उत्तराखंड के गढ़वाल के 52 गढ़

उत्तराखंड के गढ़वाल के 52 गढ़

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र को कभी '52 गढ़ों का देश' कहा जाता था। यहां के 52 गढ़ों में 52 राजाओं का आधिपत्य था, और हर गढ़ का अपना स्वतंत्र राज्य था। ये गढ़ एक-दूसरे से अलग थे, लेकिन आपसी संघर्ष चलता रहता था। चीन के प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग ने भी इन गढ़ों का उल्लेख किया था। गढ़वाल के 52 गढ़ों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  1. नागपुर गढ़

    • स्थान: जौनपुर परगना
    • संबंधित जाति: नाग जाति
    • विशेष: नागदेवता का मंदिर और अंतिम राजा भजनसिंह
  2. कोल्लिगढ़

    • स्थान: बछणस्यूं
    • संबंधित जाति: बछवाड़ बिष्ट
    • विशेष: बछवाण बिष्ट जाति का गढ़
  3. रावडगढ़

    • स्थान: बद्रीनाथ के निकट
    • संबंधित जाति: रवाडी
  4. फल्याण गढ़

    • स्थान: फल्दाकोट
    • संबंधित जाति: फल्याण जाती के ब्राह्मण
  5. बांगर गढ़

    • स्थान: बांगर
    • संबंधित जाति: राणा
  6. कुईली गढ़

    • स्थान: कुईली
    • संबंधित जाति: सजवाण जाती
  7. भरपूर गढ़

    • स्थान: भरपूर
    • संबंधित जाति: सजवाण जाती
  8. कुजणी गढ़

    • स्थान: कुजणी
    • संबंधित जाति: सजवाण जाती
  9. सिल गढ़

    • स्थान: सिल गढ़
    • संबंधित जाति: सजवाण जाती
  10. मुंगरा गढ़

    • स्थान: रंवाई
    • संबंधित जाति: रावत जाती
  11. रैका गढ़

    • स्थान: रैका
    • संबंधित जाति: रमोला जाती
  12. मौल्या गढ़

    • स्थान: रमोली
    • संबंधित जाति: रमोला जाती
  13. उप्पू गढ़

    • स्थान: उदयपुर
    • संबंधित जाति: चौहान
  14. नाला गढ़

    • स्थान: देहरादून
  15. सांकरी गढ़

    • स्थान: रंवाई
    • संबंधित जाति: राणा
  16. रामी गढ़

    • स्थान: शिमला
    • संबंधित जाति: राणा
  17. बिराल्टा गढ़

    • स्थान: जौनपुर
    • संबंधित जाति: रावत
  18. चांदपुर गढ़

    • स्थान: चांदपुर
    • संबंधित जाति: सूर्यवंशी राजा भानु प्रताप का
  19. चौंडा गढ़

    • स्थान: चांदपुर
    • संबंधित जाति: चौन्दाल
  20. तोप गढ़

    • स्थान: चांदपुर
    • संबंधित जाति: तोपाल जाती
  21. राणी गढ़

    • स्थान: राणी गढ़ पट्टी
    • संबंधित जाति: तोपाल
  22. श्रीगुरु गढ़

    • स्थान: सलाण
    • संबंधित जाति: परिहार
  23. बधाण गढ़

    • स्थान: बधाण
    • संबंधित जाति: बधाणी जाती
  24. लोहबाग गढ़

    • स्थान: लोहबा
    • संबंधित जाति: नेगी
  25. दशोली गढ़

    • स्थान: दशोली
  26. कुंडारा गढ़

    • स्थान: नागपुर
    • संबंधित जाति: कुंडारी
  27. धौना गढ़

    • संबंधित जाति: धौन्याल
  28. रतन गढ़

    • स्थान: कुजणी
    • संबंधित जाति: धमादा जाती
  29. एरासू गढ़

    • स्थान: श्रीनगर के पास
  30. इडिया गढ़

    • स्थान: रंवाई बडकोट
    • संबंधित जाति: इडिया जाती
  31. लंगूर गढ़

    • स्थान: लंगूर पट्टी
  32. बाग गढ़

    • स्थान: गंगा सलाणा
    • संबंधित जाति: बागूड़ी जाती
  33. गढ़कोट गढ़

    • स्थान: मल्ला ढांगू
    • संबंधित जाति: बगडवाल
  34. गड़ताग गढ़

    • स्थान: टकनौर
    • संबंधित जाति: भोटिया जाती
  35. बनगढ़ गढ़

    • स्थान: बनगढ़
  36. भरदार गढ़

    • स्थान: भरदार
  37. चौन्दकोट गढ़

    • स्थान: चौन्दकोट
    • संबंधित जाति: चौन्दकोट जाती
  38. नयाल गढ़

    • स्थान: कटूलस्यूं
    • संबंधित जाति: नयाल
  39. अजमीर गढ़

    • स्थान: अजमेर पट्टी
    • संबंधित जाति: पयाल जाती
  40. कांडा गढ़

    • संबंधित जाति: रावत
  41. सावली गढ़

    • स्थान: सावली खाटली
  42. बदलपुर गढ़

    • स्थान: बदलपुर
  43. संगेला गढ़

    • संबंधित जाति: संगेला जाती
  44. गुजडू गढ़

    • स्थान: गुजडू
  45. जौट गढ़

    • स्थान: जौनपुर
  46. देवल गढ़

    • स्थान: देवलगढ़
  47. लोद गढ़

    • स्थान: देवलगढ़
  48. जौंलपुर गढ़

    • स्थान: देवलगढ़
  49. चंपा गढ़

    • स्थान: देवलगढ़
  50. डोडराक्वांरा गढ़

    • स्थान: देवलगढ़
  51. भवना गढ़

    • स्थान: देवलगढ़
  52. लोदन गढ़

    • स्थान: देवलगढ़

गढ़वाल का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व

गढ़वाल क्षेत्र का इतिहास समृद्ध और विविध है। यहां के इन 52 गढ़ों का अपने समय में गढ़वाल के सामरिक और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान था। यह क्षेत्र उन राजाओं और उनके गढ़ों के बीच राजनीति, युद्ध, और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक था। 15वीं सदी में, पवांर वंश के राजा अजयपाल सिंह ने इन गढ़ों को एकजुट कर गढ़वाल राज्य की नींव रखी, लेकिन आज भी इन गढ़ों का शान से जिक्र होता है और ये स्थानीय लोगों की पहचान का हिस्सा बने हुए हैं।

इन गढ़ों की उपस्थिति और उनका इतिहास गढ़वाल के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं। इन गढ़ों से संबंधित जातियां और उनकी पारंपरिक पहचान आज भी गढ़वाल में जीवित हैं।

(FQCs) 

1. गढ़वाल के 52 गढ़ क्या हैं?

गढ़वाल के 52 गढ़ वह ऐतिहासिक किलें और क्षेत्र हैं, जो कभी विभिन्न राजाओं के अधीन थे। प्रत्येक गढ़ का अपना शासक था और ये गढ़ एक-दूसरे से स्वतंत्र थे, लेकिन 15वीं शताबदी में पंवार वंश के राजा अजयपाल सिंह के द्वारा इन गढ़ों को एकजुट किया गया।

2. किस वंश ने गढ़वाल के 52 गढ़ों को एकजुट किया?

गढ़वाल के 52 गढ़ों को पंवार वंश ने एकजुट किया। विशेष रूप से राजा अजयपाल सिंह ने इन गढ़ों के राजाओं को हराकर गढ़वाल को एक सत्ता के अधीन लाया।

3. इन गढ़ों का इतिहास कब तक रहा?

इन गढ़ों का अस्तित्व लगभग 9वीं शताबदी से लेकर 15वीं शताबदी तक रहा। इसके बाद पंवार वंश के राजा अजयपाल सिंह ने इन गढ़ों के राजाओं को परास्त कर गढ़वाल को एकीकृत किया।

4. ह्वेनसांग ने गढ़वाल के गढ़ों के बारे में क्या लिखा?

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 6वीं शताबदी में भारत यात्रा के दौरान गढ़वाल के कुछ गढ़ों का उल्लेख किया था, जिससे यह सिद्ध होता है कि गढ़वाल में इन गढ़ों का महत्व था।

5. क्या आज भी गढ़वाल में इन गढ़ों का कोई महत्व है?

हां, आज भी गढ़वाल में इन गढ़ों का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। इन गढ़ों से संबंधित क्षेत्र के लोग अपने आप को उन गढ़ों से जोड़े हुए महसूस करते हैं और इनका उल्लेख शान से किया जाता है।

6. क्या 52 गढ़ों के अलावा अन्य छोटे गढ़ भी थे?

हां, 52 गढ़ों के अलावा कुछ छोटे गढ़ भी थे, जो स्थानीय सरदारों या थोकदारों के अधीन थे।

7. क्या गढ़वाल के 52 गढ़ों के बारे में कोई विशिष्ट जानकारी उपलब्ध है?

हां, प्रत्येक गढ़ का एक विशिष्ट स्थान, जाति और इतिहास है। उदाहरण के लिए, नागपुर गढ़ नाग जाती से संबंधित था, जबकि रानी गढ़ का संबंध तोपाल जाती से था।

8. इन गढ़ों के राजा आपस में कैसे जुड़े थे?

गढ़वाल के इन गढ़ों के राजाओं के बीच समय-समय पर संघर्ष होते रहते थे, लेकिन बाद में पंवार वंश के राजा अजयपाल सिंह ने इन गढ़ों को परास्त करके एकजुट किया।

9. क्या गढ़वाल के इन गढ़ों के बारे में कोई ऐतिहासिक किवदंतियाँ हैं?

हां, गढ़वाल के इन गढ़ों से जुड़ी कई ऐतिहासिक किवदंतियाँ और लोककथाएँ हैं, जो आज भी स्थानीय लोगों के बीच सुनाई जाती हैं।

10. क्या गढ़वाल के 52 गढ़ों में से कुछ प्रमुख गढ़ों के बारे में जानकारी दी जा सकती है?

हां, गढ़वाल के प्रमुख गढ़ों में नागपुर गढ़, कोल्ली गढ़, रावड गढ़, भरपूर गढ़, और सिल गढ़ जैसे गढ़ शामिल हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।

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