उत्तराखण्ड का दर्द
आओ आज आपको भी पहाड़ घुमाकर लाता हूं,
रामनगर से चलता हूं और,
हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
पहाड़ों का यह अजीज सफर शुरू होता है।
कुछ ही किलोमीटर चलते ही,
मां गर्जिया मंदिर पर गाड़ी रुक जाती है।
वहां कुछ अर्जियां अपने सुख-दुख की,
मां गर्जिया को सुनाकर,
फिर हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
पहाड़ों की मासूमियत
अब एक प्यारी बच्ची की आवाज सुनाई देती है,
जो अपने पापा से कहती है—
"मुझे गांव में धारों और नौलों से पानी लाना सबसे अच्छा लगता है।
इतनी ठंडी में भी नौला, गरम पानी पिलाता है।"
निराशा से भर जाता हूं,
जब वह मासूमियत से कहती है—
"पापा, हम पहाड़ ही क्यों नहीं रह जाते?"
इस सवाल का कोई जवाब नहीं होता मेरे पास।
बस, हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
युवाओं का दर्द
एक नौजवान गाड़ी का शीशा खोलता है,
वादियों का लुफ्त उठाता है।
हवा की तेज थपेड़े उसके बालों को उड़ा रहे हैं।
वह हल्के से कहता है—
"घर जाकर मां को भी दिल्ली ले आता हूं।"
मुस्कान के पीछे छुपा दर्द महसूस करता हूं।
और फिर, हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
सड़कें और संघर्ष
अचानक, गाड़ी को झटका सा लगता है।
चालक चिल्लाता है,
"दुनिया की सड़कें बनेंगी,
पर ठेकेदारों की कमाई के लिए।
सड़कें चौड़ी नहीं होंगी,
और गड्ढे कभी नहीं भर पाएंगे।"
उसकी बातों में छुपा दर्द सुनता हूं।
और हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
गांव का सादा जीवन
सौराल पहुंचता हूं।
चालीस रुपये में भरपेट भोजन करता हूं।
याद आता है वह होटल,
जहां हजारों खर्चने पर भी
यह स्वाद नहीं मिलता।
फिर दादा जी से मुलाकात होती है,
जो बोरे में सब्जी लादे हुए थे।
मैंने पूछा—
"दादा जी, इतनी सब्जी क्यों ले जा रहे हो?"
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा—
"जो सब्जी वहां सौ की होती है,
यहां पचास में मिल जाती है।"
और मैं,
हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
खाली होते गांवों का दर्द
गंतव्य पर पहुंचने से पहले,
एक अस्पताल दिखता है—
जहां डॉक्टर नहीं।
खाली होते गांव,
रोजगार के अभाव में पलायन करते लोग।
ना जाने कितनों के चेहरे पर
संवेदना का यह दर्द पढ़ता हूं।
और अंत में,
हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाता हूं।
समाप्ति: पहाड़ों का आह्वान
उत्तराखंड का दर्द,
हर वादी, हर सड़क, हर गांव में बसा है।
लेकिन उम्मीद है कि एक दिन,
ये पहाड़ फिर से खिलखिलाएंगे।
और मैं तब भी,
हौले से गाड़ी का मुख पहाड़ों को घुमाऊंगा।
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