केदारनाथ : कब जाएं, कैसे जाएं, आस-पास के घूमने के स्थान
यह मुख्य केदारपीठ है। इसे पंच केदार में से प्रथम कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने पर अपने ही कुल के लोगों का वध करने के पापों का प्रायश्चित करने के लिए वेदव्यास जी की आज्ञा से पांडवों ने यहीं पर भगवान शिव की उपासना की थी। तब भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर महिष अर्थात बैल रूप में दर्शन दिये थे और उन्हें पापों से मुक्त किया था। तब से महिषरूपधारी भगवान शिव का पृष्ठभाग यहां शिलारूप में स्थित है।
कब जाएं : केदारनाथ जाने के लिए अप्रैल से अक्टूबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है और इतने ही दिन मंदिर के कपाट भी खुलते हैं। इस बीच के बारीश के दिनों में यात्रा नहीं करना चाहिए।
कैसे जाएं : केदारनाथ जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार या ऋषिकेश है। यहाँ से आगे का रास्ता सड़क मार्ग से तय किया जाता है। केदारनाथ की चढ़ाई बहुत कठिन मानी जाती है, कई लोग पैदल भी जाते हैं। केदारनाथ के लिए नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून है।
केदारनाथ के आस-पास के घूमने के स्थान :
उखीमठ : उखीमठ रुद्रप्रयाग जिले में है। यह स्थान समुद्री सतह से 1317 मी. की ऊचाई पर स्थित है। यहां पर देवी उषा, भगवान शिव के मंदिर है।गंगोत्री ग्लेशियर : उत्तराखंड स्थित गंगोत्री ग्लेशियर लगभग 28 कि.मी लम्बा और 4 कि.मी चौड़ा है। गंगोत्री ग्लेशियर उत्तर पश्चिम दिशा में मोटे तौर पर बहती है और एक गाय के मुंह समान स्थान पर मुड़ जाती हैं।
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