इनके कई रूप हैं जैसे- चितई गोल्जयू, डाना गोल्जयू, घोडाखाल गोल्जयू, गैराड़ गोल्जयू.

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श्री गोलज्यू के नाम 

गोरी गंगा से निकले गोरिया नाम पड़ा, कंडी में पौड़ी लाये गये कंडोलिया नाम पड़ा, गागरी में रख कर गरुड़ में लाये गये तो गागरीगोल (गागरीग्वल) नाम पड़ा, माता के दूध की परिक्षा पास की दूदाधारी नाम पड़ा, देवो, पितरो, भूतो, मसाडो, बयालो, जादू टोने का उचित न्याय किया न्यायकारी चितई गोलू नाम पड़ा, पंचनाम देवो के धर्म भांजे हो अागवानी नाम पड़ा, उत्तराखण्ड, नेपाल, उत्तर प्रदेश में अपना झंडा स्थापित किया राजाओ के राजा नाम पड़ा और भगवान महादेव के सबसे सुन्दर रुप हो गौर भैरव नाम पड़ा  - जय राजवंशी गोरिया, महादेव… 

  1. गोरी गंगा से निकले गोरिया नाम पड़ा,
  2. कंडी में पौडी लाये गये कंडोलिया नाम पड़ा,
  3. गागरी में रख कर गरुड़ में लाये गये तो गागरीगोल (गागरीग्वल) नाम पड़ा,
  4. चंपावत से बागेश्वर में बाजार में बसाये गये तो श्री बाजारी गोल्ज्यु ,
  5. माता के दूध की परिक्षा पास की दूदाधारी नाम पड़ा,
  6. देवो, पितरो, भूतो, मसाडो, बयालो, जादू टोने का उचित न्याय किया न्यायकारी चितई गोलू नाम पड़ा, 
  7. पंचनाम देवो के धर्म भांजे हो अागवानी नाम पड़ा,
  8. उत्तराखण्ड, नेपाल, उत्तरप्रदेश में अपना झंडा स्थापित किया राजाओ के राजा नाम पड़ा और…
  9. भगवान महादेव के सबसे सुन्दर रुप हो गौर_भैरव नाम पड़ा  - जय राजवंशी गोरिया, महादेव… 
      दोस्तों आप लोगों ने फिल्मों में और टीवी सीरियल में तो खुब देखा है कि, कभी कोई किसी को सताए या परेशान करे तो भगवान आते हैं और दोषियों को सजा देते हैं...... मगर जब कभी ऐसा हो कि आप भगवान को चिट्ठी लिखते हैं वो भी स्टाम्प में...कुछ अटपटा सा लगा होगा आपको ये सुनकर और अचंभित आप तब होंगे जब आपकी मनोकामना भी पूरी कर देते हैं तो कैसा लगेगा आपको..... चलिए आज आपको ले चलता हूँ हमारे अल्मोड़ा जिले में स्थित चितई_गोल्जयू_महाराज के पावन दरबार में..... 
         चितई गोलू मंदिर अल्मोड़ा से आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर है। यहां गोलू देवता का भव्य मंदिर है। मंदिर के अंदर सफेद घोड़े में सिर पर सफेट पगड़ी बांधे गोलू देवता की प्रतिमा है, जिनके हाथों में धनुष बाण है। इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु न्याय मांगने के लिए आते हैं।
    गोलू देवता अपने न्याय के लिए दूर-दूर तक मशहूर हैं।हालांकि,  उत्तराखंड में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से सबसे लोकप्रिय और आस्था का केंद्र अल्मोड़ा जिले में स्थिति चितई गोलू देवता का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ और लगातार गुंजती घंटों की आवाज से ही गोलू देवता की लोक प्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है
    गोलू देवता को स्थानीय संस्कृति में सबसे बड़े और त्वरित न्याय के देवता के तौर पर पूजा जाता है। इन्हें राजवंशी देवता के तौर पर पुकारा जाता है। गोलू देवता को उत्तराखंड में कई नामों से पुकारा जाता है। इनमें से एक नाम गौर भैरव भी है। गोलू देवता को भगवान शिव का ही एक अवतार माना जाता है। मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में चढ़ाई जाती है घंटी
     गोलू देवता को शिव और कृष्ण दोनों का अवतार माना जाता है। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों से भी गोलू देवता के इस मंदिर में लोग न्याय मांगने के लिए आते हैं। मंदिर की घंटियों को देखकर ही आपको इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि यहां मांगी गई किसी भी #भक्त की मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती। मन्नत के लिए लिखना होता है आवेदन पत्र... 
   मंदिर में लाखों अद्भुत घंटे-घंटियों का संग्रह है। इन घंटियों को भक्त मनोकामना पूरी होने पर ही चढ़ाते हैं। चितई गोलू मंदिर में भक्त मन्नत मांगने के लिए चिट्ठी लिखते हैं। इतना ही नहीं कई लोग तो #स्टांप पेपर पर लिखकर अपने लिए न्याय मांगते हैं।
    ऐसी मान्यता है कि जिनको न्याय नहीं मिलता वो गोलू देवता की शरण में पहुंचते हैं और उसके बाद उनको #न्याय मिल जाता है।
    न्याय के देवता का सम्बन्ध #कत्युरी सम्राटों से है जिन्होंने कुमाऊँ पर ७वीं.- १२वीं. सदी तक राज किया था। गोलू महाराज किसी एक कत्युरी राजा के पुत्र और सेनानायक दोनों थे।

एक अन्य कथा उनका सम्बन्ध #चँद वंश से जोड़ती है जिन्होंने कत्युरी वंश के पश्चात, १२वीं. शताब्दी में यहाँ राज किया था। इस कथा के अनुसार गोलू महाराज एक साहसी योद्धा थे जो युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।न्याय देवता के उद्भव के सम्बन्ध में सर्वाधिक लोकप्रिय कथाओं के अनुसार उनकी माता कलिंका, राजा झालू राई की रानी थी। जब गोलू महाराज का जन्म हुआ था तब राजा की अन्य रानियों ने ईर्ष्यावश उन्हें नदी के किनारे ले जाकर छोड़ दिया तथा उनके स्थान पर कलिंका के समीप एक पत्थर रख दिया था। एक मछुआरे ने गोलू महाराज के प्राणों की रक्षा की। 8 वर्ष की आयु के पश्चात एक दिवस वे एक लकड़ी के #घोड़े पर सवार होकर वापिस लौटे।

वे अपने घोड़े को उस तालाब के समीप ले गए जहां राजा की 7 #रानियाँ स्नान कर रही थीं। उन्होंने अश्व को जल पिलाया। रानियाँ उस पर हंसने लगीं। तब गोलू महाराज ने कहा कि यदि एक स्त्री #पत्थर को जन्म दे सकती है तो वो एक लकड़ी के घोड़े की सवारी क्यों नहीं कर सकता? राजा को अपनी रानियों के कुकर्मों का आभास हो गया तथा उसने उन्हें कड़ा दंड दिया। तत्पश्चात राजा ने गोलू महाराज को #राजा बना दिया। समय के साथ गोलू महाराज अपने न्यायप्रिय आचरण के लिए लोकप्रिय होने लगे तथा गोलू देवता के रूप में सदा के लिए अमर हो गए।
    इनके कई रूप हैं जैसे- #चितई गोल्जयू, #डाना गोल्जयू, #घोडाखाल गोल्जयू, #गैराड़ गोल्जयू.... 
    हमारे होमस्टे से मात्र 28 किमी की दूरी पर स्थित है न्याय के देवता गोल्ज्यू का थान(मंदिर)॥ 

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