भविष्य बद्री व उसका , कथाये, पौराणिक, लोक कथा

 भविष्य बद्री  व उसका , कथाये, पौराणिक, लोक कथा 

उत्तराखंड में जिस तरह पंचप्रयाग, पंचकेदार स्थित है ठीक उसी प्रकार उत्तराखंड में पंचबद्री भी है जो कि भगवान विष्णु के तीर्थ स्थल के लिए जाना जाता है इसलिए उत्तराखंड को देवभूमि या देव स्थल भी कहा जाता है। उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ पर कई देवी-देवता विराजमान है। उत्तराखंड न केवल देवभूमि के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। तो आज हम बात करेंगे पंचबद्री में से एक भविष्य बद्री मंदिर (Bhavishya Badri Temple) के बारे जिसकी अपनी एक अद्भुत कहानी है।
भविष्य बद्री  व उसका , कथाये, पौराणिक, लोक कथा
उत्तराखंड के चमोली जिले में बदरीनाथ मंदिर स्थित है। इसे बदरीनारायण मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे है। मंदिर भगवान विष्णु के स्वरूप बदरीनाथ को समर्पित है। यह चारधाम में से एक धाम हैै 


कहते हैं कि जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो यह 12 धाराओं में बंट गई। इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई और यह स्थान बदरीनाथ, भगवान विष्णु का वास बना। वैसे ही उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से 21 किमी की दूरी पर स्थित है भविष्य बद्री मंदिर, जो कि पंचबद्री में से एक है। भविष्य बद्री उत्तराखंड के पंचबद्री बद्रीनाथ, योग-ध्यान बद्री, आदिबद्री, वृद्ध बद्री में सम्मलित है।

मान्यताओं के अनुसार

मान्यताओं के अनुसार एक बड़ा प्राकृतिक और आध्यामिक बदलाव होगा। जब वर्तमान बदरीनाथ मार्ग पर जय-विजय पहाड़ आपस में जुड़ जाएंगे और जोशीमठ नृसिंह मंदिर में विराजमान भगवान नृसिंह की मूर्ति खंडित हो जाएगी तब भगवान बदरीनाथ के दर्शन भविष्य बदरी में होंगे, जो तपोवन मार्ग पर है। यहां अभी पैदल छह किमी चलना होता है। बताया जा रहा है कि जंगल के बीच एक पत्थर पर धीरे-धीरे भगवान के स्वरूप की आकृति उभर रही है। इस भविष्य बदरी में भी पूजा-अर्चना विधिवत रूप से हो रही है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।


भविष्य बदरी में जहां भविष्य में भगवान बदरीनाथ में दर्शन देंगे यह स्थान जंगल में देवदार के वृक्षों के बीच है। भविष्य बदरी के पुजारी सुशील डिमरी बताते हैं कि धीरे-धीरे इस पत्थर पर भगवान की दिव्य आकृति और बदरीश पंचायत के सभाओं के देवताओं की आकृति आ रही है। धार्मिक विषयों पर लिखने वाले सामाजिक युवा कार्यकर्ता संजय कुंवर बताते हैं कि दिव्य और आकर्षक रूप से भगवान बदरीनाथ की मूर्ति यहां पर दृष्टिगत हो रही है। कहते हैं कि मान्यताओं में जो बात कही जाती है, वह स्पष्ट हो रही है। 

जोशीमठ से 15 किमी तपोवन तक सड़क मार्ग है। यहां से रिंगी होते हुए भी भविष्य बदरी जा सकते हैं। वर्तमान में तपोवन मार्ग पर सलधार से भी भविष्य बदरी के लिए मार्ग जाता है। सलधार से छह किमी पैदल भविष्य बदरी जाना पड़ेगा। रिंगी तक सड़क जा रही है। वहां से भी पांच किमी पैदल भविष्य बदरी जाना होगा। वर्तमान में सुभाई गांव में भविष्य बदरी के संकेत का मंदिर है। यहां पर वर्तमान में पूजा होती है। 

उत्तराखंड के चमोली जिले में बदरीनाथ मंदिर स्थित है। इसे बदरीनारायण मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे है। मंदिर भगवान विष्णु के स्वरूप बदरीनाथ को समर्पित है। यह चारधाम में से एक धाम है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो यह 12 धाराओं में बंट गई। इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई और यह स्थान बदरीनाथ, भगवान विष्णु का वास बना।

मान्यताओं के अनुसार भविष्य में एक बड़ा आध्यात्मिक और प्राकृतिक बदलाव होगा, जब वर्तमान बद्रीनाथ मार्ग पर जय-विजय नाम के पर्वत के मिल जाने पर बद्रीनाथ धाम का रास्ता दुर्गम हो जाएगा और जोशीमठ नर्सिंग मंदिर में विराजमान भगवान नर्सिंग की मूर्ति खंडित हो जाएगी। कहते हैं कि तब भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भविष्य बद्री में हुआ करेंगे। इसलिए इस मंदिर को भविष्य बद्री के नाम से जाना जाता है।

लोक मान्यताओं और आस-पास के गाँव के लोगों का कहना है कि जंगलों में देवदार के वृक्षों के बीच स्थित इस मंदिर में धीरे-धीरे दिव्य और आकर्षक रूप से बद्रीनाथ की मूर्ति दृष्टिगत होने लगी है। वहाँ के पुजारी और आस-पास के लोग कहते है कि मान्यताओं में जो बात कही जा रही है वो अब समय के साथ स्पष्ट होते दिखने भी लगी है। वही वर्तमान में भविष्य बद्री में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते है।

कैसे पहुंचे

भविष्य बद्री मंदिर पहुंचने के लिए आप सड़क मार्ग द्वारा बद्रीनाथ – तपोवन पहुँच सकते हैं। जहाँ से रिंगी गांव या सलधार से 5 किमी का पैदल मार्ग तय करते हुए आप इस मंदिर तक पहुँच जायेंगे।

यहाँ पहुँचने के लिए जोशीमठ से 15 किमी तपोवन तक सड़क मार्ग है जिसके बाद धौली गंगा के किनारे स्थित तपोवन के समीप रिंगि गाँव से 5 किमी और सलधार नामक स्थान से 6 किमी का पैदल यात्रा तय कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। देवदार के जंगलों के बीच में स्थित भविष्य बद्री मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। वहीं जाड़ों में मंदिर का यह सम्पूर्ण क्षेत्र बर्फ से पट जाता है। जो इसे और खूबसूरत बना देता है। भविष्य बद्री मंदिर सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है।

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