हल्द्वानी की पहचान कालू सिद्ध/ कालू सैयद / घण्टी वाला मन्दिर
जब दूर दराज के लोगों से बात होती है, उन्हें पता चलता है कि हल्द्वानी से हूँ तो कहते हैं हम भी नैनीताल आये थे, बातों में कहीं न कहीं रास्ते में घण्टी वाले मन्दिर का ज़िक्र बहुत से लोग कर देते हैं।
एक पुराना पीपल का पेड़ ही इसका प्रमुख इष्ट है।जन मानस में इसके बारे में कई मान्यताएं-किंवदंतियां प्रचलित हैं।
1. इसी शहर तब गांव-जंगल) में करीब 100 साल पहले एक मुस्लिम सिद्ध संत थे कालू सिद्ध या कालू सैय्यद । जो नाथ पंथ में दीक्षित थे और उन्होंने इस स्थान पर तप किया था। कुछ बुजुर्ग कहते हैं कि कालू सिद्ध घोड़े पर चलते थे, साथ मे चिमटा खप्पर रखते थे।
2. कई शताब्दी पूर्व भगवान दत्तात्रेय के कुछ शिष्य उत्तराखंड की तरफ चले जिन्होंने जगह जगह पर साधना की, लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध आदि, इनके मन्दिर ऋषिकेश के निकट भी हैं।
3. ईरानी पीर कालू सैय्यद यहां आए और यहीं के होकर रह गए। इतिहास जो भी हो, वर्तमान में ये मन्दिर जनमानस की अगाध श्रध्दा का केंद्र है।
जूना अखाड़ा के आधीन है।
अब घण्टियाँ हटा दी गयी हैं, कभी हजारों घण्टियों से लदा रहता था ये मन्दिर । बच्चे के जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव और हर शुभ कार्य से संकट की घड़ी तक लोग यहाँ आकर शीश झुकाते हैं। प्रसाद में चढ़ता और मिलता है गुड़ यहां उत्तर और दक्षिण मुखी हनुमानजी दोनो स्थापित हैं। बाकी विग्रह फोटो में ।
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