माँ भुवनेश्वरी मंदिर जहाँ लिंगरूप में पूजा लिंगको देवीके तीनों रूपों में मान्यता पौड़ी
नवरात्रो मे इस मंदिर मे हजारो की भीड़ उमड़ती है।1. उत्तराखंड में #आद्य शक्ति मां भुवनेश्वरी का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी प्रतिमा के स्थान पर #लिंग पूजा होती है। इस लिंग को #श्रृंग भी कहते हैं। लोक मान्यता है कि यह श्रृंग अनादि काल से यहां स्थित है।
2. मां भुवनेश्वरी देवी के मंदिर में श्रद्धापूर्वक पुष्प चढ़ाने और पूजा अर्चना के बाद धर्म, अर्थ, काम और अंत में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
3. गढ़वाल में चंद्रकूट पर्वत के शीर्ष पर विराजमान अष्ठ खंब के बीच में मंदिर के गर्भ गृह में प्रकाशमान #लिंग स्थापित है। पुजारी बताते हैं कि इस लिंग को साक्षात देवी के #तीन रूपों में मान्यता है। #मंदिर की देवी भुवनेश्वरी ही आद्य शक्ति हैं। वह अखिल ब्रह्मांड की स्वामी हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन्हीं के चरणों की वंदना करते हैं।
4. यही वजह है कि कोट के #भुवनेश्वरी मंदिर में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में माता को जगाने के लिए धूयैंल बजाई जाती है। तीन जोड़ी ढोल दमाऊं की घमक दूर गांवों तक पहुंचकर लोगों को जगाती है। ग्रामीण सुबह उठते ही भुवनेश्वरी का स्मरण कर दिन का शुभारंभ करते हैं।
5. रात्रि में बाजगीर धूयैंल देकर आरती के साथ ही माता को विश्राम तक पहुंचाते हैं। आध्यात्म के साथ ही भुवनेश्वरी मंदिर और आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक नजारों से भी भरपूर है।
6. यही वजह है कि #नवरात्रों में यहां हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
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