टिहरी रियासत का इतिहास
गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह खुडबुड़ा के युद्ध में गोरखों से अन्तिम रूप से पराजित हुए और वीरगति को प्राप्त हुए। राजकुमार प्रीतमशाह को नेपाल भेज दिया गया, जबकि कुंवर पराकमशाह ने कांगड़ा में शरण ली। युवराज सुदर्शनशाह एवं कुंवर देवीसिंह को ज्वालापुर के ब्रिटिश क्षेत्र में सुरक्षित पहुंचाया गया।

टिहरी रियासत की स्थापना
राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिए सुदर्शनशाह ने अंग्रेजों की सहायता मांगी। 1811 ई. में मेजर हेरसी के साथ हुए समझौते के अनुसार, अंग्रेजों ने गोरखों से गढ़वाल को मुक्त कराने में मदद की और बदले में देहरादून व चंडी क्षेत्र अंग्रेजों को दे दिया गया। सिंगौली संधि (1815) के बाद उत्तराखंड पर अंग्रेजों का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया। संधि के तहत सुदर्शनशाह को गढ़वाल के एक हिस्से पर अधिकार मिला और उन्होंने इसे टिहरी को राजधानी बनाकर "टिहरी रियासत" के रूप में स्थापित किया।
टिहरी रियासत के प्रमुख शासक
1. सुदर्शनशाह (1815-1859)
सुदर्शनशाह ने भागीरथी एवं भिलंगना के संगम स्थल त्रिहरी (टिहरी) को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने पुराने दरबार के रूप में राजमहल बनवाया। वे उच्चकोटि के विद्वान थे और उनके द्वारा रचित 'सभासार' ग्रंथ के सात खंड उपलब्ध हैं। 1857 के विद्रोह में उन्होंने अंग्रेजों की मदद की।
2. भवानी सिंह (1859-1871)
सुदर्शनशाह के निधन के बाद भवानी सिंह राजा बने। उनके शासनकाल में सत्ता को लेकर विवाद हुआ, लेकिन अंग्रेजों के हस्तक्षेप से मामला सुलझ गया। वे शांतिप्रिय शासक थे।
3. प्रतापशाह (1871-1886)
प्रतापशाह ने ग्रीष्मकालीन राजधानी "प्रतापनगर" की स्थापना की और अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने सुकेत, मंडी और गुलर राजघरानों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
4. कीर्तिशाह (1892-1913)
कीर्तिशाह ने टिहरी में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया और कई विद्यालयों की स्थापना की। उन्होंने नगरपालिकाओं की स्थापना, जंगलात और प्रशासनिक सुधार किए।
5. नरेन्द्रशाह (1913-1946)
नरेन्द्रशाह के शासनकाल में स्वतंत्रता संग्राम की लहर टिहरी पहुंची। 1946 में प्रजामंडल आंदोलन के कारण उन्हें राज्य छोड़ना पड़ा।
6. मानवेन्द्रशाह (1946-1949)
1949 में टिहरी रियासत का भारत में विलय हुआ और मानवेन्द्रशाह का शासन समाप्त हो गया।
निष्कर्ष
टिहरी रियासत उत्तराखंड के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। इसके शासकों ने शासन में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, लेकिन अंततः स्वतंत्रता संग्राम की लहर में यह भारत गणराज्य का हिस्सा बन गई।
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