ब्रिटिश कालीन भू-प्रबन्धन: उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (British Land Management: Historical Perspective of Uttarakhand)
ब्रिटिश कालीन भू-प्रबन्धन: उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- तलाऊँ भूमि - सर्वाधिक उपजाऊ।
- दोयम भूमि - माध्यम श्रेणी।
- कटील भूमि - निम्न श्रेणी।
- अब्बल भूमि - उच्च श्रेणी।
- सन 1823 का बंदोबस्त:वैकेट महोदय ने भूमि के चारों वर्गों पर राजस्व दर तय की:
- तलाऊँ भूमि: तीन गुना मालगुजारी।
- अब्बल भूमि: डेढ़ गुना।
- दोयम भूमि: समान।
- कटील भूमि: आधा।
- गाँव के प्रधान द्वारा मालगुजारी वसूली जाती और पटवारी इसे सरकारी खजाने में जमा करता।
मालगुजारी की दरें और दस्तूर
- मालगुजारी दर: प्रति बीसी 2.5 से 3.5।
- वसूलने वालों को दस्तूर: 5 रुपये प्रति सैकड़ा।
- विशेष प्रावधान: नैनीताल के महरा गाँव के थोकदारों को 10 रुपये सैकड़ा।
ब्रिटिश और प्राचीन शासकों की नीति में अंतर
- हिंदू राजा: स्वयं को जमीन का संरक्षक मानते थे।
- ब्रिटिश प्रशासन: सरकार को भूमि का स्वामी घोषित कर दिया।
विशेष कानून और नीति
- आगरा टिनेन्सी अधिनियम कुमाऊँ में लागू नहीं हुआ।
- स्टॉवल महोदय ने कुमाऊँ में अलग पद्धति बनाई, जो पुरानी हो चुकी थी।
ब्रिटिश कालीन भू-प्रबन्धन पर FAQs
प्रश्न 1: ब्रिटिश कालीन भू-प्रबन्धन क्या था?
उत्तर: ब्रिटिश शासनकाल में भूमि प्रबंधन और राजस्व वसूली की नई प्रणाली को ब्रिटिश कालीन भू-प्रबन्धन कहा जाता है। इसमें जमीन की पैमाइश, वर्गीकरण, और कर वसूलने के नियम बनाए गए।
प्रश्न 2: ब्रिटिश राज में भूमि को कितनी श्रेणियों में विभाजित किया गया था?
उत्तर: भूमि को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया था:
- तलाऊँ
- दोयम
- कटील
- अब्वल
प्रश्न 3: ब्रिटिश बंदोबस्त प्रणाली में मालगुजारी कैसे तय की जाती थी?
उत्तर:
- तलाऊँ भूमि: तीन गुना मालगुजारी।
- अब्वल भूमि: डेढ़ गुना।
- दोयम भूमि: समान।
- कटील भूमि: आधा।
प्रश्न 4: खायकर कौन होते थे?
उत्तर: खायकर वे लोग थे जो जमीन से फसल उगाकर सरकार को कर देते थे। ब्रिटिश नीति के अनुसार, जमीन का मालिक सरकार थी और गाँव के लोग केवल खायकर बनकर रह गए।
प्रश्न 5: 1815 से 1833 के बीच कितने बंदोबस्त किए गए?
उत्तर: 1815 से 1833 के बीच ट्रेल महोदय ने सात बंदोबस्त पूरे किए।
प्रश्न 6: सन 1823 का बंदोबस्त क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर: इसे "अस्सी के बंदोबस्त" के नाम से जाना जाता है। यह गढ़वाल-कुमाऊँ क्षेत्र का अंतिम संयुक्त बंदोबस्त था और 20 वर्षों के लिए लागू किया गया।
प्रश्न 7: ब्रिटिश प्रशासन और प्राचीन हिंदू शासकों की भू-प्रबंधन नीति में क्या अंतर था?
उत्तर:
- हिंदू शासक: जमीन के स्वामी नहीं, बल्कि संरक्षक माने जाते थे।
- ब्रिटिश प्रशासन: सरकार को जमीन का मालिक घोषित किया और जनता को कर देने के लिए बाध्य किया।
प्रश्न 8: वन प्रबंधन का स्थानीय जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: ब्रिटिश सरकार ने जंगल, बेनाप भूमि, नदी आदि को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया, जिससे स्थानीय लोगों का इन संसाधनों पर अधिकार समाप्त हो गया।
प्रश्न 9: मालगुजारी वसूलने वाले को क्या मिलता था?
उत्तर: वसूलने वाले को 5 रुपये प्रति सैकड़ा दस्तूर मिलता था। नैनीताल के महरा गाँव के थोकदारों को विशेष रूप से 10 रुपये प्रति सैकड़ा दिया जाता था।
प्रश्न 10: आगरा टिनेन्सी अधिनियम क्या कुमाऊँ में लागू किया गया था?
उत्तर: नहीं, यह अधिनियम कुमाऊँ पर लागू नहीं किया गया। कुमाऊँ में स्टॉवल महोदय द्वारा बनाई गई अलग पद्धति का पालन किया गया।
प्रश्न 11: ब्रिटिशकालीन भू-प्रबंधन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: ब्रिटिश सरकार का मुख्य उद्देश्य राजस्व वसूली बढ़ाना और भूमि पर अपना अधिकार स्थापित करना था।
निष्कर्ष:
ब्रिटिश कालीन भू-प्रबंधन ने स्थानीय जनता पर सामाजिक और आर्थिक दबाव बढ़ा दिया। यह प्रणाली उनके जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती थी।
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