः, 1885 में वकालत की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और वकालत की डिग्री हासिल की।
राजनैतिक विचारों का शैशव काल और पत्र प्रकाशन
1881-1883 के दौरान, लाला लाजपत राय ने अपने राजनीतिक विचारों का निर्माण करना शुरू किया। उन्होंने विभिन्न पत्रों में लेख लिखे और अंग्रेजी और उर्दू में अपने विचारों को साझा किया। उन्होंने काँग्रेस के प्रति पहले संदेह व्यक्त किया, लेकिन बाद में उनकी रुचि बढ़ गई और उन्होंने काँग्रेस के अधिवेशनों में भाग लिया।
सर सैयद अहमद खाँ को खुला पत्र
लाला लाजपत राय ने सर सैयद अहमद खाँ के बदलते दृष्टिकोण के खिलाफ खुला पत्र लिखा। इन पत्रों में उन्होंने सैयद के दोगले स्वभाव की आलोचना की और इसे देशवासियों के सामने प्रस्तुत किया। इन पत्रों ने उन्हें एक प्रमुख राजनैतिक नेता के रूप में स्थापित किया और काँग्रेस के अधिवेशनों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
काँग्रेस से जुड़ना
लाला लाजपत राय ने काँग्रेस की गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया और इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक आंदोलन के रूप में देखा। उनके भाषण और प्रस्तावों ने काँग्रेस की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद की। वे काँग्रेस के अधिवेशनों में नियमित रूप से भाग लेते रहे और अपने जीवन के शेष 40 साल इस संस्था की सेवा में अर्पित कर दिए।
लाला लाजपत राय का जीवन उनके विचारों, कार्यों और संघर्षों की एक प्रेरणादायक कहानी है, जो भारतीय समाज और राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है
स्वयंसेवक दल का जन्म और संगठन: लाला लाजपत राय की भूमिका
1. प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक जागरूकता
1897 में भारत ने बम्बई में प्लेग की महामारी और राजपूताने में सूखे की विभीषिका का सामना किया। इन आपदाओं ने देशवासियों को गहरे संकट में डाल दिया। लाला लाजपत राय, जो उस समय के प्रमुख नेताओं में से एक थे, ने इन कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी। उनके दिल में देशवासियों की पीड़ा को देखकर करुणा और सहानुभूति का संचार हुआ, और उन्होंने अपनी ऊर्जा और संसाधनों को देश की सेवा में लगाने का संकल्प लिया।
2. स्वयंसेवक दल की स्थापना
लाला लाजपत राय ने 19वीं सदी के अंत में सामाजिक सेवा को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया। उन्होंने स्वयंसेवक दल की स्थापना की, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की मदद करना था। इस दल के माध्यम से अनाथालयों और शरणगृहों की स्थापना की गई, जिससे पीड़ितों को स्थायी सहायता मिल सके। वे केवल हिन्दू समुदाय तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उनकी सेवाएं और सहयोग सभी पीड़ितों तक पहुँचे।
3. अनाथालयों की स्थापना
स्वयंसेवक दल की स्थापना के साथ ही, लाला लाजपत राय ने कई प्रमुख अनाथालयों की स्थापना की, जैसे फिरोजपुर में प्रसिद्ध आर्य अनाथालय। इसके बाद लाहौर और मेरठ में भी हिन्दू अनाथालयों की स्थापना की गई। इन आश्रमों का उद्देश्य केवल अस्थायी राहत प्रदान करना नहीं था, बल्कि भविष्य की आपदाओं के लिए स्थायी समाधान प्रदान करना भी था। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से शिशुओं, विधवाओं और अल्पवयस्क लड़कियों की ओर ध्यान देने का निर्देश दिया, ताकि ईसाई मिशनरी के प्रभाव से बचा जा सके।
4. संघर्ष और स्वास्थ्य
लाला लाजपत राय ने अकाल और सामाजिक समस्याओं के समाधान में अपनी पूरी ताकत लगा दी। इसके परिणामस्वरूप, वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करने लगे। उन्हें निमोनिया और फेफड़ों की बीमारी हो गई, जिससे उनका जीवन संकट में पड़ गया। लेकिन डॉ. बेलीराम की कुशल देखभाल ने उन्हें इस संकट से उबार लिया।
5. वैवाहिक जीवन
लाला लाजपत राय का विवाह 13 वर्ष की आयु में हुआ था, और उनकी पत्नी राधा देवी सम्पन्न परिवार से थीं। हालांकि उनका वैवाहिक जीवन सामान्य था, लाला लाजपत राय ने कभी भी अपनी पत्नी को अपने कार्यों में बाधा नहीं बनने दिया। उनके तीन बच्चे थे – दो पुत्र और एक पुत्री। उनका वैवाहिक जीवन घरेलू झगड़ों से मुक्त था, और उन्होंने कभी भी अपनी पत्नी की अनुमति की आवश्यकता महसूस नहीं की।
6. वकालत से समाज सेवा की ओर
लाला लाजपत राय ने वकालत के कार्य को समाज सेवा के कार्य में परिवर्तित करने का निर्णय लिया। उन्होंने वकालत की आय को दान में देने का निश्चय किया और अपने अधिकांश समय को सामाजिक कार्यों में लगाया। इस दौरान उन्होंने डी.ए.वी. कॉलेज के लिए अपने वकालत की आय दान की, जिससे समाज और कॉलेज की स्थिति में सुधार हुआ।
7. साप्ताहिक पत्र पंजाबी का प्रकाशन
1898 के अंत में लाला लाजपत राय ने “पंजाबी” नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। इस पत्र का उद्देश्य पंजाब को संघर्ष के लिए तैयार करना और लोगों को राजनीतिक गतिविधियों के प्रति जागरूक करना था। पत्र ने जनता पर गहरा प्रभाव डाला और देश में व्यापक जन जागरूकता उत्पन्न की।
8. दक्षिण भारत की यात्रा और गोखले से मुलाकात
लाला लाजपत राय ने 1904 में दक्षिण भारत की पहली यात्रा की। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले और सिस्टर निवेदिता से मुलाकात की। गोखले के साथ उनकी मुलाकात एक स्थायी मित्रता में परिवर्तित हो गई, और उन्होंने इंग्लैंड जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया।
9. इंग्लैंड में अनुभव
10 जून 1905 को लाला लाजपत राय लंदन पहुँचे। वहाँ उन्होंने दादा भाई नौरोजी, श्याम जी कृष्ण वर्मा और बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ से मुलाकात की। उन्होंने “भारत तथा ब्रिटिश दलों की नीति” नामक लेख लिखा और अमेरिका का भ्रमण किया। इस यात्रा ने उनके दृष्टिकोण को और व्यापक किया और इंग्लैंड में उनकी प्रभावशीलता को बढ़ाया।
लाला लाजपत राय का ब्रह्म समाज और बाद में आर्य समाज में प्रवेश उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ों में से एक था। आइए, इस यात्रा को विस्तार से समझते हैं:
लाला लाजपत राय पर प्रश्नोत्तर
लाला लाजपत राय का जन्म कब हुआ था?
- 28 जनवरी, 1865
लाला लाजपत राय का जन्म स्थल कौन सा था?
- धुड़ीके, पंजाब
लाला लाजपत राय का पैतृक गाँव कौन सा था?
- जगराव, जिला लुधियाना
लाला लाजपत राय की माँ का नाम क्या था?
- गुलाब देवी
लाला लाजपत राय के पिता का नाम क्या था?
- राधाकृष्ण
लाला लाजपत राय की प्रारम्भिक शिक्षा कहाँ हुई?
- रोपड़ के स्कूल में
लाला लाजपत राय के पिता ने किस विषय में अच्छे अंक प्राप्त किए थे?
- भौतिक विज्ञान और गणित
लाला लाजपत राय ने किन ऐतिहासिक ग्रंथों का अध्ययन किया था?
- फिरदौसी की शाहनामा और व्यास की महाभारत
लाला लाजपत राय की उच्च शिक्षा कहाँ से हुई?
- लाहौर के गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी
लाला लाजपत राय ने 1882 में कौन सा भाषण दिया था?
- हिन्दी के पक्ष में अम्बाला में
लाला लाजपत राय को कौन-कौन सी उपाधियाँ प्राप्त हैं?
- शेर-ए-पंजाब और पंजाब केसरी
लाला लाजपत राय की मृत्यु कब हुई थी?
- 17 नवंबर, 1928
लाला लाजपत राय का विवाह किससे हुआ था?
- राधा देवी से
लाला लाजपत राय के दादा का क्या पद था?
- मालेर में पटवारी
लाला लाजपत राय की प्रारंभिक स्वास्थ्य स्थिति कैसी थी?
- अस्वस्थ और मलेरिया से पीड़ित
लाला लाजपत राय के पिता ने किस धर्म का अध्ययन किया?
- इस्लाम धर्म
लाला लाजपत राय के दादा का धर्म क्या था?
- जैन धर्म
लाला लाजपत राय ने किस भाषा को प्राथमिकता दी जब हिन्दी आंदोलन शुरू हुआ?
- संस्कृत
लाला लाजपत राय ने कौन-कौन सी परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं?
- एफ.ए. (इंटरमीडियेट) और मुख्तारी (वकालत का डिप्लोमा)
लाला लाजपत राय की शिक्षा के लिए किसने आर्थिक सहायता प्रदान की?
- सजावल बलोच
लाला लाजपत राय ने किस विश्वविद्यालय से डिप्लोमा की परीक्षा उत्तीर्ण की?
- कलकत्ता विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय
लाला लाजपत राय के पिता का स्थानांतरण किस जगह हुआ था?
- शिमला से अम्बाला
लाला लाजपत राय का स्वास्थ्य सुधारने के लिए वे कहाँ गए थे?
- दिल्ली और बाद में अपने गाँव जगराव
लाला लाजपत राय की प्राथमिक शिक्षा के बाद कहाँ भेजा गया था?
- लाहौर
लाला लाजपत राय ने अपने जीवन में कितनी बार शाहनामा पढ़ा?
- कई बार
लाला लाजपत राय के पिता ने किस प्रकार की शिक्षा दी थी?
- गणित, भौतिक विज्ञान, इतिहास और धर्म
लाला लाजपत राय के किन मित्रों ने हिन्दी आंदोलन में भाग लिया?
- गुरुदत्त और हंसराज
लाला लाजपत राय के पिता ने अपने धर्म का पालन कैसे किया?
- नमाज पढ़ते और रमजान में रोजा रखते थे
लाला लाजपत राय की मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियों में देखकर उन्होंने क्या किया?
- अपने जीवन को धिक्कारा और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया
लाला लाजपत राय की शिक्षा में उनकी किस तरह की भूमिका थी?
- मेधावी छात्र और अपने क्लास में हमेशा पहले स्थान पर रहते थे
लाला लाजपत राय के प्रारम्भिक स्वास्थ्य में क्या समस्या थी?
- मलेरिया
लाला लाजपत राय ने किस पाठ्यक्रम की किताबों से अपना अध्ययन किया?
- सहपाठियों की पाठ्यक्रम की किताबों से
लाला लाजपत राय ने किस धर्म की रस्मों को कुछ समय बाद छोड़ दिया?
- इस्लामी रस्मों
लाला लाजपत राय की पत्नी का नाम क्या था?
- राधा देवी
लाला लाजपत राय ने अपने अध्ययन के लिए क्या स्रोत उपयोग किए?
- छात्रवृत्ति और कभी-कभी पिता से प्राप्त राशि
लाला लाजपत राय के दादी का स्वभाव कैसा था?
- सौम्य, धर्मात्मा, उदार और सीधी-सादी
लाला लाजपत राय की मातृभूमि से उनके कितने मील दूर था उनका पैतृक गाँव?
- 5 मील
लाला लाजपत राय के दादा के धन संग्रह के प्रति क्या विचार थे?
- धन संग्रह को अपना परम कर्तव्य मानते थे
लाला लाजपत राय की शिक्षा में किस व्यक्ति का प्रमुख योगदान था?
- उनके पिता राधाकृष्ण
लाला लाजपत राय के जीवन के किस पहलू ने उन्हें विशेष रूप से प्रेरित किया?
- भारतीय समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने की प्रेरणा
लाला लाजपत राय ने किस ग्रंथ के अध्ययन से इतिहास में रुचि प्राप्त की?
- शाहनामा
लाला लाजपत राय ने किन दो विश्वविद्यालयों से डिप्लोमा की परीक्षा उत्तीर्ण की?
- कलकत्ता विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय
लाला लाजपत राय ने किस विषय की शिक्षा प्राप्त की थी जब वे छोटे थे?
- गणित, भौतिक विज्ञान, इतिहास और धर्म
लाला लाजपत राय ने किस विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था?
- गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी लाहौर
लाला लाजपत राय के सार्वजनिक जीवन में प्रवेश की पहली सीढ़ी क्या थी?
- हिन्दी आंदोलन
लाला लाजपत राय ने किस भाषण से सार्वजनिक जीवन में कदम रखा?
- हिन्दी के पक्ष में भाषण
लाला लाजपत राय के माता-पिता का विवाह कैसे हुआ था?
- पारंपरिक तरीके से
लाला लाजपत राय ने किस प्रकार की आर्थिक सहायता प्राप्त की थी?
- सजावल बलोच द्वारा
लाला लाजपत राय के माता-पिता ने किस धर्म को अपनाया था?
- जैन धर्म और सिख धर्म
लाला लाजपत राय के जीवन में क्या चीज उन्हें स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करती थी?
- मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियों में देखकर उनका संघर्ष और समर्पण
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