गोलू देवता के प्रति उत्तराखण्ड वासियों की विशेष श्रद्धा - (The special reverence of the people of Uttarakhand towards Golu Devta.)
गोलू देवता के प्रति उत्तराखण्ड वासियों की विशेष श्रद्धा
गोलू देवता के प्रति उत्तराखण्ड वासियों की विशेष श्रद्धा है। ये घर-घर में पूजे जाने वाले देवता हैं। उत्तराखण्ड के कुमायूं मण्डल में इनके तीन मुख्य मंदिर चम्पावत, चितई और घोड़ाखाल में हैं तथा पौड़ी गढ़वाल में भी इनका एक मंदिर कंडोलिया देवता के नाम से प्रसिद्ध है। कुमायूं मण्डल में हर गांव में तथा घरों के अंदर भी गोलू देवता का मंदिर आवश्यक रूप से होता है।
न्यायप्रिय राजा गोलू देवता
इतिहास में उल्लेख मिलता है कि गोलू देवता उत्तराखण्ड के न्यायप्रिय राजा थे। लोग उनके दरबार में न्याय की आशा लेकर आते थे और उचित न्याय पाकर उन्हें पूजनीय मानने लगे। उनकी न्यायप्रियता के कारण ही वे लोगों के हृदय में स्थान बना पाए और आज घर-घर में श्रद्धा के साथ पूजे जाते हैं। गोलू देवता की जागर भी लगाई जाती है, जिसमें उनके जीवन की कथा को गाया जाता है।
गोलू देवता का जन्म और कथा
उत्तराखंड के लोकदेवता श्री ग्वेल ज्यू, जिन्हें बाला गोरिया, गौर भैरव या ग्वेल देवता के नाम से भी जाना जाता है, न्यायकारी और कृष्णावतारी देवता माने जाते हैं। इनका प्रमुख मंदिर चम्पावत, चितई (अल्मोड़ा) और घोड़ाखाल (नैनीताल) में स्थित है। जनश्रुतियों के अनुसार, चम्पावत के राजा झालुराई की सात रानियां थीं, लेकिन वे नि:संतान थे। राजज्योतिषी ने उन्हें भैरव की आराधना करने का सुझाव दिया।
राजा ने भैरव पूजा का आयोजन किया और भगवान भैरव ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वे स्वयं उनके घर में जन्म लेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें आठवीं रानी से विवाह करना होगा। राजा ने जंगल में कलिंगा नामक कन्या से विवाह किया, जो पंचदेवों की बहन मानी जाती थीं। कुछ समय बाद रानी कलिंगा गर्भवती हुई, लेकिन सातों रानियों ने ईर्ष्या के कारण षड्यंत्र रचा और बालक के जन्म के बाद उसे मारने का प्रयास किया।
गोलू देवता की दिव्यता
जब बालक का जन्म हुआ, तो सातों रानियों ने उसे गायों के कक्ष में डाल दिया, ताकि वह दबकर मर जाए, लेकिन वह सुरक्षित रहा और गायों का दूध पीकर बढ़ने लगा। इसके बाद उसे कंटीली बिच्छू घास में डाला गया, लेकिन वह वहां भी मुस्कुराता रहा। अंततः बालक को नमक के ढेर में दफना दिया गया, लेकिन नमक शक्कर में बदल गया। यह देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए।
गोलू देवता के चमत्कार
गोलू देवता के चमत्कारी स्वरूप के कारण लोग उन्हें न्यायप्रिय देवता मानने लगे। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से उनके दरबार में न्याय की गुहार लगाता है, उसे अवश्य न्याय मिलता है। आज भी हजारों भक्त गोलू देवता के मंदिरों में पत्र लिखकर न्याय की याचना करते हैं। यह परंपरा आज भी उत्तराखंड के कोने-कोने में प्रचलित है।
गोलू देवता की इस न्यायप्रियता और चमत्कारी घटनाओं के कारण वे न केवल उत्तराखंड, बल्कि देशभर में पूजे जाने लगे हैं। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु उनके मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
निष्कर्ष
गोलू देवता उत्तराखंड के जनमानस के आराध्य देवता हैं, जिनकी न्यायप्रियता और दिव्यता ने उन्हें सर्वशक्तिमान बना दिया है। उनकी कथा और चमत्कारी घटनाएं हमें सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
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