देवता आस्था स्वरूप चढ़ाई घंटिया अर्जीद्वारा त्वरितन्याय चितैई मंदिर अल्मोड़ा - Deity Offering Bells as Faith
देवता आस्था स्वरूप चढ़ाई घंटिया अर्जीद्वारा त्वरितन्याय चितैई मंदिर अल्मोड़ा
गोलु जी को न्याय का देवता भी कहा जाता है। माना जाता है कि जिस किसी के साथ राज दरबार में गलत न्याय हुआ हो, न्याय में भेद-भाव हो गया हो तो वह इनके देव दरबार में अपनी करुण पुकार लिखकर इनके समक्ष करता है।
इसी कारण कहते है गोलु देवता को दी गई अर्जी व्यर्थ नहीं जाती और अन्याय करने वाले से अवश्य राहत मिलती है।
माना जाता है कि गोल्ल जी जब राजा थे तब वह राज्य में घूम-घूम कर जन अदा लत लगाकर त्वरित न्याय दिया करते थे। आज भी लोक अदालतों के माध्यम से जनता को तुरन्त न्याय दिलाने का प्रयास किया जाता है। गोल्ल जी इस जरूरत को समझते हुए लोक अदालतों का न्याय कार्य आरम्भ कर चुके थे।
चितई ग्राम स्थित इनका यह प्रसिद्ध मंदिर लोक आस्थाओं का केन्द्र है चम्पावत में इनका पुराना मंदिर है। एक मंदिर घोड़ाखाल में भी है।
लेकिन चितई का ग्वेल मंदिर आस्था का अद्भुत केन्द्र है। इस मंदिर में भक्तजनों द्वारा चढ़ाई गई घंटियां इस विश्वास की प्रतीक हैं कि ग्वेल जी लोगों की मनो कामनाओं को अवश्य पूरा करते हैं। इनके दरबार में सच्चे हृदय से आने वाले की इच्छा अवश्य पूरी होती है।
कालबिष्ट डाना गोलूदेवता गैराड उत्तराखन्ड
गोलू देवता कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक और ऐतिहासिक भगवान हैं । डाना गोलू देवता गैराड मंदिर, बिंसर वन्यजीव अभ्यारण्य के मुख्य द्वार से लगभग 2 किमी दूर पर है, और लगभग 15 किमी अल्मोड़ा से दूर है।
ऐसा कहा जाता है कि श्री कल्याण सिंह बिष्ट (कालबिष्ट) का जन्म एक बड़े गांव कत्युडा गांव में हुआ था,कालबिष्ट जी ने हमेशा गरीबों और दमनकारी लोगों की मदद की। कालबिष्ट जी का सिर का संदेह से एक रिश्तेदार ने कुल्हाडी से काट दिया। उनका शरीर डाना गोलू गैराड में और ,सिर कपडखान में गिर पड़ा।
डाना गोलू में, गोलू देवता का मूल और सबसे प्राचीन मंदिर है। गोलू देवता भगवान शिव के रूप में देखा जाता है, उनके भाई कलवा भैरव के रूप में हैं और गर्भ देवी शक्ति का रूप है।
डाना गोलू देवता को सफेद कपड़ों, सफेद पगड़ी और सफेद शाल के साथ पेश किया जाता है। कुमाऊं में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, और सबसे लोकप्रिय गैराड (बिन्सर), चितई , चंपावत, घोडाखाल में हैं | लोकप्रिय धारणा है कि गोलू देवता भक्त को त्वरित न्याय प्रदान कराते हैं । उनकी इच्छाओं की पूर्ति के बाद भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं | मंदिर के परिसर में हर आकार के हजारों घंटियाँ लटकी देखी जा सकती हैं। कई भक्तों ने कई लिखित याचिकाएं दर्ज़ कराई गयी हैं, जो मंदिर द्वारा प्राप्त की जाती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि श्री कल्याण सिंह बिष्ट (कालबिष्ट) का जन्म एक बड़े गांव कत्युडा गांव में हुआ था,कालबिष्ट जी ने हमेशा गरीबों और दमनकारी लोगों की मदद की। कालबिष्ट जी का सिर का संदेह से एक रिश्तेदार ने कुल्हाडी से काट दिया। उनका शरीर डाना गोलू गैराड में और ,सिर कपडखान में गिर पड़ा।
डाना गोलू में, गोलू देवता का मूल और सबसे प्राचीन मंदिर है। गोलू देवता भगवान शिव के रूप में देखा जाता है, उनके भाई कलवा भैरव के रूप में हैं और गर्भ देवी शक्ति का रूप है।
डाना गोलू देवता को सफेद कपड़ों, सफेद पगड़ी और सफेद शाल के साथ पेश किया जाता है। कुमाऊं में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, और सबसे लोकप्रिय गैराड (बिन्सर), चितई , चंपावत, घोडाखाल में हैं | लोकप्रिय धारणा है कि गोलू देवता भक्त को त्वरित न्याय प्रदान कराते हैं । उनकी इच्छाओं की पूर्ति के बाद भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं | मंदिर के परिसर में हर आकार के हजारों घंटियाँ लटकी देखी जा सकती हैं। कई भक्तों ने कई लिखित याचिकाएं दर्ज़ कराई गयी हैं, जो मंदिर द्वारा प्राप्त की जाती हैं।
Frequently Asked Questions (FQCs) - चितई गोलू देवता और उनकी आस्था
गोलू देवता कौन हैं और उनका महत्त्व क्या है?
- गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है। वे कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक और ऐतिहासिक भगवान हैं, जो न्याय में भेदभाव करने वालों से राहत दिलाते हैं। गोलू देवता का दरबार न्याय के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ लोग अपनी अर्जी लिखकर न्याय की प्राप्ति के लिए आते हैं।
गोलू देवता को 'न्याय का देवता' क्यों कहा जाता है?
- गोलू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है क्योंकि जब किसी के साथ गलत न्याय हुआ हो या उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ा हो, तो वे गोलू देवता के दरबार में अर्जी डालते हैं। मान्यता है कि गोलू देवता उनकी अर्जी को स्वीकार करते हैं और उन्हें न्याय मिलता है।
चितई गोलू मंदिर कहाँ स्थित है और वहाँ क्या विशेषताएँ हैं?
- चितई गोलू मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर गोलू देवता की पूजा का प्रमुख केंद्र है। यहाँ भक्त अपनी समस्याओं का समाधान और न्याय प्राप्ति के लिए आते हैं और अपनी मन्नतें पूरी होने पर घंटियाँ चढ़ाते हैं। मंदिर में चढ़ाई गई घंटियाँ विश्वास का प्रतीक हैं कि गोलू देवता उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
गोलू देवता के मंदिर में घंटियाँ चढ़ाने का क्या महत्व है?
- गोलू देवता के मंदिर में घंटियाँ चढ़ाना एक प्रकार की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। भक्त मानते हैं कि जब उनकी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं, तो वे इन घंटियों को चढ़ाकर धन्यवाद अदा करते हैं। मंदिर में हर आकार की हजारों घंटियाँ लटकी हुई हैं, जो श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं।
डाना गोलू देवता के मंदिर का क्या महत्व है?
- डाना गोलू देवता का मंदिर कुमाऊं क्षेत्र के बिन्सर वन्यजीव अभ्यारण्य के पास स्थित है। यह गोलू देवता का सबसे प्राचीन मंदिर है। यहाँ गोलू देवता को सफेद कपड़ों, सफेद पगड़ी और सफेद शाल में प्रस्तुत किया जाता है। यह मंदिर भक्तों को त्वरित न्याय और इच्छाओं की पूर्ति का विश्वास देता है।
गोलू देवता से जुड़ी किस तरह की मान्यताएँ हैं?
- गोलू देवता से जुड़ी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे हृदय से उनके दरबार में आते हैं, उनकी इच्छाएँ अवश्य पूरी होती हैं। भक्त यहाँ अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए अर्जी डालते हैं, और इस विश्वास के साथ घंटियाँ चढ़ाते हैं कि देवता उनकी इच्छाओं को स्वीकार करेंगे।
गोलू देवता का जन्म कैसे हुआ और उनके बारे में किस प्रकार की कथाएँ प्रचलित हैं?
- गोलू देवता का जन्म कत्युरी और चाँद वंश से जुड़ी एक अद्भुत कथा से हुआ है। वे राजा थे और न्याय प्रियता के कारण उनकी पूजा की जाने लगी। उनके न्यायप्रिय आचरण के कारण उन्हें 'न्याय के देवता' के रूप में पूजा जाता है। उनकी वीरता और साहस की कथाएँ भी प्रचलित हैं।
गोलू देवता के अन्य मंदिर कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
- गोलू देवता के कई प्रसिद्ध मंदिर कुमाऊं क्षेत्र में स्थित हैं, जैसे चितई, चंपावत, घोडाखाल, और डाना गोलू (बिन्सर)। इन मंदिरों में भक्तगण अपने समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए श्रद्धा से आते हैं।
गोलू देवता का न्याय कैसे कार्य करता है?
- गोलू देवता के न्याय का कार्य लोक अदालतों के माध्यम से होता था। आज भी लोग गोलू देवता के दरबार में अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए आते हैं और उनके न्यायप्रिय रूप को मानते हुए अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के बाद घंटियाँ चढ़ाते हैं।
गोलू देवता के साथ जुड़े अन्य रूप कौन से हैं?
- गोलू देवता के विभिन्न रूपों में चितई गोलू, डाना गोलू, घोडाखाल गोलू, और गैराड़ गोलू प्रमुख हैं। इन रूपों के माध्यम से गोलू देवता की न्यायप्रियता और उनकी शक्ति को दर्शाया जाता है।
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