लुशिंगटन व बैटन के अनुसार: कुमाऊँ प्रशासन का विकास (According to Lushington and Batten: Development of Kumaon Administration)

लुशिंगटन व बैटन के अनुसार: कुमाऊँ प्रशासन का विकास

कुमाऊँ के तृतीय कमिश्नर के रूप में कर्नल जार्ज गोबान की अप्रैल 1836 में नियुक्ति हुई। हालांकि, उनकी अनुभवहीनता के कारण कई शिकायतें बोर्ड ऑफ रेवन्यू तक पहुँचीं। शीतकालीन भ्रमण के दौरान, बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य रॉबर्ट मार्टिन्स बर्ड ने भी अपनी रिपोर्ट में गोबान की आलोचना की और कुमाऊँ को मुख्य धारा में लाने के लिए 16 सुझाव दिए। इनमें रेगुलेशन 1833 के अनुरूप बंदोबस्त, अधीनस्थ कर्मचारियों का निर्धारण और असम की भाँति कुमाऊँ कोड का निर्माण शामिल था।

सितंबर 1838 तक कार्यरत कमिश्नर गोबान के कार्यकाल में दास प्रथा का अंत हुआ। अब दासों को खरीदने-बेचने और महिलाओं की बिक्री पर रोक लगाई गई। पूर्व कमिश्नर ट्रेल द्वारा दी गई गोवध की अनुमति का स्थानीय लोगों ने विरोध किया, जिससे इस विषय पर नई नीतियाँ बनीं। 1836 में काशीपुर को मुरादाबाद और तराई क्षेत्र को रुहेलखण्ड में शामिल किया गया। गोरखा शासनकाल की 'दिव्य' न्याय व्यवस्था समाप्त कर दी गई।

कुमाऊँ को रेगुलेशन प्रांत बनाने की प्रक्रिया

अधिनियम-10 (Act-10) अप्रैल 1838 में लागू किया गया, जिससे कुमाऊँ को एक नियमित प्रांत के रूप में स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस नई व्यवस्था के तहत प्रथम कमिश्नर जॉर्ज लुशिंगटन नियुक्त हुए। उन्होंने अपने दस वर्षीय कार्यकाल (1839-1848) में नैनीताल की स्थापना के साथ राजस्व, वन, भाबर-तराई प्रबंधन, शिक्षा और सड़क निर्माण पर महत्वपूर्ण कार्य किए।

बैटन और कुमाऊँ का बंदोबस्त

लुशिंगटन के कार्यकाल में बैटन को बंदोबस्ती अधिकारी नियुक्त किया गया, जिन्हें बंगाल रेगुलेशन और 1833 के उत्तर-पश्चिमी प्रांत रेगुलेशन के अनुरूप गढ़वाल एवं कुमाऊँ का बंदोबस्त करना था। इसे 'बैक प्रोसेस' बंदोबस्त कहा जाता है, जिसमें भूमि की उर्वरता, कृषकों की क्षमता और वित्तीय स्थिति के आधार पर राजस्व निर्धारण किया गया। यह ब्रिटिश कुमाऊँ का आठवाँ बंदोबस्त था।

बर्ड और लैफ्टिनेंट गवर्नर थॉमसन के निर्देशन में राजस्व प्रशासन की आधारशिला रखी गई। इसी काल में 'डायरेक्शन फॉर कलेक्टर्स ऑफ रेवन्यू' और 'डायरेक्शन फॉर सेटलमेंट ऑफिसर्स' जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी हुए। कलेक्ट्रेट कार्यालय, रिकॉर्ड ऑफिस, पटवारी रिकॉर्ड, परगना रजिस्टर, भूमि बिक्री, नूजल भूमि, तहसील एकाउंट जैसी व्यवस्थाएँ स्थापित की गईं।

द्वैध शासन व्यवस्था एवं जंगल प्रबंधन

तराई-भाबर में द्वैध शासन व्यवस्था लागू की गई, जहाँ फौजदारी व्यवस्था मैदानी अधिकारियों के अधीन थी जबकि राजस्व प्रबंधन पर्वतीय अधिकारियों के अधीन रखा गया। गवर्नर थॉमसन ने जंगल प्रबंधन में विशेष रुचि ली और लुशिंगटन ने असम रूल्स को कुमाऊँ की स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप बनाने के सुझाव दिए। 'कुमाऊँ प्रिंटेड रूल्स' लागू किए गए, और 1839 में वार्षिक प्रशासनिक प्रतिवेदन भेजने की परंपरा कुमाऊँ से ही शुरू हुई।

शिक्षा, चिकित्सा एवं संपर्क मार्ग

शिक्षा के क्षेत्र में, सीनियर असिस्टेंट हडलस्टन द्वारा 1839 में श्रीनगर में एक स्कूल स्थापित किया गया। बद्री-केदार यात्रा मार्ग पर 1840 में एक असिस्टेंट सर्जन की नियुक्ति हुई। 1847 में नैनीताल में भी सर्जन की नियुक्ति हुई, और 1848 में चिकित्सा सुधार हेतु एक डिस्पेंसरी कमेटी गठित की गई।

संपर्क मार्गों में सुधार के लिए 1845 में खैरना-नैनीताल मार्ग का निर्माण आरंभ हुआ, और 1848 में बागेश्वर में गोमती नदी पर पुल बनाया गया। अक्टूबर 1848 में अपने आकस्मिक निधन से पूर्व, लुशिंगटन ने कुमाऊँ प्रशासन को एक नई दिशा प्रदान कर दी।

बैटन का योगदान (1848-1856)

लुशिंगटन के निधन के बाद, नवम्बर 1848 में बैटन ने पूर्णकालिक कमिश्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। इस दौरान:

  • नैनीताल को कमिश्नरी मुख्यालय बनाया गया।

  • खसरा सर्वेक्षण आधारित राजस्व बंदोबस्त लागू किया गया।

  • प्रशिक्षित पटवारियों की तैनाती की गई।

  • तहसीली स्कूलों और डाक बंगलों का निर्माण हुआ।

  • 1852-53 में चाय की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भूमि दी गई।

  • पुलिस, दीवानी और फौजदारी प्रशासन में सुधार किया गया।

बैटन ने नैनीताल को न केवल प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में स्थापित किया, बल्कि इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाने के लिए भी कार्य किया। हालांकि, 1852 में 'कलकत्ता रिव्यू' ने कुमाऊँ प्रशासन की आलोचना करते हुए लिखा कि अंग्रेजों का शासन 40 वर्षों से कुमाऊँ में है, परंतु विकास की गति धीमी है।

निष्कर्ष

लुशिंगटन और बैटन के प्रशासनिक सुधारों ने कुमाऊँ को आधुनिक प्रशासनिक संरचना की ओर अग्रसर किया। राजस्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और पर्यटन के क्षेत्र में उनके योगदान ने कुमाऊँ को ब्रिटिश शासन के तहत एक संगठित प्रांत के रूप में स्थापित किया।

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