हमारा पहाडू की नारी /श्री नरेंद्र सिंह नेगी

 हमारा पहाडू की नारी /श्री नरेंद्र सिंह नेगी

प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये

पर्वत जन कठोर भी छिन ये

हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी

बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2

बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२

करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन

पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी

बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२

बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन,

 पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२

सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी

फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन

काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी

बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२

खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,

मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2

सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा

यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी

बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२

दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,

घर बाण रुसडू याखुली समाली-२

स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि,

 रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली

युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी

बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२

प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये

पर्वत जन कठोर भी छिन ये

हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी

बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2

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