उत्तराखंड के चुनाव: देहरादून और गैरसैंण का चक्कर
उत्तराखंड के चुनावों में देहरादून और गैरसैंण के बीच चल रही राजनीतिक हलचलों पर एक नई कविता की चर्चा करें। यह कविता वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और विकास की सच्चाई को सामने लाती है।
उत्तराखंड के चुनाव: देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में
उत्तराखंड के चुनाव देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में।
नानि विकासै बात कर हो
चुनावै बख्त करनौछ्या खूब शोर
अमकनौ चोर, ढिमकनौ चोर
उत्तराखंड के चुनाव देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में।
हामै छुं सबौहै जोर
कुछ्या पहाड़े दाशा बदली दयूना
कवै नहान हामरी टक्कर में
आब
नानि विकासै बात कर हो
न उलझया हामु
देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में।
शब्दार्थ:
- अमकनौ - ये भी
- ढिमकनौ - वो भी
- हामै छुं - हम ही हैं
- सबौ है - सब से
- कुछ्या - कहते थे
- दयूना - देंगे
- नानि - थोड़ी
- उलझया - उलझाओ
- आज भल - आजकल
- कुना - कहते
- भाजनौ हैरो - भागना पड़ रहा है
- भैर - बाहर
- जौ - जो
- पडणौ गैर - नीचे गिर रहा है
- थुपड़ै बैर - इकठ्ठा कर के
- सबौले - सब ने
- दयू लक्कड़ - दो लकड़ी
मुख्य बिंदु:
चुनावी प्रचार की वास्तविकता: कविता में बताया गया है कि चुनावों के समय नेताओं द्वारा किए गए वादे और दावे अक्सर वास्तविकता से दूर होते हैं।
विकास की कमी: कवि ने इस बात को उजागर किया है कि विकास की बात करने वाले नेता असल में जन समस्याओं और विकास की योजनाओं को सही तरीके से लागू नहीं कर पाते।
राजनीतिक भ्रम: कविता यह भी बताती है कि राजनीतिक चक्रव्यूह और भ्रष्टाचार की वजह से वास्तविक समस्याएँ हल नहीं हो पातीं, और विकास के काम केवल भाषणों और प्रचार तक सीमित रहते हैं।
समाज की स्थिति: कविता में यह भी उल्लेख किया गया है कि आम जनता की समस्याएँ और उनकी हालत समय के साथ और बिगड़ती जा रही हैं, और नेताओं की अयोग्यता की वजह से इसका कोई समाधान नहीं हो रहा।
यहाँ भी पढ़े
- कविता का शीर्षक है आपणी गौ की पुराणी याद(The title of the poem is Purana Yaad of Aapni Gau )
- इस कविता द्वारा घर #गाँव की #भूली #बिसरी #पुरानी यादो को स्मरण करने का प्रयास किया गया है।
- कविता का शीर्षक है "आपणी गौ की पुराणी याद"
- कविता का शीर्षक है आपणी गौ की पुराणी याद(The title of the poem is Purana Yaad of Aapni Gau )
- इस कविता द्वारा घर #गाँव की #भूली #बिसरी #पुरानी यादो को स्मरण करने का प्रयास किया गया है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें