पंच बद्री - विराजते हैं भगवान विष्णु ॐ भगवते वासुदेवायः नमःपंच बद्री
भगवान विष्णु के 5 धाम हैं, जिन्हें पंच बदरी के नाम से जाना जाता है। इनमें श्रीबदरीनाथ धाम भी शामिल हैं। धर्म ग्रंथों में पंच बदरी को दूसरा बैकुंठ भी कहा गया है।
समुद्रतल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भूबैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 10 मई को खोल दिए गए हैं। आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इसका निर्माण कराया था। वर्तमान में शंकराचार्य की निर्धारित परंपरा के अनुसार, उन्हीं के वंशज नंबूदरीपाद ब्राह्मण भगवान बदरीविशाल की पूजा-अर्चना करते हैं।
2. योग ध्यान बद्री,
योग ध्यान बद्री, |
यह मंदिर चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे गोविंद घाट के पास स्थित है समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1920 मीटर है| यह जिस स्थान पर स्थित है उसे पांडुकेश्वर कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर पांडवों का जन्म हुआ था और यहां पर जो मूर्ति स्थापित है उसकी स्थापना पांडवों के पिता पांडू ने की थी| इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां विष्णु भगवान की जो मूर्ति स्थापित है उसमें वह ध्यान मुद्रा में दिखाई देते हैं इसीलिए इस मंदिर को योग ध्यान बद्री के रूप में जाना जाता है
भविष्य बद्री चमोली जिले के जोशीमठ के पास सुभाई गांव में स्थित है, यह मंदिर 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था| यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है, यहाँ भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की पूजा होती है|
वृद्ध बद्री मंदिर जोशीमठ से 7 किलो दूरी पर अनिमथ गांव में स्थित है यहां भगवान विष्णु की पूजा एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में की जाती है| भगवान विष्णु के समृद्ध रूप की एक कथा प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है|
5. आदिबद्री
यह मंदिर पंडाल और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है, यह चमोली जिले में कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर के लिए यह कथा प्रचलित है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब उन्होंने इन मंदिरों का निर्माण करवाया था| पहले यहां 16 मंदिर थे जिनमें से 2 मंदिर अब नष्ट हो चुके हैं और 14 मंदिर बचे हुए हैं इनमें से मुख्य मंदिर भगवान विष्णु का है, इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है जो कि काले रंग के पत्थर से बनी हुई है, यहां स्थापित मंदिरों की शैली कत्यूरी शैली है जिसका निर्माण बाद में करवाया गया था|
जय नारायण
ॐ नमो नारायण
हरि ॐ
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