महाशिवरात्रि व्रत का महत्व, पूजन विधि और व्रत कथा (The significance of the Mahashivratri fast, worship method, and fast story.)
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व, पूजन विधि और व्रत कथा
महाशिवरात्रि पर्व का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व का उल्लेख सभी प्रमुख पुराणों में मिलता है, जैसे कि गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण। इस पर्व को कलियुग में अत्यंत पुण्यदायक और पापों का नाश करने वाला माना गया है।
जिस कामना को मन में लेकर कोई भक्त इस व्रत को करता है, वह मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। इस दिन सभी शिवलिंगों में भगवान शिव की शक्ति का विशेष संचार होता है, इसलिए इसे महारात्रि भी कहा जाता है। इस दिन व्रत और शिवार्चन करने से सालभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।

पूजन विधि-विधान
महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और रात्रि जागरण करने का महत्व है।
पूजा करने की विधि:
प्रातः स्नान – प्रातः उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और काले तिलों का उबटन लगाएं।
व्रत का संकल्प – स्वच्छ वस्त्र पहनकर पापों के नाश, सुख-समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत का संकल्प लें।
शिव पूजन – भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, नंदी महाराज की पूजा करें।
पूजन सामग्री –
बेलपत्र, धतूरा, आक के पुष्प
कनेर, मौलसिरी, दूर्वा, तुलसी दल
पका आम्रफल (आम)
रुद्राभिषेक – जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
शिव मंत्र और स्तोत्र पाठ – रुद्राष्टाध्यायी, शिव चालीसा और शिव पुराण की कथा पढ़ें।
रात्रि जागरण – रातभर शिव मंत्रों और भजनों का जाप करें।
दान और हवन – अगले दिन हवन कर ब्राह्मणों को दान दें और व्रत का पारण करें।
महाशिवरात्रि व्रत कथा
निषाद राजा की कथा
शिव महापुराण में एक कथा आती है कि बहुत पहले अर्बुद देश में सुंदरसेन नामक निषाद राजा रहता था। एक बार वह शिकार के लिए जंगल गया, लेकिन पूरे दिन परिश्रम करने के बाद भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। भूख-प्यास से व्याकुल होकर वह एक जलाशय के तट पर स्थित वृक्ष के पास जा पहुंचा, जहां शिवलिंग था।
भूख-प्यास से पीड़ित राजा ने वृक्ष की ओट में विश्राम किया। संयोगवश वृक्ष से कुछ पत्ते टूटकर शिवलिंग पर गिर गए और उसकी जानकारी के बिना ही वह भगवान शिव की पूजा कर चुका था।
इसके बाद, राजा ने शिवलिंग की धूल को साफ करने के लिए जल चढ़ाया और घुटनों के बल बैठकर अंजाने में ही रात्रि जागरण और शिवलिंग का पूजन कर दिया।
जब उसकी मृत्यु हुई तो यमराज के दूत उसे पाश में बांधकर ले जाने लगे, लेकिन उसी समय भगवान शिव के गणों ने यमदूतों को पराजित कर निषाद को मुक्त कर दिया। इस प्रकार वह निषाद अपने कुत्तों सहित भगवान शिव के प्रिय गणों में शामिल हो गया।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा अर्पित करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।
जो भी भक्त सच्चे मन से रात्रि जागरण और व्रत करता है, उसे आध्यात्मिक उन्नति और सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि भक्तों के लिए शिव उपासना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन व्रत और शिव पूजन करने से अखंड पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मशुद्धि, तपस्या और ध्यान के लिए अति उत्तम माना गया है।
जो भी भक्त महाशिवरात्रि पर श्रद्धापूर्वक शिव जी का व्रत और पूजन करता है, वह जीवन में सभी संकटों से मुक्त होकर शिव कृपा प्राप्त करता है।
ॐ नमः शिवाय! 🚩🙏
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