कूर्मांचल नरेश रूद्रचंद: एक महान शासक और प्रशासक
परिचय
रूद्रचंद, कूर्मांचल के एक प्रभावशाली नरेश थे, जो मुगल सम्राट अकबर के समकालीन थे। अपने शासनकाल में उन्होंने न केवल क्षेत्रीय साम्राज्य का विस्तार किया, बल्कि एक सशक्त सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था भी स्थापित की। प्रारंभ में एक स्वतंत्र शासक होने के बावजूद, 1587 ईस्वी के बाद, उन्होंने मुगल साम्राज्य की अधीनता स्वीकार की और कूर्मांचल को करद-राज्य बना दिया।
तराई क्षेत्र का पुनः अधिग्रहण और रूद्रपुर की स्थापना
रूद्रचंद के समय में, मुगल सेना के हुसैन खां ने तराई क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इस चुनौती का सामना करते हुए, रूद्रचंद ने तराई पर आक्रमण किया और इस क्षेत्र को पुनः अपने अधिकार में ले लिया। इसी विजय के उपलक्ष्य में रूद्रपुर शहर की नींव रखी गई। इस अवसर पर उन्होंने सम्राट अकबर को उपहार स्वरूप कुछ वस्तुएं भेंट की, जिससे अकबर ने उन्हें 'चौरासी माल' परगने की जमींदारी सौंपी।
रूद्रचंद की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था
रूद्रचंद ने अपने शासनकाल में एक संगठित सामाजिक और आर्थिक ढांचे की स्थापना की। उन्होंने समाज में विभिन्न वर्गों के लिए पद और कर्तव्यों का निर्धारण किया। 'धर्म निर्णय' नामक पुस्तक को संकलित कराकर ब्राह्मणों के गोत्रों और उनके आपसी संबंधों का वर्णन किया गया। कुमाऊं में चौथानी ब्राह्मणों की मंडली बनाई गई, जिनके परस्पर वैवाहिक संबंध हो सकते थे। इसके बाद, अन्य ब्राह्मण वर्गों, जैसे तिथानी, हलिए, आदि का निर्माण हुआ।
सामाजिक वर्गीकरण और दस्तूर
समाज के हर वर्ग के लिए अलग-अलग दस्तूर निर्धारित किए गए। सेवा कार्यों के लिए 'छयोड' और 'छयोडियों' की व्यवस्था की गई। अनाज के रूप में दस्तूर देने का विधान किया गया। उत्पादन के 1/6 भाग को वसूल कर राजकोष में जमा करने का कार्य कैनी और खसों को सौंपा गया। शिल्पकारों, जैसे नाई, कुम्हार, दर्जी, लोहार आदि के लिए भी अनाज के रूप में दस्तूर की व्यवस्था की गई।
रूद्रचंद की सैन्य शक्ति
रूद्रचंद ने एक सशक्त और संगठित सेना का गठन किया, जो हर समय राजधानी में तैनात रहती थी। युद्ध के समय में राजा के ठाकुर और रजवार अपनी-अपनी टुकड़ियों को लेकर युद्धभूमि में जाते थे। सीरा-डीडीहाट क्षेत्र से मिले भूमि संबंधी दस्तावेजों से पता चलता है कि रूद्रचंद ने सीरा के मल्लों को पराजित कर इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लिया और यहाँ की भूमि का विधिपूर्वक बंदोबस्त करवाया।
अल्मोड़ा का 'मल्ल महल' और अन्य निर्माण कार्य
रूद्रचंद एक कुशल निर्माता भी थे। उनके शासनकाल में अल्मोड़ा का प्रसिद्ध 'मल्ल महल' का निर्माण हुआ, जो उस समय के वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण है। इस महल के निर्माण ने चंद वंश की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया।
निष्कर्ष
रूद्रचंद ने न केवल एक मजबूत राज्य का निर्माण किया, बल्कि सामाजिक और आर्थिक सुधार भी किए, जिससे कूर्मांचल का विकास हुआ। उनकी शासन शैली, कुशलता, और दूरदर्शिता ने चंद वंश को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वे एक महान प्रशासक, सेनापति, और निर्माणकर्ता के रूप में इतिहास में अमर रहेंगे।
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