कविता - बदल गया जमाना

बदल गया जमाना

जमाना वह कुछ और था जब सब मिल जुल कर रहा करते
होता कोई भी बार त्योहार उसे सब एक साथ मनाते,





न कोई टेलीविजन ना कोई टेलीफोन और ना ही कोई मोबाइल
लोग अनपढ़ तो जरूर थे पर एक दूसरे का मान सम्मान करते,

गांव में 2-4 जो पढ़े लिखे लोग
देश विदेश से आए खत को पढ़कर खत में लिखी खबर को सुनाते,

बदल गया जमाना अब गांव टेलीविजन का हो गया दीवाना
पहले ब्लैक एंड वाइट में महाभारत रामायण
फिर कलर टीवी का हो गया जमाना,

धीरे-धीरे बढ़ता गया जमाना
खंभों पर टेलीफोन की लाइन बिछ गई
बाजारों में पीसीओ खुल गये,

पीसीओ में लगती भीड़
टेलीफोन पर बात करते-करते खाने पीने की नहीं रहती शुद्ध,

अब नयीं पीढ़ी का हो गया जमाना
नई पीढ़ी हो गई पढ़ी-लिखी,

नई पीढ़ी की नई नई स्टाइलें आ गई
घर घर में मां बाप बेटा बेटी बहू सबके पास मोबाइल आ गये,

हर किसी की हाथों में घंटी बजने  लग गई 
टेलीफोन वीडियो टेलीविजन सब मोबाइल पर होने लग गये

बेटा बेटियों का बाप को हाई!डैड मां को हाय!मोम का आ गया जमाना
खर्चा बढ़ गया जितनी कमाई होती है मोबाइल में खर्च हो जाती ,

बजने लगे मोबाइल ब्लाउज के अंदर
शर्म सब दूर हो गई
फट से मोबाइल निकाल कर बात होने लग गई,

पुरानी रीति रिवाज पुरानी संस्कृति सब टूट गई
सोये में भी मोबाइल को अपने कलेजे से लगा कर सोने लग गये,

नई पीढ़ी को अब सिखाने की जरूरत नहीं पड़ रही
हर एक के पास मोबाइल ही मोबाइल हो गए,

आई लव यू प्यार प्रेम की कहानी शुरू हो गई
पढ़ाई लिखाई से कोई मतलब नहीं होता,

रात दिन कॉलिंग चैटिंग वीडियो कॉल होती रहती
गर्लफ्रेंड के फोन में रिचार्ज अपनी जेभ से होने लग गये,

मोबाइल पर चुंबन होने लग गई
हर खबर मोबाइल से तुरन्त पहुंचने लग गई
गुंडागर्दी डकैती बलात्कार मोबाइल से होने लग गये,

बदल गया जमाना अब गांव मोबाइल का हो गया दीवाना,

जमाना वह कुछ और था जब सब मिल जुल कर रहते होता कोई भी बार त्यौहार सब एक साथ मनाते!!

धन्यवाद 
Pahadi People 

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