केदारनाथ धाम : भगवान केदारनाथ की महिमा और शक्ति
केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो समुद्र की सतह से करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और पंच केदार में से भी एक माना जाता है। केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के पृष्ठ भाग के दर्शन होते हैं और मंदिर का स्वरूप त्रिकोणात्मक है। इसका निर्माण पांडवों द्वारा कराया गया माना जाता है, हालांकि मंदिर का जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने किया था। यह मंदिर विशेष रूप से 2013 की भीषण आपदा में भी पूरी तरह सुरक्षित रहा था। मंदिर के कपाट हर साल अप्रैल से नवंबर तक दर्शनार्थ खुलते हैं।
बाबा केदारनाथ की महिमा और संहार की शक्ति
स्कंद पुराण में केदारनाथ शिवलिंग को सबसे फलदायी स्थान बताया गया है, जहां लोग अपने कर्मफल से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। भगवान शिव के अनुसार यह स्थान उतना ही प्राचीन है जितना कि वह स्वयं हैं। भगवान शिव ने यहां पर ब्रह्मा के रूप में परब्रह्मत्व को प्राप्त किया, जिससे यह स्थान स्वर्ग के समान माना गया।
कहा जाता है कि केदारनाथ के दर्शन केवल एक बार भी हो जाएं, तो व्यक्ति को जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। केदारनाथ के दर्शन, भगवान शिव के दर्शन के समान होते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में केवल केदारनाथ के पास वही शक्ति है जो भगवान शिव के तीसरे नेत्र के खुलने पर संपूर्ण सृष्टि को विनाश करने की क्षमता रखती है।
पंच केदार और पाप मुक्ति की कथा
महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने कौरवों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का निश्चय किया। पांडवों ने भगवान शिव की पूजा की इच्छा से उन्हें काशी से गुप्त काशी और फिर गुप्त काशी से केदारनाथ तक पीछा किया। भगवान शिव ने पांडवों को पहचान लिया और बैल के रूप में परिवर्तित होकर अन्य पशुओं के साथ मिल गए।
पांडवों ने शक होने पर भीम को अपनी विशालता से बैल को पहचानने का आदेश दिया। भीम ने शिव को पहचान लिया और उन्हें पकड़ने का प्रयास किया। भगवान शिव ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया और अंतर्ध्यान हो गए। बाद में भगवान शिव ने पांडवों को उनके पापों से मुक्त कर दिया। भगवान शिव का यह रूप केदारनाथ में पिंड के रूप में पूजा जाता है।
इसके बाद भगवान शिव के अंग विभिन्न स्थानों पर प्रकट हुए। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए।
भीम ने भगवान शिव को पहचान लिया और भगवान शिव के रूप में दर्शन प्राप्त करने के बाद पांडवों को पापों से मुक्ति मिल गई। भगवान शिव के विभिन्न अंग पंच केदार के रूप में प्रकट हुए, जिनमें से:
- केदारनाथ - भगवान शिव का शरीर
- तुंगनाथ - भगवान शिव की भुजाएं
- रुद्रनाथ - भगवान शिव का मुख
- मदमदेश्वर - भगवान शिव का नाभि
- कल्पेश्वर - भगवान शिव की जटा
दीपावली के बाद बंद होते हैं कपाट
हर साल दीपावली के दूसरे दिन, शीत ऋतु के आगमन पर केदारनाथ के मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इन कपाटों के खोलने और बंद करने का मुहूर्त निकाला जाता है। इसके बाद भगवान के विग्रह और दंडी को ऊखीमठ में ले जाया जाता है, जहां ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान की पूजा होती है।
गर्मियों में खुलता है बाबा का धाम
6 महीने बाद, मई माह में केदारनाथ के कपाट खुलते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर के कपाट खोलने की तिथि घोषित की जाती है। इन 6 महीनों के दौरान, मंदिर में कोई नहीं रहता, लेकिन अद्भुत बात यह है कि इन 6 महीनों में दीपक लगातार जलता रहता है और मंदिर की सफाई वैसी ही बनी रहती है जैसी धाम से नीचे जाते वक्त होती है।
केदारनाथ धाम: FQCs (Frequently Asked Questions)
केदारनाथ धाम कहां स्थित है?
- केदारनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो समुद्र की सतह से लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर है।
केदारनाथ मंदिर का महत्व क्या है?
- केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह पंच केदार में से एक है। यहां भगवान शिव के पृष्ठ भाग के दर्शन होते हैं, और इसे मोक्ष की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया था?
- केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा कराया गया था, हालांकि इसके जीर्णोद्धार का कार्य आदि शंकराचार्य ने किया था।
केदारनाथ के दर्शन से क्या लाभ मिलता है?
- केदारनाथ के दर्शन से जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और भक्तों को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ के कपाट कब खोले और बंद किए जाते हैं?
- केदारनाथ के कपाट हर साल अप्रैल से नवंबर तक खोले जाते हैं। दीपावली के दूसरे दिन, शीत ऋतु के आगमन पर कपाट बंद कर दिए जाते हैं और 6 महीने बाद मई में फिर से खोले जाते हैं।
पंच केदार क्या हैं?
- पंच केदार भगवान शिव के पांच प्रमुख रूप हैं, जिनमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मदमदेश्वर, और कल्पेश्वर शामिल हैं। इन स्थानों पर भगवान शिव के विभिन्न अंगों की पूजा की जाती है।
केदारनाथ मंदिर में जाने का सर्वोत्तम समय कब है?
- केदारनाथ मंदिर जाने का सर्वोत्तम समय मई से नवंबर तक है, जब मंदिर के कपाट खुले होते हैं और श्रद्धालु यहां दर्शन कर सकते हैं।
केदारनाथ धाम की यात्रा कैसे की जा सकती है?
- केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए पहले हवाई यात्रा से देहरादून या ऋषिकेश जा सकते हैं, फिर वहां से गुप्तकाशी और फिर केदारनाथ तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा करनी होती है। श्रद्धालु घोड़े या पालकी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर की विशेषता क्या है?
- केदारनाथ मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है और यह 2013 की आपदा में भी सुरक्षित रहा था। यहां भगवान शिव के पृष्ठ भाग का दर्शन होता है, और यह स्थान प्राचीनतम और पवित्रतम माना जाता है।
केदारनाथ धाम में किस प्रकार की पूजा होती है?
- केदारनाथ धाम में भगवान शिव की पूजा, अभिषेक, रुद्राभिषेक, और विशेष पूजा विधियों के द्वारा होती है, जो भक्तों के लिए उनके पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
केदारनाथ धाम का इतिहास क्या है?
- केदारनाथ का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। महाभारत के समय पांडवों ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी, और यह स्थान भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा का स्थल बना।
केदारनाथ मंदिर का संरचनात्मक स्वरूप कैसा है?
- केदारनाथ मंदिर का स्वरूप त्रिकोणात्मक है, और इसका निर्माण पत्थरों से कत्यूरी शैली में किया गया है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, और यह हिंदू धर्म के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
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