"मैंने अपनी बंदआँखों से" कविता कोश

"मैंने अपनी बंदआँखों से" कविता कोश 

 मैंने अपनी बंदआँखों से 
महसूस किया है,
जीवन मे बिखरे संगीत को,
प्रकृति के कण -कण में विद्यमान
एक मधुर संगीत,
हृदय को झंकृत करता हुआ,
निरंतर तान छेड़ता हुआ,
जाग्रत करता है मेरे प्रेम को
और वो हर दुखद क्षण आनन्द से
भर जाता है,
मन के भीतर कई जलतरंग, तरंगित,
होकर स्पर्श कर जाते है आत्मा को
और मेरे अधरो पर मुस्कान बन
झलकता है संगीत,
जीवन मे संगीत , संगीत में समाहित
मेरा प्रेम,
प्रेम में समाहित तुम और तुम में समाहित 
मेरी आत्मा,
मैं अनुभव करती हूँ तुम्हे अपने निकट
और भी निकट,
 समेट लिया है मैने बिखरे संगीत को 
अपने अंतर्मन में,
अब प्रत्येक क्षण आनंद से सराबोर,
मुझे सम्पूर्ण  करता है, 
और तुम बन जाते हो मेरे जीवन का उत्सव

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