उत्तराखंड राज्य आन्दोलन: संघर्ष से राज्य गठन तक की सम्पूर्ण गाथा
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प्रस्तावना
उत्तराखंड का राज्य आंदोलन केवल एक प्रशासनिक मांग नहीं, बल्कि पहाड़ के लोगों की अस्मिता, सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई थी। दशकों तक उपेक्षा और विकास की अनदेखी झेलने के बाद यह आंदोलन 1994 में प्रचंड रूप से सामने आया और अंततः 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड भारत का 27वां राज्य बना।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन का प्रारंभ
उत्तराखंड राज्य की मांग सर्वप्रथम 1897 में उठी थी। यह मांग समय-समय पर विभिन्न आंदोलनों और मंचों से उठती रही। परंतु 1990 के दशक में यह आवाज़ एक जनांदोलन में बदल गई, जिसने समूचे भारत का ध्यान पहाड़ की पीड़ा की ओर खींचा।
संक्षिप्त इतिहास और प्रमुख पड़ाव
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1913: कांग्रेस अधिवेशन में उत्तराखंड के प्रतिनिधियों की भागीदारी।
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1916: कुमाऊं परिषद की स्थापना — हरगोविंद पंत, बद्रीदत्त पांडे, गोविंद बल्लभ पंत आदि द्वारा।
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1938: जवाहरलाल नेहरू द्वारा गढ़वाल के श्रीनगर में पर्वतीय क्षेत्र को विशेष पहचान देने का समर्थन।
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1940: हल्द्वानी सम्मेलन में पृथक इकाई की मांग।
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1955: फजल अली आयोग ने अलग राज्य का सुझाव दिया।
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1979: मसूरी में उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना।
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1987: दिल्ली में प्रदर्शन और पृथक राज्य के लिए संघर्ष का आह्वान।
1994 का ऐतिहासिक जनांदोलन
1994 में उत्तराखंड आंदोलन निर्णायक मोड़ पर पहुंचा। छात्रों, कर्मचारियों और आम जनमानस ने आरक्षण नीति और राज्य उपेक्षा के विरोध में एकजुट होकर आंदोलन छेड़ दिया।
प्रमुख घटनाएँ:
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खटीमा गोलीकांड (1 सितंबर 1994): बिना चेतावनी पुलिस फायरिंग में 7 आंदोलनकारी शहीद।
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मसूरी गोलीकांड (2 सितंबर 1994): शांतिपूर्ण जुलूस पर पुलिस ने गोलियां बरसाईं, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, 3 शहीद।
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मुज़फ्फरनगर कांड (2 अक्टूबर 1994): आंदोलनकारियों पर बर्बर लाठीचार्ज, महिलाओं से दुर्व्यवहार, कई घायल।
इन घटनाओं ने पूरे उत्तराखंड को आंदोलित कर दिया। हड़तालें, चक्काजाम, धरने और अनशन व्यापक स्तर पर हुए।
कुछ प्रमुख आंदोलनकारी शहीदों के नाम
खटीमा गोलीकांड के शहीद:
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भगवान सिंह सिरौला
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प्रताप सिंह
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सलीम अहमद
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गोपीचंद
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धर्मानंद भट्ट
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परमजीत सिंह
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रामपाल
मसूरी गोलीकांड के शहीद:
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बेलमती चौहान
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हंसा धनई
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बलबीर सिंह
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धनपत सिंह
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मदन मोहन ममगई
संघर्ष की विजय: उत्तराखंड राज्य का गठन
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15 अगस्त 1996: प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने स्वतंत्रता दिवस पर उत्तराखंड राज्य की घोषणा की।
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27 जुलाई 2000: "उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक" लोकसभा में पारित।
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9 नवंबर 2000: उत्तरांचल राज्य अस्तित्व में आया, जिसे बाद में उत्तराखंड नाम दिया गया।
एक कविता: "उत्तराखंड की पुकार"
पौराणिक इतिहास
उत्तराखण्ड का उल्लेख प्राचीन धर्मग्रंथों में केदारखंड, मानसखंड और हिमवंत के रूप में होता है। यह वह भूमि है जहाँ पांडवों के आने की कथाएं प्रचलित हैं। महाभारत और रामायण की रचनाएं भी यहीं के आश्रमों में मानी जाती हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना इसी क्षेत्र में हुई, जो हिंदू धर्म के चार प्रमुख मठों में से एक है।
उत्तराखण्ड: देवभूमि
यह प्रदेश ऐतिहासिक रूप से कुषाणों, कनिष्क, समुद्रगुप्त, पौरव, कत्युरी, चंद्रवंशियों, पंवार वंश और ब्रिटिश शासन के अधीन रहा। यहाँ के तीर्थस्थल जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ, हरिद्वार और ऋषिकेश इसे देवभूमि का दर्जा दिलाते हैं। पर्यावरण की दृष्टि से यह हिमालय की गोद में बसा प्रदेश स्वर्ग जैसा प्रतीत होता है।
स्वतंत्रता के बाद का इतिहास
1949 में टिहरी रियासत और रामपुर को संयुक्त प्रांत में मिला दिया गया। भारत का संविधान लागू होते ही 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश हो गया। लेकिन उत्तराखण्ड क्षेत्र की उपेक्षा, बेरोज़गारी, और संसाधनों की कमी ने जनता को एक नए राज्य की माँग के लिए प्रेरित किया।
1990 के दशक में जनांदोलन तेज़ हुआ, और 2 अक्टूबर 1994 को मुज़फ़्फ़रनगर के रामपुर तिराहे पर पुलिस फायरिंग में लगभग 40 आंदोलनकारी शहीद हुए। अंततः, जनभावनाओं और संघर्ष की जीत के रूप में उत्तराखण्ड राज्य अस्तित्व में आया।
उत्तराखण्ड का इतिहास : तिथिवार घटनाएं
वर्ष | ऐतिहासिक घटनाएँ |
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1724 | कुमाऊं रेजिमेंट की स्थापना |
1815 | पंवार नरेश द्वारा टिहरी की स्थापना |
1816 | सिंगोली संधि के तहत गढ़वाल का आधा भाग अंग्रेज़ों को मिला |
1834 | अंग्रेज़ ट्रेल द्वारा हल्द्वानी नगर की स्थापना |
1840 | देहरादून में चाय बागानों की शुरुआत |
1841 | नैनीताल नगर की खोज |
1847 | रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना |
1854 | गंगनहर सिंचाई योजना में जल छोड़ा गया |
1860 | देहरादून में अशोक शिलालेख की खोज |
1887 | लैंसडाउन में गढ़वाल राइफल रेजीमेंट का गठन |
1891 | हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग का निर्माण |
1914 | दरबान सिंह नेगी को विक्टोरिया क्रॉस मिला |
1926 | हेमकुंड साहिब की खोज |
1932 | देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी की स्थापना |
1949 | टिहरी रियासत का विलय उत्तर प्रदेश में |
1954 | हैली नेशनल पार्क का नाम बदलकर जिम कॉर्बेट किया गया |
1973 | गढ़वाल व कुमाऊं विश्वविद्यालय की घोषणा |
1994 | रामपुर तिराहा गोलीकांड |
2000 | उत्तराखण्ड भारत का 27वां राज्य बना |
निष्कर्ष
उत्तराखण्ड का इतिहास संघर्ष, त्याग और आस्था का इतिहास है। यह राज्य न केवल भारत की सांस्कृतिक आत्मा है बल्कि देश की धार्मिक, पर्यावरणीय और सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ की वादियों में गूंजती हैं शंकराचार्य की वाणी, यहाँ की गाथाओं में जीवित हैं बलिदानी आंदोलनकारी, और यहाँ की धरती है देवताओं की।
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