गर्जिया देवी मंदिर, रामनगर: आस्था और इतिहास का संगम
गर्जिया देवी मंदिर, जिसे "गिरिजा देवी मंदिर" भी कहा जाता है, उत्तराखंड के रामनगर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित एक प्राचीन और पवित्र स्थल है। यह मंदिर सुंदरखाल गांव में, कोसी नदी के किनारे एक छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित है। माता पार्वती को समर्पित इस मंदिर को उनकी "गिरिराज हिमालय" की पुत्री होने के कारण "गिरिजा" नाम से जाना जाता है।

गर्जिया देवी मंदिर का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार, वर्तमान रामनगर के पास प्राचीनकाल में "विराट नगर" नामक क्षेत्र स्थित था। यह स्थान महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ साम्राज्य का हिस्सा था। कत्यूरी राजवंश, चंद्र राजवंश और गोरखा वंश के शासनकाल में भी इस क्षेत्र का विशेष महत्व रहा।
मान्यता है कि गर्जिया देवी का मंदिर एक टीले पर स्थित है, जो कभी कोसी नदी की बाढ़ के साथ बहकर यहां आया था। कहा जाता है कि भैरव देव ने इसे देखकर "थि रौ, बैणा थि रौ" अर्थात "ठहरो, बहन ठहरो" कहा, जिसके बाद यह स्थान देवी का निवास बन गया।
गर्जिया देवी की पौराणिक कथा
पहले उपटा देवी के नाम से जानी जाने वाली गर्जिया देवी कोसी नदी के बहाव के साथ आई थीं। जंगल विभाग के कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों ने 1940 से पहले यहां देवी की मूर्तियों को देखा और इसे शक्तिस्थल के रूप में पहचान दी।
1940 के दशक में यह स्थान सुनसान जंगलों से घिरा हुआ था, लेकिन देवी मां की महिमा के कारण यह तीर्थस्थल के रूप में विकसित हुआ। 1956 में कोसी नदी की बाढ़ में मूर्तियां बह गईं, लेकिन बाद में पंडित पूर्णचंद्र पांडे ने इनकी पुनः स्थापना कर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
गर्जिया देवी मंदिर का धार्मिक महत्व
गर्जिया देवी मंदिर में गर्जिया माता की भव्य मूर्ति के साथ-साथ मां सरस्वती, गणेश और बटुक भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। यहां लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर भी है। भक्त मंदिर में दर्शन से पहले कोसी नदी में स्नान करते हैं और 90 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचते हैं।
माना जाता है कि नवविवाहिताएं यहां अटल सुहाग की कामना करती हैं और नि:संतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए माता से प्रार्थना करते हैं।
गर्जिया देवी मंदिर के उत्सव
मंदिर में वर्षभर भक्तों की भीड़ रहती है। विशेष रूप से वसंत पंचमी, शिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और गंगा दशहरे के अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन होता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कोसी नदी में गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

मंदिर में मनोकामना पूर्ति
यहां आने वाले भक्त माता को नारियल, सिंदूर, धूप, दीप, लाल चुनरी आदि अर्पित करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर लोग मंदिर में घंटी या छत्र चढ़ाते हैं। मंदिर में मां की पूजा के बाद भैरव बाबा को चावल और उड़द की दाल अर्पित की जाती है।
गर्जिया देवी मंदिर की विशेषताएं
- स्थान: सुंदरखाल गांव, रामनगर, उत्तराखंड
- निकटतम नदी: कोसी नदी
- मुख्य आकर्षण: गर्जिया देवी की भव्य मूर्ति, कोसी नदी का पवित्र जल, शांत और रमणीय वातावरण
- सीढ़ियां: मंदिर तक पहुंचने के लिए 90 सीढ़ियां
- आस्था: नवविवाहिताओं और नि:संतान दंपतियों के लिए विशेष स्थान
निष्कर्ष
गर्जिया देवी मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं है, बल्कि यह आस्था, प्रकृति और इतिहास का अनूठा संगम है। यहां का वातावरण, कोसी नदी की शीतल धारा, और देवी मां की दिव्य उपस्थिति हर भक्त को आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करती है।
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