पार्वती देवी: शक्ति और भक्ति का प्रतीक (Parvati Devi: A symbol of power and devotion.)

पार्वती देवी: शक्ति और भक्ति का प्रतीक

पार्वती देवी का जन्म और स्वरूप

पार्वती देवी पर्वतराज हिमावन और मैना की कन्या हैं। मैना और हिमावन ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया और उनका नाम पार्वती रखा गया। वह भूतपूर्व सती तथा आदिशक्ति थीं। इन्हें उमा, गिरिजा और शिवा भी कहा जाता है।

पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की और अंततः नारद मुनि के परामर्श से इनका विवाह शिव से संपन्न हुआ। इनके पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंद पुराण के अनुसार, पार्वती पहले कृष्णवर्ण थीं, किंतु अनरकेश्वर तीर्थ में स्नान और शिवलिंग की दीपदान करने से गौरवर्ण की हो गईं। पर्वतकन्या एवं पर्वतों की अधिष्ठातृ देवी होने के कारण इनका नाम पार्वती पड़ा।

पार्वती और भगवान शिव का विवाह

सती के आत्मदाह के बाद विश्व शक्तिहीन हो गया। तारक नामक दैत्य त्रैलोक्य पर अधिकार कर चुका था। ब्रह्मा ने उसे यह वरदान दिया था कि वह केवल शिव के पुत्र के हाथों मारा जाएगा। उस समय भगवान शिव पत्नीहीन थे, जिससे देवता चिंतित थे।

देवी ने हिमालय की एकांत साधना से प्रसन्न होकर देवताओं से कहा कि वे हिमवान के घर गौरी के रूप में जन्म लेंगी और शिव से विवाह करके तारकासुर का वध करने वाले पुत्र को जन्म देंगी।

विवाह कथा

हिमवान के पुरोहित ने शिव के पास विवाह प्रस्ताव रखा, लेकिन शिव ने अपनी निर्धनता का हवाला दिया। पुरोहित के आग्रह पर वे मान गए। विवाह के समय शिव ने नंदी के साथ वृद्ध का वेश धारण किया। स्त्रियों ने उन्हें पीटा और अपमान किया, लेकिन पार्वती के आग्रह पर शिव ने अपनी माया समेट ली और भव्य रूप में प्रकट हुए। इसके बाद गिरिजा से उनका विवाह संपन्न हुआ।

शक्ति पीठ

हिंदू धर्म में जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां शक्ति पीठ स्थापित हुए। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को काट दिया, जिससे उनके शरीर के टुकड़े 52 स्थानों पर गिरे और वहां शक्ति पीठ बने। इनमें कुछ प्रमुख हैं:

  1. कामाख्या देवी, असम

  2. काली माता, कोलकाता

  3. ज्वालामुखी देवी, हिमाचल प्रदेश

  4. चामुंडा देवी, हिमाचल प्रदेश

  5. विंध्यवासिनी, उत्तर प्रदेश

  6. शाकम्भरी देवी, सहारनपुर

  7. सुरकंडा देवी, उत्तराखंड

तंत्र चूड़ामणि के अनुसार शक्ति पीठ

तंत्र साहित्य और तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ में 51 शक्ति पीठों का वर्णन मिलता है। इनमें हिमाचल प्रदेश में स्थित नयना देवी पीठ, उत्तराखंड के मसूरी के पास सुरकंडा देवी पीठ भी शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है कि सुरकंडा देवी मंदिर में माता सती का सिर गिरा था।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के पास स्थित शक्ति पीठ में माता सती का शीश गिरा था, जिससे यहां माता को 'शाकम्भरी देवी' के रूप में पूजा जाता है। यहां भैरव को भूरादेव के रूप में पूजा जाता है।

निष्कर्ष

पार्वती देवी केवल शिव की अर्धांगिनी ही नहीं, बल्कि शक्ति का महान स्वरूप हैं। वे आदिशक्ति, भक्ति, त्याग और प्रेम की प्रतीक हैं। शक्ति पीठ उनकी महिमा को दर्शाते हैं और यह प्रमाणित करते हैं कि सती और पार्वती एक ही शक्ति के विभिन्न रूप हैं।

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