पहाड़ी लोक गीत: प्रेम और जीवन की गूंज - Hill folk songs: The echoes of love and life

पहाड़ी लोक गीतों में जीवन की धड़कन

पहाड़ों की संस्कृति में लोक गीतों का विशेष स्थान है। ये गीत न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि हमारी भावनाओं, संबंधों और जीवन की कहानियों को भी उजागर करते हैं। आइए, कुछ और खूबसूरत पहाड़ी लोक गीतों के अंशों का आनंद लेते हैं।


लोक गीतों के अंश

  1. पिता का प्रेम

तू पापा की परी, मी आपुण ईजा का लाट प्रिये।
तू होटल की मटन करी, मैं चमु पूजे का बाट प्रिये।

इस गीत में पिता के प्रति बेटी के प्रेम और उसकी विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।

  1. प्रेम की आवाज

स्वर्ग बटि सर्प छुटो पाणी की तीसल।
तू बोली अबोलि भैछै कब की रीसल।

यह पंक्ति प्रेम की आवाज़ और उसकी गहराई को व्यक्त करती है।

  1. सुरम्य वातावरण

सुर सुर हवा चली उड़ी कत्ति जाणी।
हिय में हापसा रैगे यो किलै निजानी।

इस गीत में प्राकृतिक वातावरण की सुंदरता और हर्ष का अनुभव किया गया है।

  1. दुखों का सामना

सल क बुनिया सुआ सल क बुनिया।
दुःख दुःख झन कयै दुखी छौ दुनिया।

यह पंक्ति दुखों और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की बात करती है।

  1. समय की आवश्यकता

खांणों कौ कमेट, खांणों कौ कमेट।
तु भाना जल्दी ऐ गेछै, मि है गोयूं लेट।

यहां पर समय के महत्व और जल्दी करने की आवश्यकता का उल्लेख किया गया है।

  1. राम की लीला

रामज्यू बन बन गया शिवजी गया कैलाशा।
कैल निपाय दुख दूनी में, झन हया उदासा।

इस गीत में राम और शिव की महिमा का वर्णन किया गया है।

  1. पहाड़ी जड़ें

गाड़ की चिफली ढुंगी, को ढुंगी टेकुलौ।
पहाड़ जन्म म्यरौ, को देश मरूलौ।

यह पंक्ति पहाड़ी जीवन की गहराई और उसके संबंधों को दर्शाती है।

  1. युवाओं की खूबसूरती

पारी भीड़ा घुरड बासो वारी भीड़ा करौली।
तेरी यो जवानी तसी जे की रौली।

इस गीत में युवाओं की खूबसूरती और प्रेम की बात की गई है।

  1. धन की महत्ता

दन्याली को दना लिपिटानी घना।
राज हरी चना ओल रोला दिन मासा मै भूलिए झना।

यह पंक्ति धन और उसकी महत्ता का वर्णन करती है।

  1. धार्मिक पहचान

अयोध्या में राम चन्द्र, गोकुल गोविन्द।
अब हम नसि जानूं, आखिर जै हिन्द।

यहां पर धार्मिक पहचान और गर्व की बात की गई है।

  1. ऋतु का बदलाव

लगुली क लेट, कफू बासो जेठ।
आनी रैना ऋतु मास, हनी रैली भेट।

इस गीत में ऋतुओं के बदलाव और उनके प्रभाव का वर्णन किया गया है।

  1. खेती की खुशबू

हली यै लै हल बोय, छम छम बोया धाना।
पाली खानी चुवा पंछी, फिर खानी किसाना।

यह पंक्ति खेती की खुशबू और जीवन के सौंदर्य का वर्णन करती है।


निष्कर्ष

इन लोक गीतों में पहाड़ी जीवन की सजीवता, प्रेम, रिश्तों और प्रकृति की सुंदरता का अद्भुत मिश्रण है। ये गीत न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि हमें अपने जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देते हैं।

आपका पसंदीदा पहाड़ी लोक गीत कौन सा है? हमें अपने विचार बताएं!

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