देवभूमि उत्तराखण्ड में कुदरत का वरदान, एक ऐसी पहाड़ी जड़ी जिससे दूर होती है कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं

देवभूमि उत्तराखण्ड में कुदरत का वरदान, एक ऐसी पहाड़ी जड़ी जिससे दूर होती है कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं
Nature's boon in Devbhoomi Uttarakhand, a mountain herb which cures many types of diseases.

प्रकृति ने उत्तराखंड को कुछ ऐसे तोहफे दिए हैं, जिनके बारे में अगर सही ढंग जान लिया तो आपके शरीर से बीमारियां हमेशा के लिए दूर भाग सकती हैं। खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में प्रकृति के गोद में ही आपको कई बीमारियों का इलाज मिल जाएगा। आज हम आपको कंटीली झाड़ियों में उगने वाले एक फल के बारे में बता रहे हैं जिसका नाम है किलमोड़ा। ये छोटा सा फल बड़े काम का है। वैसे आपको जानकर हैरानी कि अब किलमोड़ा से विदोशों में एंटी ऑक्सीडेंट यानी कैंसर जैसी बीमारी के लिए दवा तैयार की जा रही है। आम तौर पर इसे किलमोड़ा नामं से ही जाना जाता है। इसकी जड़, तना, पत्ती, फूल और फल हर एक चीज बेहद काम की है। इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ट्यूमर, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं।

 डायबिटीज के इलाज में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर ये पेड़ उपेक्षा का ही शिकार रहा है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पेड़ से दुनियाभर में जीवन रक्षक दवाएं तैयार हो रही हैं। किलमोड़ा की झाड़ियों से तैयार हुए तेल का इस्तेमाल कई तरह की दवाएं बनाने में किया जाने लगा है। कुछ लोगों ने किलमोड़े को कमाई का जरिया बना लिया है। बागेश्वर के एक शख्स भागीचंद्र टाकुली बीते डेढ़ दशक से जड़ी-बूटियों के संरक्षण में जुटे हैं। उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व इसके पौधे से तेल भी तैयार किया है। किलमोड़े की सात किलो लकड़ियों से करीब 200 ग्राम तेल तैयार होता है। इस तेल की एक अच्छी खासी कीमत भागीचंद्र टाकुली को मिल जाती है। दवाओं के लिए तैयार होने वाला इसका कच्चा तेल सबसे ज्यादा हिमाचल से भेजा जाता है। सदियों से उपेक्षा का शिकार हो रहा ये पौधा बड़े कमाल का है। इसलिए लोगों को इसकी उत्पादकता को बढ़ाए रखने पर विचार करना चाहिए।

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